मुंबई टू दुबई, वाया समंदर... 1000 KM की स्पीड से पहुंचाएगी अंडरवॉटर ट्रेन, दुनिया बदल सकता है ये प्रोजेक्ट!

भारत ने भी हाल ही में अंडरवॉटर मेट्रो के सफल संचालन में कामयाबी पाई है. इसे एक साल पहले देश में शुरू किया गया है. यह 520 मीटर लंबी सुरंग है, जो हावड़ा और कोलकाता को जोड़ती है. इस नए प्रोजेक्ट में ट्रेनों को इलेक्ट्रोमैग्नेट का उपयोग करके टनल में उठा दिया जाएगा. इसे मैग्लेव तकनीक के रूप में जाना जाता है, जो ट्रेन को 1,000 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचाएगा. इस तरह से दुबई से मुंबई तक की यात्रा मात्र 2 घंटे में पूरी हो सकेगी.

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दुबई से मुंबई की यात्रा हवाई जहाज से भी जल्दी होगी पूरी. (फोटो- ai) दुबई से मुंबई की यात्रा हवाई जहाज से भी जल्दी होगी पूरी. (फोटो- ai)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:26 PM IST

मुंबई टू दुबई... वाया टनल ट्रेन. जो समंदर से होकर गुजरेगी. सुनने में तो ये कल्पना लोक की कहानी लगती है. लेकिन सिविल इंजीनियरिंग के संस्थानों में इस आइडिया पर काम हो रहा है. इसके खर्चे पर विचार किया जा रहा है और इस प्रोजेक्ट की व्यावहारिकता पर गंभीर चर्चा हो रही है. 
मुंबई से दुबई अंडरवॉटर रेल प्रोजेक्ट एक प्रस्तावित परियोजना है, जिसे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की कंपनी नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड (NABL) ने सुझाया है. यह एक हाई-स्पीड रेल नेटवर्क होगा जो अरब सागर से गुजरकर भारत और UAE को जोड़ेगा. 

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गौरतलब है कि यह विचार पहली बार 2018 में सामने आया था और हाल के वर्षों में इसकी चर्चा फिर से तेज हुई है. खासकर 2025 में. ध्यान देने की बात यह है कि अभी दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम भारत दौरे पर हैं. आज प्रिंस शेख हमदान मुंबई में हैं. इस दौरान वे भारत-यूएसई के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग समेत भविष्य के कई मुद्दों पर बात होगी. 

गल्फ के अखबार खलीज टाइम्स ने इस प्रोजेक्ट पर मंगलवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. अखबार ने नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड के हवाले से कहा है कि ये प्रोजेक्ट अभी भी 'कॉन्सेप्ट स्टेज' में है. नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अब्दुल्ला अल शेही ने खलीज टाइम्स से कहा है कि इस प्रोजेक्ट की फंडिंग पर चर्चा से पहले कंपनी को आधिकारिक मंजूरी लेनी होगी. और इस पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया जा सकता है. 

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क्या है अंडरवाटर रेल प्रोजेक्ट 

नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड ने इस प्रोजेक्ट का आइडिया 6 साल पहले यूएई-इंडिया कॉन्क्लेव अबू-धाबी में दिया था. अब्दु्ल्ला शेही ने इस प्रोजेक्ट की जो रूपरेखा खीची है उसके अनुसार इस प्रोजेक्ट में अल्ट्रा-स्पीड फ्लोटिंग ट्रेनों के माध्यम से भारत के मुंबई को दुबई के फुजैराह से जोड़ने की योजना है. 

इस परियोजना का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है. फुजैराह बंदरगाह से भारत को तेल का निर्यात होगा और मुंबई के उत्तर में नर्मदा नदी से अतिरिक्त पानी को दुबई लाया जाएगा.  इसके अलावा इस रूट पर ट्रेनें चलेंगी जिससे यात्री भी मुंबई से दुबई और दुबई से मुंबई आ जा सकेंगे. 

यह भी पढ़ें: दिल्ली, दुबई, दोस्ती... अरब के तीन शहजादे जो बदल रहे भारत के साथ डिप्लोमेसी का डायनेमिक्स?

अब्दुल्ला अल शेही के अनुसार अगर ये प्रोजेक्ट सफल होता है तो कई अन्य रुट पर विचार किया जा सकता है. और इसके दायरे में पाकिस्तान, बांग्लादेश के शहर भी आएंगे. अल शेही ने कहा कि हम इस क्षेत्र के लगभग 1.5 अरब लोगों के बारे में बात कर रहे हैं. उनके लिए विमान के बजाय ट्रेन का उपयोग करना आसान होगा. 

सौजन्य- खलीज टाइम्स

समंदर के अंदर से होकर गुजरने वाले इस रेल रूट की लंबाई लगभग 2000 किलोमीटर होगी. और इसकी गति 600 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 1000 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी.  

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अल शेही के अनुसार, ट्रेन को इलेक्ट्रोमैग्नेट का उपयोग करके टनल में उठा दिया जाएगा. इसे मैग्लेव तकनीक के रूप में जाना जाता है, जो ट्रेन को 1,000 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचाएगा. इस तरह से दुबई से मुंबई तक की यात्रा मात्र 2 घंटे में पूरी हो सकेगी. अभी विमान से इस सफर को पूरा करने में 2-3 घंटे का समय लगता है.

