मुंबई: 15 लाख की रिश्वत लेने वाले मझगांव कोर्ट क्लर्क को जमानत नहीं, जज अभी भी फरार

मुंबई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को ₹15 लाख की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार मझगांव कोर्ट के क्लर्क-सह-टाइपिस्ट चंद्रकांत वासुदेव को जमानत देने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़े अपराध जनता के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं. इस मामले में सह-आरोपी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाजुद्दीन सलाउद्दीन काजी को फरार आरोपी के रूप में दर्ज किया गया है.

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विशेष अदलात का सिविल कोर्ट के क्लर्क को जमानत देने से इनकार. (Photo: Representational) विशेष अदलात का सिविल कोर्ट के क्लर्क को जमानत देने से इनकार. (Photo: Representational)

विद्या

  • मुंबई,
  • 24 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:23 PM IST

मुंबई की एक विशेष अदालत ने सोमवार को 15 लाख रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार सिविल कोर्ट के क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव को जमानत देने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़े अपराध जनता के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं. इस मामले में सह-आरोपी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाजुद्दीन सलाउद्दीन काजी को फरार आरोपी के रूप में दर्ज किया गया है.

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ये फैसला मुंबई की एक विशेष ACB अदालत ने दिया. विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है, लेकिन विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की न्यायाधीश शायना पाटिल ने न्यायाधीश काजी के अधीन कार्यरत क्लर्क-सह-टाइपिस्ट चंद्रकांत वासुदेव की जमानत याचिका खारिज कर दी. वासुदेव को दो हफ़्ते पहले एक जमीन विवाद में अनुकूल फैसला सुनाने के बदले एक व्यापारी से ₹15 लाख लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

एसीबी के अनुसार, उसने शुरुआत में अपनी और न्यायाधीश काजी की ओर से ₹25 लाख की मांग की थी और तय हुई ₹15 लाख की राशि लेते हुए पकड़ा गया. इस मामले के दूसरे मुख्य आरोपी- अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाजुद्दीन सलाउद्दीन काजी- अभी भी फरार हैं और उनके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्रवाई का प्रस्ताव लंबित है.

सबूत नष्ट करने का खतरा

 

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वासुदेव के वकील विजय देसाई ने दलील दी कि आरोप भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त कर लिए गए हैं, इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ का कोई जोखिम नहीं है.

हालांकि, अतिरिक्त लोक अभियोजक प्रभाकर तरंगे ने जमानत का विरोध किया. उन्होंने अदालत को बताया कि फरार न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है. अभियोजन पक्ष ने कहा कि कॉल रिकॉर्ड और संदेशों को सत्यापित करने के लिए पुलिस को दोनों आरोपियों से एक साथ पूछताछ करने की आवश्यकता है. अभियोजन पक्ष ने कहा कि कॉल रिकॉर्ड और संदेशों को सत्यापित करने के लिए पुलिस को दोनों आरोपियों से एक साथ पूछताछ करने की आवश्यकता है.

न्यायपालिका पर जनता के भरोसे का सवाल

 

 

अभियोजन पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका से जुड़े अपराधों को अगर सख्ती से नहीं निपटा गया, तो वे जनता के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं. जांच अधिकारी ने भी कहा कि जांच अभी भी जारी है और न्यायाधीश काजी की गिरफ्तारी तक जमानत नहीं दी जानी चाहिए. तरंगे ने यह भी दलील दी कि वासुदेव ने खुद शिकायतकर्ता के सहयोगी से संपर्क किया था और रिश्वत मांगने के लिए अपना फोन नंबर साझा किया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने वासुदेव की जमानत याचिका खारिज कर दी.

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