'पुलिस हमसे मदद मांग रही थी, भीड़ सेमिनार हॉल तोड़ना चाहती थी...', नर्स ने बयां किया अस्पताल में हमले का मंजर

आजतक से खास बातचीत में इस रात आरजी कर अस्पताल में ही मौजूद एक नर्स ने अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा, 'वे उस सेमिनार रूम (जहां डॉक्टर से रेप-मर्डर हुआ था) को तोड़ देना चाहते थे, उनका मुख्य लक्ष्य यही था. उन्होंने तीसरी मंजिल में घुसने की कोशिश की लेकिन वे नहीं जा सके. उन्होंने दूसरी मंजिल को तहस-नहस कर दिया.'

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हिंसा के बाद अस्पताल का निरीक्षण करते स्टाफ के लोग- PTI हिंसा के बाद अस्पताल का निरीक्षण करते स्टाफ के लोग- PTI

अनिर्बन सिन्हा रॉय

  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

'हम बुरी तरह डरे हुए थे, रो रहे थे. हमारे चारों ओर एक हिंसक भीड़ थी जो सबकुछ तोड़ देना चाहती थी. कुछ समय पहले तक अस्पताल के बाहर जो लोग (पुलिसकर्मी) हमारी मदद के लिए खड़े थे वो भी अब हमसे ही हिफाजत की आस लगाए हुए थे. ये एक भयानक अनुभव था. हो सकता है कल फिर कुछ महिला कर्मचारियों के साथ दुर्व्यव्यवहार हुआ.' ये दर्द है कोलकाता के उसी आरजी कर अस्पताल की एक नर्स का जहां बुधवार की रात भीड़ ने तोड़फोड़ की है. इसी अस्पताल में करीब एक हफ्ते पहले एक डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर की घटना हुई है.

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कहानी को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं...

8-9 की दरमियानी रात आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कर दी जाती है. इसको लेकर पिछले कई दिनों से देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. डॉक्टर्स भी इस प्रदर्शन का हिस्सा हैं. इसी बीच कई लेफ्ट संगठनों ने ये ऐलान किया कि बुधवार की रात अस्पतालों के बाहर भारी संख्या में पहुंचकर प्रदर्शन करें. आरजी कर अस्पताल के बाहर भी रात करीब 10 बजे के बाद भीड़ जमा होना शुरू हो गई. 11.20 बजे भीड़ ने बैरिकेड तोड़ दिया और अंदर दाखिल हो गई.

इस भीड़ के दो चेहरे दिखे...

बुधवार को जो कुछ हुआ उसमें एक चीज हैरान करने वाली थी. दरअसल, बैरिकेड के एक तरफ वो लोग थे जो दूसरी तरफ नारेबाजी कर रहे लोगों को शांत रहने की अपील कर रहे थे. इसमें आरजी कर अस्पताल के छात्र भी थे और कुछ बेबस पुलिसकर्मी भी. लेकिन दूसरी ओर एक ऐसी भीड़ थी जो बैरिकेड को तोड़कर अस्पताल के अंदर दाखिल हो जाना चाहती थी. वायरल कई वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग लगातार बैरिकेड को झकझोर रहे थे.

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इंसाफ की तख्तियां जमीन पर गिरी और...

अचानक भीड़ बेकाबू हो गई. जिन हाथों में 'इंसाफ' मांग रही तख्तियां थीं उनमें से कई के हाथों में अब डंडे थे. वो अस्पताल के अंदर थे. भीड़ का ये हिंसक रूप देख चंद पुलिसकर्मी भी जान बचाने के लिए अंदर की ओर भागे जहां अस्पताल के कई कर्मचारी थे. उनमें महिलाएं भी थीं.

फिर क्या था. भीड़ को जो कुछ दिखा उन्होंने सब तोड़ा. वह उस जगह तक भी पहुंचे जहां डॉक्टर के साथ घिनौना कृत्य हुआ था. अस्पताल के हर कोने में तोड़फोड़ की गई. अब भीड़ के इस रूप पर सवाल खड़े हो रहें हैं जिसे और बल मिला है एक नर्स के इस बयान से...

नर्स ने क्या बताया...

आजतक से खास बातचीत में इस रात अस्पताल में ही मौजूद एक नर्स ने अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा, 'वे उस सेमिनार रूम (जहां डॉक्टर से रेप-मर्डर हुआ था) को तोड़ देना चाहते थे, उनका मुख्य लक्ष्य यही था. उन्होंने तीसरी मंजिल में घुसने की कोशिश की लेकिन वे नहीं जा सके. उन्होंने दूसरी मंजिल को तहस-नहस कर दिया. इमरजेंसी वार्ड के अंदर भी पुलिसकर्मी ज्यादा संख्या में नहीं थे. पुलिसकर्मी हमसे मदद मांग रहे थे. कह रहे थे कि हमें अपने वार्ड में कहीं छिपा दो. हम इतना डरे हुए थे कि हमारी जूनियर और सीनियर सभी नर्सें रो रहीं थीं. हो सकता है कि दुर्व्यवहार का एक और मामला कल हुआ हो. हम सब रोते हुए परिसर से बाहर चले गए. यह हमारे लिए एक भयावह अनुभव था.'

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यह भी पढ़ें: क्या कोलकाता के अस्पताल में हिंसा के पीछे सबूत मिटाने की साजिश थी? आधी रात के हमले का एक-एक सच

क्या कोई साजिश थी?

कोलकाता पुलिस का कहना है कि कुछ अज्ञात बदमाशों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ की. करीब 40 लोगों का एक ग्रुप प्रदर्शनकारियों में शामिल था. इन्हीं लोगों ने अस्पताल में हिंसा को अंजाम दिया. 

सवाल उठ रहे हैं कि बुधवार को अस्पताल में हुई इस हिंसा के पीछे मकसद सबूत मिटाने का था. प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के सभी सीसीटीवी तोड़ डाले थे. हालांकि, मामले की जांच जारी है. लेकिन जो कुछ हुआ वो कई गंभीर सवाल खड़े करता है.

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