1971 से लेकर बालाकोट तक... हर मिशन में तिरंगे की शान बढ़ाने वाला MiG-21 हुआ इतिहास का हिस्सा

भारतीय वायुसेना के सबसे पुराने और चर्चित लड़ाकू विमान MiG-21 को आज विदाई दे दी गई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे सिर्फ एक विमान नहीं बल्कि भारत-रूस की साझेदारी का प्रतीक और देश की वीरता का प्रतीक बताया है.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग-21 सिर्फ एक विमान नहीं, यह भारत और रूस के गहरे संबंधों का उदाहरण है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिग-21 सिर्फ एक विमान नहीं, यह भारत और रूस के गहरे संबंधों का उदाहरण है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

भारतीय वायुसेना का दिग्गज लड़ाकू विमान MiG-21 शुक्रवार को आधिकारिक रूप से वायुसेना से विदा हो गया. चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित भव्य समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि MiG-21 सिर्फ एक विमान नहीं बल्कि भारत-रूस के मजबूत रिश्तों और भारतीय वीरता का गवाह है.

रक्षा मंत्री ने इसे महान मशीन, राष्ट्रीय गौरव और रक्षा कवच बताया. उन्होंने कहा, MiG-21 के साथ हमारी गहरी भावनात्मक जुड़ाव रहा है. यह सिर्फ एक युद्ध में नहीं बल्कि हर ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बना और तिरंगे की शान बढ़ाई.

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युद्ध से बालाकोट तक रहा अहम योगदान

राजनाथ सिंह ने याद दिलाया कि 1971 का युद्ध, कारगिल संघर्ष, बालाकोट एयरस्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर... हर मौके पर MiG-21 ने अपनी ताकत साबित की. उन्होंने कहा, यह विदाई सिर्फ एक विमान की नहीं, बल्कि हमारे सामूहिक गर्व और उन यादों की विदाई है, जिसमें साहस और बलिदान की कहानियां लिखी गईं.

राजनाथ सिंह का कहना था कि हमें इससे गहरा लगाव है. लंबे समय से मिग-21 वीरतापूर्ण कार्यों का साक्षी रहा है. इसका योगदान किसी एक घटना या किसी एक युद्ध तक सीमित नहीं रहा. जब भी ऐतिहासिक मिशन हुए हैं, हर बार मिग-21 ने तिरंगे का सम्मान बढ़ाया है. इसलिए यह विदाई हमारी सामूहिक स्मृतियों, हमारे राष्ट्रीय गौरव और उस यात्रा की भी है, जिसमें साहस, बलिदान और उत्कृष्टता की गाथा लिखी गई है.

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आखिरी उड़ान में क्या खास...

समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने अंतिम उड़ान भरी. MiG-21 की आखिरी यूनिट 23 स्क्वाड्रन ‘Panthers’ थी. समारोह में आकाश गंगा स्काईडाइविंग टीम ने 8,000 फीट से छलांग लगाई. सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम ने रोमांचक हवाई करतब दिखाए. ‘पैंथर्स’ और ‘बादल’ फॉर्मेशन ने फ्लाईपास्ट कर विमान को सलामी दी. इस अवसर पर पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, बीएस धनोआ और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.

छह दशक की विरासत...

MiG-21 भारतीय वायुसेना में शामिल होने वाला पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था. 1960 के दशक से अब तक 870 से ज्यादा विमान खरीदे गए. 1965, 1971, कारगिल युद्ध और 2019 बालाकोट स्ट्राइक में इसकी निर्णायक भूमिका रही.

हालांकि, इस विमान का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा भी रहा है. कई हादसों की वजह से इसकी सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल उठे. इसके बावजूद, MiG-21 इतिहास में भारतीय वायुसेना के भरोसेमंद 'वर्कहॉर्स' के रूप में दर्ज है.

भारतीय वायुसेना ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, छह दशकों की सेवा, अनगिनत साहसिक कहानियां, एक ऐसा 'वर्कहॉर्स' जिसने आसमान में देश का गौरव बढ़ाया.
 

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