दो महीने की डेडलाइन... मनोज जरांगे पाटिल की वो शर्तें जिनकी बुनियाद पर मराठा आरक्षण का वादा किया गया है

अनशन खत्म करते हुए जरांगे ने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण की मांगें नहीं मानी जातीं तो उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा.

Advertisement
मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपना अनशन गुरुवार को तोड़ दिया है (फाइल फोटो) मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने अपना अनशन गुरुवार को तोड़ दिया है (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की आग गुरुवार को तब जाकर कम हुई, जब इस आंदोलन के लीडर मनोज जरांगे ने अना अनशन तोड़ा. हालांकि जरांगे ने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ दो महीने की छूट है. अगर तय समय में महाराष्ट्र सरकार इस बारे में सटीक निर्णय नहीं ले पाती है और मराठों को आरक्षण नहीं मिलता है तो आगे और बड़ा आंदोलन होगा. मनोज जरांगे ने यह भी जोड़ा कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो अगले आंदोलन में वह मुंबई का गला घोंट देंगे. लोगों तक सब्जियां नहीं पहुंचेंगी और रोजमर्रा की चीजों के लिए तरसना पड़ जाएगा. 

Advertisement

क्रमिक अनशन रहेगा जारी: जरांगे
बता दें कि गुरुवार को अनशन खत्म करते हुए, जरांगे ने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण की मांगें नहीं मानी जातीं तो उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा. जरांगे ने कहा, मैं सरकार से यह भी अपील करता हूं कि मराठों को आरक्षण आवंटित होने तक भर्ती न करें. हम आपको आखिरी अल्टीमेटम दे रहे हैं.

मराठवाड़ा का प्रश्न हल हो गया, लेकिन हम पूरे महाराष्ट्र में फैले सभी मराठों के लिए लड़ रहे हैं. हमने 40 साल तक संघर्ष किया है और इंतजार किया है. जब तक सरकार हमें आरक्षण नहीं दे देती, मैं रुकने वाला नहीं हूं. लेकिन मैं आपसे पूछ रहा हूं कि क्या हमें सरकार को और समय देना चाहिए या नहीं? मैं आप से पूछ रहा हूं. क्योंकि मैं आपके फैसले पर कायम हूं.'

Advertisement

जरांगे ने जनता की राय लेते हुए पहले उनसे कुछ सवाल पूछे. उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, हमें सरकार को कितना समय देना चाहिए. ये आपलोग बताइए. असल में सीएम शिंदे ने जस्टिस शिंदे कमेटी को इस मसल पर 24 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया है. वहीं धनंजय मुंडे ने इस पर कार्यवाही के लिए 8 दिन और मांगे हैं, जो कि 2 जनवरी तक है. इसीलिए जरांगे ने लोगों से इस पर राय ली. 

जरांगे द्वारा लोगों से पूछे गए सवाल...
क्या हमें सरकार को और समय देना चाहिए या नहीं? 
यह कितना समय होना चाहिए? 
क्या हमें उन्हें 24 दिसंबर तक का समय देना चाहिए?
क्या दो महीने का समय ठीक रहेगा. 

अगर टूटा वादा तो क्या होगा? मनोज जरांगे ने चेताया
बता दें कि, जस्टिस शिंदे कमेटी को 24 दिसंबर तक की मोहलत दी गई है. वहीं, मराठा नेता ने कहा कि मंत्री धनंजय मुंडे 8 दिन और मांग रहे हैं जो कि 2 जनवरी तक है. मराठा आरक्षण का उचित जीआर तैयार करने के लिए राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक का अतिरिक्त समय आवंटित किया गया है. पूरे महाराष्ट्र में काम करने के लिए उन्हें कम से कम 2 महीने चाहिए. अगर वे वादा तोड़ेंगे तो हम उन्हें हर जगह रोकेंगे. हम मुंबई की ओर चलेंगे. हम उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक काम बंद कर देंगे. हम कृषि उपज जैसे सब्जियां, दूध और अन्य चीजें उपलब्ध नहीं कराएंगे.

Advertisement

क्या है मनोज जरांगे की मांग?
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे की बहुत सीधी सी मांग है. वह बस इतना कह रहे हैं कि सरकार बिना देर किए मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करे. ये एक लाइन ही पूरे मराठा आंदोलन का आधार है. असल में कुनबी जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है. मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन हैदराबाद रियासत में शामिल था. अगर मराठों को कुनबी सर्टिफिकेट मिलता है तो उन्हें खुद ब खुद आरक्षण मिल जाएगा. मनोज जारांगे ने जब सितंबर में आंदोलन शुरू किया था तब सरकार से बातचीत के बाद उन्होंने 40 दिनों का अल्टीमेटम दिया था, उसके पूरा होते ही वह फिर धरने पर बैठ गए. जारांगे मराठाओं के लिए ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं.

