लेह के जिला मजिस्ट्रेट ने सोनम वांगचुक की हिरासत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. मजिस्ट्रेट ने कहा है कि याचिका में लगाए गए अवैध हिरासत के आरोप बेबुनियाद हैं. सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी वैध प्रक्रिया का पालन करते हुए नियमित तरीके से की गई है. उन्हें नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA), 1980 के तहत हिरासत में लिया गया है.
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई राज्य की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, और सामुदायिक अनिवार्य सेवाओं को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के आधार पर की गई है.
लेह के SHO ने टेलीफोन के जरिए सोनम वांगचुक की पत्नी को गिरफ्तारी और उसके आधार की जानकारी दी थी. मजिस्ट्रेट ने हलफनामे में कहा है कि हिरासत की जानकारी न देने के आरोप गलत हैं और अदालत को गुमराह करने वाले हैं. सोनम भी कह चुके हैं कि जांच की जाए और वह जोधपुर जेल में जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.
जेल में मेडिकल और विरोध पर चुप्पी
हिरासत के 15 दिन गुजर जाने के बावजूद सोनम वांगचुक की ओर से हिरासत के विरोध में कोई ज्ञापन नहीं दिया गया है. जेल में उनका मेडिकल परीक्षण भी कराया गया है. परीक्षण के दौरान सोनम ने डॉक्टरों को बताया था कि वह कोई नियमित दवा नहीं लेते हैं. न तो सोनम और न ही उनकी पत्नी ने किसी बीमारी या उसकी कोई दवा का जिक्र किया है.
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NSA के तहत गिरफ्तारी के संतोषजनक आधार
जिला मजिस्ट्रेट ने कहा है कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत की गई है. उनके खिलाफ राज्य की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और अनिवार्य सेवाओं को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल होने के आधार हैं, जो NSA के तहत हिरासत में लेने के लिए संतोषजनक हैं.
संजय शर्मा