बता दें कि मैग्लैव तकनीक का इस्तेमाल कर ही जापान और चीन में बुलेट ट्रेनें चलती हैं. यह तकनीक ट्रेन को चुंबकीय बल से हवा में उठाकर घर्षण कम करती है, जिससे 1,000 किमी/घंटे तक की रफ्तार संभव होती है. 

उन्होंने कहा कि ट्रेन कंक्रीट सुरंगों से होकर गुजरेगी जो अरब सागर की सतह से 20-30 मीटर नीचे डूबी होंगी. इन सुरंगों को स्थिरता प्रदान करने के लिए एंकर किया जाएगा. 

भारत का प्रवेश द्वार

नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अल शेही का मानना है कि इस परियोजना के साथ, UAE यात्रियों और माल दोनों के लिए अरब की खाड़ी में भारत का प्रवेश द्वार बन जाएगा, और यह यूएई की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक रणनीतिक बदलाव होगा.

क्रांतकारी विचारों के लिए जाना जाता है नेशनल एडवाइजर ब्यूरो

बता दें कि नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड एक स्टार्ट अप और बड़े बिजनेस घरानों के लिए काम करने वाला एक सलाहकार फर्म है. दुबई की पानी की समस्या को खत्म करने के लिए इस कंपनी ने अंटार्कटिका से हिमखंड (आइसबर्ग) को खींचकर दुबई के समंदर तक लाने का क्रांतिकारी विचार दिया है. फिर इस आइसबर्ग से पीने योग्य पानी बनाने का विचार पेश किया गया है. 

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क्या दुनिया में चल रही है ऐसी ट्रेंने

दुनिया में अंडरवाटर रेल की अवधारणा नई नहीं है. कुछ परियोजनाएं पहले से मौजूद हैं या निर्माणाधीन हैं. 

चैनल टनल (यूके-फ्रांस) इसका सबसे मशहूर उदाहरण है. जो इंग्लैंड और फ्रांस को जोड़ता है. यह 50.45 किलोमीटर लंबी सुरंग 1994 में खुली थी. इसकी गहराई 75 मीटर तक है. इसमें यूरोस्टार ट्रेनें 160 किमी/घंटे की रफ्तार से चलती हैं. 

भारत ने हाल ही में शुरू किया है अंडरवाटर मेट्रो

बता दें कि भारत ने भी हाल ही में अंडरवाटर मेट्रो के सफल संचालन में कामयाबी पाई है. इसे एक साल पहले देश में शुरू किया गया है. यह 520 मीटर लंबी सुरंग है, जो हावड़ा और कोलकाता को जोड़ती है. अंडरवॉटर मेट्रो सर्विस कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन का हिस्सा है. यह देश की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो टनल है, जो हुगली नदी के दोनों छोर पर बसे दो शहरों को जोड़ेगी. इसके लिए 3.8 किलोमीटर की दो अंडरग्राउंड टनल तैयार की गई हैं, जिसमें 520 मीटर का हिस्सा पानी के नीचे है. इसे 45 सेकेंड में क्रॉस किया जाता है. 

हालांकि, मुंबई-दुबई प्रोजेक्ट की विशाल दूरी (2,000 किमी) और गहरे समुद्र में निर्माण इसे दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा और जटिल प्रोजेक्ट बनाता है. 

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दुनिया में दुबई-मुंबई अंडरवाटर रेल प्रोजेक्ट जैसे कई मिशन पर काम हो रहा है. चीन की योजना समंदर के जरिये रूस और कनाडा को जोड़ने की है.

खर्च का अनुमान

इस प्रोजेक्ट की लागत का सटीक अनुमान लगाना अभी मुश्किल है क्योंकि यह योजना प्रारंभिक चरण में है. लेकिन चैनल टनल (यूके-फ्रांस) के बनने में लगे खर्चे के आधार पर इसका अनुमान लगाया जा सकता है. चैनल टनल की लागत 1994 में लगभग 21 बिलियन डॉलर (आज की कीमत में) थी. ध्यान रहे कि ये खर्च सिर्फ 50 किलोमीटर के लिए थी. इस लिहाज से मुंबई-दुबई की 2,000 किमी की दूरी को देखते हुए इस प्रोजेक्ट पर खरबों डॉलर का खर्च आ सकता है. 

हालांकि समंदर में होने की वजह से जमीन अधिग्रहण जैसी दिक्कतें सामने नहीं आएंगे, लेकिन समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़ने का खतरा एक बड़ी चुनौती होगी. 

मुंबई से दुबई अंडरवाटर रेल प्रोजेक्ट अभी एक सपने की तरह है, लेकिन अगर यह हकीकत बना तो यह परिवहन और व्यापार की दुनिया में क्रांति कर देगा. और दुनिया में समुद्र को मनुष्यों के आवागमन को सुगम, सुलभ और रोमांचक जरिया बना देगा.  दुनिया में छोटे पैमाने पर ऐसे प्रोजेक्ट काम हो रहे हैं लेकिन दुबई-मुबई प्रोजेक्ट की विशालता ही इसे अनोखा और चुनौतीपूर्ण बनाती है. 

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