मुंद्रा ड्रग्स जब्ती मामले में एक आरोपी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जब से एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने आरोप लगाया है कि इस मामले की अवैध कमाई का उपयोग लश्कर-ए-तैयबा द्वारा आतंकवादी हमलों में किया गया, तब से उसके बच्चों को स्कूल में तंग किया जा रहा है.
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता ए सुंदरम, जो आरोपी हरप्रीत सिंह तलवार उर्फ कबीर तलवार की ओर से पेश हुए, ने बताया कि उनके मुवक्किल की जमानत याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई में एनआईए के एक विधि अधिकारी ने भारत में हुए आतंकवादी हमलों, विशेष रूप से पहलगाम हमले का जिक्र किया, जिसमें कथित रूप से इस अवैध धन का उपयोग हुआ.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आरोपी ने अपने वकीले के माध्यम से कहा, "मेरे बच्चों को स्कूल में आतंकवादी के बच्चे कहकर तंग किया जा रहा है. हमें उन्हें स्कूल से निकालना पड़ा. यह बात आज के सभी अखबारों और मीडिया में छपी है. बिना किसी ठोस आधार के एनआईए ने एनडीपीएस मामले में यह बयान दिया."
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुंदरम को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, "किसी भी व्यक्ति के परिजन को, चाहे उसने कोई गलती की हो या नहीं, तकलीफ नहीं होनी चाहिए."
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो एक अन्य मामले में अदालत में उपस्थित थे, से न्यायमूर्ति ने कहा, "इस पहलू का ध्यान रखा जाए. हम इससे ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहते. आप जानते हैं कि क्या करना है."
वकील ने कहा कि अधिकतर अखबारों में यह खबर छपी है और उनके मुवक्किल के बच्चों को धमकी भरे फोन आ रहे हैं, क्योंकि ड्रग्स मामले को पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ दिया गया है. इस पर मेहता ने कहा, "हमारी जांच में सामने आया है कि इस बिक्री से प्राप्त धन लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी गतिविधियों के लिए भेजा गया. यही बात अखबारों में भी छपी है."
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुंदरम से कहा, "ऐसी खबरें न पढ़ें. इन्हें भूल जाइए. मैं खुद ऐसी खबरों से दूर रहता हूं. मैं बाहरी कारणों से प्रभावित नहीं होता."
सुंदरम ने अदालत से इस स्थिति को स्पष्ट करने की अपील करते हुए कहा कि पहलगाम हमला इस एनडीपीएस केस से संबंधित नहीं है. उन्होंने कहा, "यह सब कोर्ट में कही गई एक बात के कारण हुआ है. यह एनआईए का मामला है और अभी जांच भी पूरी नहीं हुई है. सभी को समझना चाहिए कि इस तरह की टिप्पणियाँ निर्दोष लोगों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं."
मेहता ने कहा कि अगर विधि अधिकारी की टिप्पणी से किसी को ठेस पहुंची है, तो वे माफी मांग सकती हैं. इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "यह मुद्दा इस समय विचारणीय नहीं है, इसलिए इसे अनावश्यक रूप से न खींचें. कभी-कभी वकील भावनाओं में बहकर ऐसे तर्क दे देते हैं. यह दोनों पक्षों में होता है."
सुंदरम ने फिर दोहराया कि एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी द्वारा जो दावा किया गया था, उसके पास कोई सबूत नहीं था. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि भाटी ने सिर्फ इसी आधार पर तलवार की जमानत का विरोध नहीं किया. भाटी, जो अदालत में मौजूद थीं, ने कहा कि बच्चों को कोर्ट में की गई दलीलों के कारण कष्ट नहीं उठाना चाहिए और अगर ऐसा हो रहा है तो कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ इसका ध्यान रखेंगी.
बुधवार को एनआईए ने कबीर तलवार की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि मुँद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई ड्रग्स की बिक्री से मिली रकम लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी गतिविधियों के लिए भेजी गई. दलीलों के बाद अदालत ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
बता दें कि तलवार, जो दिल्ली में कई लोकप्रिय क्लब चलाते थे, को एजेंसी ने अगस्त 2022 में देश के सबसे बड़े ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था. एनआईए की ओर से भाटी ने कहा था, "ये लोग संगठन के मुखौटा हैं, लेकिन उन मासूमों के खून में इनके भी हाथ रंगे हैं जो आतंकवादी हमलों में मारे गए."
12 सितंबर, 2021 को कुछ कंटेनर अफगानिस्तान से ईरान के रास्ते मुंद्रा पोर्ट पहुंचे, जिनमें अर्ध-प्रसंस्कृत टैल्क स्टोन से भरे बैग थे. खुफिया जानकारी के आधार पर 13 सितंबर को डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने कंटेनरों की जांच की और कुछ बैगों में हेरोइन पाई गई, जिससे 2988.21 किलोग्राम हेरोइन की बरामदगी हुई जिसकी कीमत 21,000 करोड़ रुपये आँकी गई.
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