'शांति चाहिए तो चुनी हुई सरकार बहाल कीजिए', मणिपुर के विधायकों का केंद्र को अल्टीमेटम

मणिपुर के विधायकों ने PM नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है. इस पत्र में भारतीय जनता पार्टी के 14 विधायकों के नाम शामिल हैं, जिनमें से तीन पहले जेडीयू से चुने गए थे और बाद में बीजेपी में विलय हो गए थे. इसके साथ ही नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के 3, नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के 2 और 2 निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं. इसके अलावा इन विधायकों को 10 कुकी-जो विधायकों का भी समर्थन हासिल है.

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मणिपुर के इम्फाल में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. मणिपुर के इम्फाल में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.

बेबी शिरीन / अनुपम मिश्रा

  • इम्फाल,
  • 30 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST

मणिपुर की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के करीब तीन महीने बाद अब 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में जल्द से जल्द सरकार बहाल करने की मांग की है. इन विधायकों ने चेतावनी दी है कि अगर 15 मई तक केंद्र ने सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो वे खुद सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं.

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इस पत्र में भारतीय जनता पार्टी के 14 विधायकों के नाम शामिल हैं, जिनमें से तीन पहले जेडीयू से चुने गए थे और बाद में बीजेपी में विलय हो गए थे. इसके साथ ही नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के 3, नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के 2 और 2 निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं. इसके अलावा इन विधायकों को 10 कुकी-जो विधायकों का भी समर्थन हासिल है.

नेतृत्व में कौन-कौन?

इस पहल की अगुवाई की है- केराओ विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक लौरेम्बम रमेश्वर मैतेई ने. उनके साथ विधायकों में पाओनाम ब्रोजेन (वांगजिंग तेंथा), टी. रोबिन्द्रो सिंह (थांगा), एमडी अचब उद्दीन (जिरीबाम), जे. कुमो शा (करोंग) और राम मुइवाह (उखरूल) आदि प्रमुख हैं.

क्या कहा गया है पत्र में?

विधायकों ने पत्र में कहा है कि 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद जनता ने उम्मीद जताई थी कि हालात सुधरेंगे, लेकिन तीन महीने बाद भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. पत्र में यह भी कहा गया कि जनता के बीच फिर से हिंसा भड़कने की आशंका बढ़ रही है और कई सामाजिक संगठन राष्ट्रपति शासन का विरोध कर रहे हैं. इन विधायकों पर जनता द्वारा सरकार न बनाने के लिए दोष भी मढ़ा जा रहा है.

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विधायकों ने बढ़ती अशांति पर भी चिंता जताई. पत्र में कहा गया कि कई संगठनों ने राष्ट्रपति शासन का विरोध करना शुरू कर दिया है और सरकार गठन की मांग कर रहे हैं. सार्वजनिक रैलियां और सड़क सभाएं आयोजित की जा रही हैं, जहां सत्तारूढ़ विधायकों पर सरकार बनाने का दावा ना करने और राष्ट्रपति शासन लागू करने का आरोप लगाया जा रहा है.

एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद उथल-पुथल

9 फरवरी को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने आंतरिक मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया था. उसके कुछ ही दिन बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था और विधानसभा को 'सस्पेंडेड एनीमेशन' में डाल दिया गया था.

सरकार बनाने का दावा 15 मई के बाद?

पत्र में कहा गया है कि हमारा मानना ​​है कि मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने का एकमात्र तरीका एक लोकप्रिय सरकार स्थापित करना है. विधायकों ने लिखा, यदि एक लोकप्रिय सरकार बहाल होती है तो हम शांति बहाल करने के लिए अपनी पूरी प्रतिबद्धता और समर्पण का आश्वासन देते हैं.

विधायकों के अनुसार, अब उनके पास कुल 32 विधायकों का समर्थन है. एक विधायक ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, अगर 15 मई तक दिल्ली से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया तो हम खुद सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.

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