'घटनास्थल से भागना मानसिकता दर्शाता है', करूर हादसे पर एक्टर विजय को हाईकोर्ट की फटकार

अदालत एक जनहित याचिका (PIL) पर भी सुनवाई कर रही है, जिसमें गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को व्यापक दिशा-निर्देश या मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार होने तक रोड शो की अनुमति न देने का अनुरोध किया गया है. पीठ ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया, जो इस घटना की जांच करेगा.

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करूर भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी. (File Photo- PTI) करूर भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी. (File Photo- PTI)

अनघा / प्रमोद माधव

  • चेन्नई,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 9:58 PM IST

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने करूर भगदड़ के सिलसिले में तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) नेताओं को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि पार्टी प्रमुख विजय घटनास्थल से भाग गए और पार्टी ने खेद भी नहीं जताया. यह विजय (अभिनेता-राजनेता) की मानसिक स्थिति को दर्शाता है. 

न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार ने टिप्पणी की कि भगदड़ में 41 लोगों की मौत हुई और इसका गलत तरीके से प्रबंधन किया गया. उन्होंने कहा कि राज्य विजय के प्रति नरमी दिखा रहा है, जबकि सभी ने वीडियो-तस्वीरें देखी हैं. 

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अदालत ने आयोजकों और पुलिस, दोनों से जवाब मांगा कि जिम्मेदारी किसकी है? न्यायमूर्ति ने सवाल उठाया, “एक इवेंट आयोजक होने के नाते क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है?”

अदालत ने इस पर गहरी नाराजगी जताई कि राज्य विजय के प्रति नरमी बरत रहा है और टिप्पणी की कि घटना के वक्त विजय भगदड़ स्थल से भाग गए. कोर्ट ने कहा कि टीवीके ने पछतावा तक नहीं जताया. टीवीके नेता मौके से गायब हो गए और ये विजय की मानसिक स्थिति को दर्शाता है.

SIT गठन का आदेश

पीठ ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया, जो इस घटना की जांच करेगा. साथ ही, अदालत ने TVK नेताओं बस्सी आनंद और CTR निर्मल कुमार की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया था और शाम को याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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दरअसल, अदालत एक जनहित याचिका (PIL) पर भी सुनवाई कर रही थी, जिसमें गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को व्यापक दिशा-निर्देश या मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार होने तक रोड शो की अनुमति न देने का अनुरोध किया गया है.

नेताओं की दलीलें

वरिष्ठ अधिवक्ता वी. राघवाचारी, जो आनंद और निर्मल कुमार की ओर से पेश हुए, ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का अपने ही कार्यकर्ताओं को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था और इस घटना को गैर-इरादतन हत्या के रूप में नहीं देखा जा सकता.

उन्होंने पुलिस पर पर्याप्त सुरक्षा न देने का आरोप लगाया और कहा कि स्थल याचिकाकर्ताओं ने नहीं चुना था. उन्होंने कहा, “अगर वेलुसामिपुरम आपत्तिजनक था, तो पुलिस को याचिकाकर्ताओं का अनुरोध खारिज कर देना चाहिए था.”

अधिवक्ता राघवाचारी ने दावा किया कि भीड़ केवल लाठीचार्ज के बाद बेकाबू हुई. उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे हालात में लाठीचार्ज की जरूरत ही क्यों पड़ी? याचिकाकर्ताओं ने सभी नियमों का पालन किया और यह भी बताया कि अनुमति केवल कार्यक्रम से एक दिन पहले ही दी गई थी.

उन्होंने आगे कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने की पूरी जिम्मेदारी राज्य की थी. रैली पूरी तरह से व्यवस्थित थी जब तक कि पुलिस ने हस्तक्षेप नहीं किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भीड़ पर रसायन फेंके गए, जिससे लोग बेहोश हो गए.

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वकील ने इस बात पर जोर दिया कि आधिकारिक आयोजक मथियाझगन को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और आनंद तथा निर्मल कुमार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती.

राज्य सरकार ने दी ये दलील

अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) जे. रविंद्रन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि TVK ने भीड़ को गुमराह किया. पार्टी ने ट्वीट कर कहा था कि कार्यक्रम दोपहर 12 बजे शुरू होगा, जबकि पुलिस ने अनुमति दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक के लिए दी थी.

उन्होंने यह भी बताया कि TVK रैली के लिए 559 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जबकि कुछ दिन पहले उसी स्थल पर एआईएडीएमके प्रमुख एडप्पाडी के. पलानीस्वामी के अभियान के लिए केवल 137 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे.

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