कांग्रेस का मेनिफेस्टो ड्राफ्ट तैयार, लागू कर सकती है सच्चर कमेटी की सिफारिशें

कुछ महीनों बाद देश में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने घोषणापत्र का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. जानकारी के मुताबिक पार्टी अपने मेनिफेस्टो में सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करने का वादा कर सकती है.

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कांग्रेस का मेनिफेस्टो ड्राफ्ट हुआ तैयार (फाइल फोटो) कांग्रेस का मेनिफेस्टो ड्राफ्ट हुआ तैयार (फाइल फोटो)

राहुल गौतम

  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के लिए कांग्रेस अपने घोषणापत्र का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय को भी लुभाने की कोशिस की है. जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अपने मेनिफेस्टो में सच्चर कमेटी (Sachar Committee) की सिफारिशों को लागू कर सकती है. हालांकि, सच्चर कमेटी को मेनिफेस्टो में शामिल करने पर अंतिम फैसला कांग्रेस वर्किंग कमेटी के द्वारा पारित होना अभी बाकी है. 

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क्या है सच्चर कमेटी रिपोर्ट?
सच्चर कमेटी मार्च 2005 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बनाई गई सात सदस्यों वाली उच्च स्तरीय कमेटी थी. यह कमेटी भारत में मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर स्टडी करने के लिए बनाई गई थी. सच्चर कमेटी की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राजिंदर सच्चर ने की थी. 

9 मार्च, 2005 को मानवाधिकारों के जाने-माने समर्थक जस्टिस राजिंदर सच्चर के नेतृत्व में कमेटी का गठन हुआ था. इस कमेटी में सच्चर के अलावा शिक्षाविद्‌ और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सैयद हामिद, सामाजिक कार्यकर्ता जफर महमूद भी थे. अर्थशास्त्री एवं नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के सांख्यिकीविद्‌ डॉ. अबुसलेह शरीफ इस कमेटी के सदस्य सचिव थे.

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सैकड़ों पेज की रिपोर्ट

403 पेज की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को 30 नवंबर, 2006 में लोकसभा में पेश की गई थी. आजाद भारत में यह पहला मौका था, जब देश के मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक हालात पर किसी सरकारी कमेटी द्वारा तैयार रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी. सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में ही कहा है कि भारत में मुसलमानों के बीच वंचित होने की भावना काफी आम है, देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति के विश्लेषण के लिए आजादी के बाद से किसी तरह की ठोस पहल नहीं की गई है. सच्चर कमेटी में सामने आया था कि मुसलमानों का एक वर्ग एससी/एससी से भी बहुत पीछे है.

समिति ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी और इसको 30 नवंबर 2006 को पब्लिक डोमेन में उपलब्ध करवा दिया गया था.

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सच्चर कमेटी रिपोर्ट की अहम बातें

  • मुस्लिम समुदाय के समक्ष आने वाली समस्याओं और उनके प्रति समाज के भेदभावपूर्ण रवैये के साथ-साथ इस स्थिति से उभरने हेतु कुछ जरूरी समाधान.
  • मुस्लिम परिवारों और समुदायों के लिए तय फंड और सेवाएं उन इलाकों में भेज दी जाती हैं, जहां मुसलमानों की संख्या कम है या न के बराबर है.
  • स्कूल, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र, सस्ते राशन की दुकान, सड़क और पेयजल सुविधा जैसे संकेतकों के डाटा से जाहिर होता है कि एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों के आबादी वाले गांवों और आवासीय इलाकों में इन चीजों की काफी कमी है. मुस्लिम समुदाय को अनुसूचित जाति और जनजाति के पिछड़ा बताया गया.
  • उस वक्त देश की प्रशासनिक सेवा में मुसलमानों की भागेदारी 3 फीसदी आईएएस और 4 फीसदी आईपीएस. पुलिस बल में मुसलमानों की भागेदारी 7.63 फीसदी. रेलवे में केवल 4.5 प्रतिशत मुसलमान कर्मचारी थे, जिनमें से 98.7 प्रतिशत निचले पदों पर हैं.
  • सरकारी नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्व सिर्फ 4.9 प्रतिशत बताया गया था. कहा गया कि मुसलमानों की साक्षरता की दर भी राष्‍ट्रीय औसत बाकी समुदाय से कम है.

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क्या थीं सच्चर कमेटी की अहम सिफारिशें?
शि‍क्षा सुवि‍धा: 14 साल तक के बच्‍चों को फ्री और उच्‍च गुणवत्‍ता वाली शि‍क्षा उपलब्‍ध कराना, मुस्‍लि‍म बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्‍कूल खोलना, स्कॉलरश‍िप देना, मदरसों का आधुनि‍कीकरण करना.
रोजगार: रोजगार के क्षेत्र में मुसलमानों का हिस्सा बढ़ाना, मदरसों को हायर सेकंडरी स्कूल बोर्ड से जोड़ने की व्यवस्था बनाना.
लोन सुवि‍धा- प्राथमि‍कता वाले इलाकों के मुसलमानों को लोन सुवि‍धा उपलब्‍ध कराना और प्रोत्‍साहन देना, मुस्‍लि‍म बहुल क्षेत्रों में और बैंक शाखाएं खोलना, महि‍लाओं के लि‍ए सूक्ष्‍म वि‍त्‍त को प्रोत्‍साहि‍त करना.
कौशल वि‍कास: मुस्‍लि‍म बहुल इलाकों में कौशल वि‍कास के लि‍ए आईटीआई और पॉलि‍टेक्‍नि‍क संस्‍थान खोलना.
वक्‍फ: वक्‍फ संपत्‍ति‍यों आदि का बेहतर इस्‍तेमाल.
वि‍शेष क्षेत्र वि‍कास की पहलें: गांवों/शहरों/बस्‍ति‍यों में मुसलमानों सहि‍त सभी गरीबों को बुनि‍यादी सुवि‍धाएं, बेहतर सरकारी स्‍कूल, स्‍वास्‍थ्‍य सुवि‍धाएं उपलब्‍ध कराना. चुनाव क्षेत्र के परिसीमन प्रक्रिया में इस बात का ध्यान रखना कि अल्पसंख्यक बहुल इलाकों को एससी के लिए आरक्ष‍ित न किया जाए.

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