मनमोहन सिंह: सादगी से भरे नेता, जिन्होंने भारत की दिशा बदल दी

डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, एक महान अर्थशास्त्री और सादगी से भरे नेता थे. उन्होंने 1991 में आर्थिक सुधारों और प्रधानमंत्री रहते कई ऐतिहासिक फैसलों से देश को नई दिशा दी.

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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज निधन हो गया. उनकी उम्र 92 साल थी. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में ऐसे शख्स के तौर पर दर्ज है, जिसने अपने काम से देश को नई पहचान दिलाई. आज देशभर में उनके जाने का दुख है.  

हमेशा काम में डूबे रहने वाले प्रधानमंत्री
  
मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. इन 10 सालों में उन्होंने कभी छुट्टी नहीं ली, सिवाय 2009 में जब उन्हें हार्ट की बाईपास सर्जरी करानी पड़ी. वो हर दिन 18 घंटे काम करते थे और करीब 300 फाइलें निपटाते थे. लेकिन उनके शांत स्वभाव की वजह से लोग उन्हें कमजोर नेता मानने लगे.  

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इतिहास मेरे साथ इंसाफ करेगा
  
जब 2014 में उन्होंने साफ कर दिया कि वो तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, तब उन्होंने कहा था, 'इतिहास मेरे साथ समकालीन मीडिया और विपक्ष से ज्यादा इंसाफ करेगा.' आज उनके जाने के बाद लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं.  

1991 का वो ऐतिहासिक फैसला
  
1991 में जब देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया. उस समय भारत पर भारी कर्ज था और विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था. मनमोहन सिंह ने एक बड़ा फैसला लिया और भारत को खुले बाजार की ओर ले गए. उन्होंने लाइसेंस-परमिट राज खत्म किया, टैक्स कम किए, विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और भारत में कारोबार करना आसान बनाया. उनका ये बयान आज भी याद किया जाता है:  

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'दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती, जिसका समय आ गया है.' इन फैसलों ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार दी. भारत पहली बार वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूत नजर आने लगा.  

प्रधानमंत्री के तौर पर बड़े फैसले

प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने कई अहम कदम उठाए.  

  • परमाणु समझौता: 2005 में उन्होंने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते की शुरुआत की. विपक्ष और वाम दलों ने इसका जमकर विरोध किया, लेकिन मनमोहन सिंह अड़े रहे.  
  • मनरेगा: उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) लागू की, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला.  
  • सूचना का अधिकार (RTI): जनता को सरकारी कामकाज में पारदर्शिता का अधिकार दिया.  
  • शिक्षा का अधिकार (RTE): हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार दिलाया.  

विवाद और चुनौतियां
  
उनके कार्यकाल में कई विवाद भी हुए. 2जी स्पेक्ट्रम, कोलगेट और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे घोटाले उनकी छवि पर धब्बा बने. हालांकि, इन घोटालों की जांच में आज तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला. 2008 में उनकी सरकार पर संकट आया जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया. लेकिन मुलायम सिंह और मायावती के समर्थन से उनकी सरकार बच गई.  

एक सादगी भरा जीवन
  
मनमोहन सिंह हमेशा अपने शांत स्वभाव और सादगी के लिए जाने गए. वो ना तो भाषणों में जोश दिखाते थे और ना ही किसी विवाद में पड़ते थे. उनका काम ही उनकी पहचान था. मनमोहन सिंह ने भारत को आर्थिक संकट से उबारा और देश को दुनिया में नई पहचान दिलाई. उन्होंने साबित किया कि बिना शोर मचाए भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं.  

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उनके निधन के साथ भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने सादगी, ईमानदारी और कर्मठता से देश की सेवा की.

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