मनोज जरांगे की मांगे...
1. जरांगे की पहली मांग है कि मराठा को फुलप्रूफ आरक्षण मिले. 
2. जब तक सभी मराठों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता, तब तक वह अपने घर की चौखट पर नहीं जाएंगे. 
3. कोटा आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज अपराधों को रद्द करने के लिए एक तारीख तय की जाए.
4. जारांगे ने गुरुवार को मांग रखी कि सरकार मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराए और कई टीमें तैनात करें.
5. मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने वाला एक सरकारी आदेश पारित किया जाना चाहिए और इसमें 'संपूर्ण' (महाराष्ट्र) शब्द शामिल किया जाना चाहिए.

Advertisement

मनोज जरांगे को क्या मिले आश्वासन?
आरक्षण की मांग पर अड़े मनोज जरांगे ने कहा कि हमें फुल प्रूफ आरक्षण चाहिए. यदि आप वादा तोड़ोगे तो मैं आपकी सरकार को एक मिनट भी नहीं दूंगा. 50 दिनों के बाद भी आपने मामले वापस नहीं लिए, जो अंतरवल्ली सराती के लोगों पर थोपा गया है. सीएम एकनाथ शिंदे ने हमसे कहा कि 2 दिन के अंदर हम सभी केस वापस ले लेंगे. अब मैं आपको बता रहा हूं कि तय समय में सभी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे.

सरकार के दिए आश्वासन...
1. दो दिन के अंदर हम सभी केस वापस ले लेंगे.
2. आरक्षण "एक या दो दिन में" नहीं दिया जा सकता है, लेकिन मराठा समुदाय को यह निश्चित रूप से मिलेगा.
3. समुदाय का पिछड़ापन अभी तक स्टैबलिश नहीं हुआ है,  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सबूत इकट्ठा करने का काम चल रहा है.
4. जल्दबाजी में लिया गया निर्णय न्यायिक जांच में टिक नहीं पाएगा और समुदाय के पिछड़ेपन को मापने के लिए एक नया आयोग बनाया जा रहा है.
5. सरकार ने लिया है 24 दिसंबर तक का वक्त, शिंदे कमेटी मराठा आरक्षण का उचित जीआर तैयार करने के लिए मिला अतिरिक्त समय, इसके तुरंत बाद होगा अमल

Advertisement

सरकार ने कुनबी सर्टिफिकेट देना शुरू किया, लेकिन धीमी है प्रक्रिया
इधर, महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन पहले ही कुनबी सर्टिफिकेट देना शुरू कर दिया है. इससे मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है. बुधवार को धाराशिव जिले से इसकी शुरुआत हुई है. एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह का पहला प्रमाण पत्र सबूत के आधार पर जिले के कारी गांव के सुमित माने को सौंपा गया था.

बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने पिछले महीने फैसला किया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे जिनके पास निज़ाम युग के राजस्व या शिक्षा के दस्तावेज हैं, जो उन्हें कुनबी के रूप में पहचानते हैं. मंगलवार को जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में अधिकारियों से कुनबियों के संदर्भ वाले पुराने दस्तावेजों का अनुवाद करने के लिए कहा गया था, जो कि उर्दू और 'मोदी' लिपि (जिसका उपयोग पहले के समय में मराठी भाषा लिखने के लिए किया जाता था) में लिखा गया था. कृषि से जुड़ा समुदाय कुनबी, महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण लेता है.  

धाराशिव में 40 अभिलेखों की पहचान
अकेले धाराशिव में 40 लाख अभिलेखों की जांच की गई. अधिकारी के मुताबिक कुल 459 कुनबी रिकॉर्ड मिले, जिनमें से 110 कारी गांव के हैं. अगले 8-10 दिनों में (आवेदकों को) ये प्रमाणपत्र जारी किए जाने हैं, जो रिकॉर्ड पाए जाते हैं, उन्हें जिला प्रशासन की वेबसाइट पर प्रमाणित प्रतियों के रूप में अपलोड किया जाता है. देरी सिर्फ दस्तावेजों को पहचनाने में हो रही है, जो कि उर्दू में या मोदी लिपि में हैं. ये पुरानी मराठी भाषी लिपि है. इसी वजह से प्रक्रिया कुछ धीमी है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement