कर्नाटक की कुर्सी की रेस फिर दिल्ली में... तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी पहुंचेंगे सिद्धारमैया-शिवकुमार

कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भले ही सिद्धारमैया विराजमान हों और पांच साल तक कुर्सी पर बने रहने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ डीके शिवकुमार पावर शेयरिंग फॉर्मूले के तहत सीएम की कुर्सी पर नजर लगाए हुए हैं. इसके चलते कांग्रेस के दोनों नेता तीसरी बार दिल्ली पहुंचे हैं.

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कर्नाटक सीएम को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में संग्राम (Photo-PTI) कर्नाटक सीएम को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में संग्राम (Photo-PTI)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 25 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST

कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में कशमकश में है. सीएम सिद्धारमैया पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की दम भर रहे हैं तो डीके शिवकुमार ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की याद दिला रहे हैं. इस तरह सीएम सिद्धरमैया और डिप्टी सीएम शिवकुमार दिल्ली पहुंचे हैं. सीएम की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के दोनों नेता तीसरी बार दिल्ली दरबार में दस्तक देंगे. ऐसे में सवाल है कि सिद्धारमैया पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे या फिर डीके शिवकुमार की ताजपोशी होगी?

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2023 में कर्नाटक की सियासी बाजी जीतने के बाद कांग्रेस ने सीएम की कुर्सी सिद्धरमैया को सौंपी थी तो डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था. सिद्धारमैया कर्नाटक में सबसे ज्यादा लंबे तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते हैं, लेकिन इस राह में डीके शिवकुमार सियासी अड़चन बन रहे हैं.

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार कांग्रेस के पावर शेयरिंग के ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले के सहारे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव चल रहे हैं. सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ही कांग्रेस के सामाजिक न्याय वाले कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं, लेकिन पार्टी हाईकमान से भी मिलेंगे. हाल के दिनों दोनों नेताओं की यह तीसरी दिल्ली यात्रा है. ऐसे में देखना है कि सीएम को लेकर कांग्रेस नेतृत्व क्या रास्ता निकालता है?

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दिल्ली दरबार में फिर दस्तक

कांग्रेस के ओबीसी मोर्चा के कार्यक्रम 'भागीदारी न्याय सम्मेलन' में शिरकत करने सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार दिल्ली पहुंचे हैं. सूत्रों का कहना है कि इस दौरान दोनों नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. पिछले दिल्ली दौरे में सिद्धारमैया को राहुल गांधी से मिलने का समय नहीं मिला था.

सिद्धारमैया चाहते हैं कि अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करें जबकि डीके शिवकुमार के समर्थक उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी की मांग कर रहे हैं. पिछली बार दिल्ली दौरे पर आए थे तो सिद्धारमैया ने कहा था , 'मैं कर्नाटक का मुख्यमंत्री हूं. कोई वैकेंसी नहीं है.' उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आलाकमान का फैसला अंतिम होगा.

वहीं, शिवकुमार ने सावधानी से जवाब देते हुए कहा था, 'मुख्यमंत्री जो कहते हैं, वही अंतिम है. मैं पार्टी और नेतृत्व के प्रति वफादार हूं.' दिल्ली फिर एक बार आए कांग्रेस के दोनों नेता पार्टी नेतृत्व से मिलेंगे तो सत्ता शेयरिंग को लेकर भी बात होगी. इस तरह दिल्ली दरबार से ही कर्नाटक के सीएम की कुर्सी का फैसला होना है.

कांग्रेस हाईकमान के पाले में गेंद

कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सियासी तलवारें खिंच गई थी. कांग्रेस ने तब शिवकुमार को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बनाए रखकर मामला सुलझा लिया था. उस समय कहा गया था कि ढाई-ढाई साल के लिए सत्ता साझेदारी का फॉर्मूला तय हुआ है, लेकिन कांग्रेस की तरफ से अधिकारिक तौर पर इस बात का ऐलान नहीं किया था.

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डीके शिवकुमार के समर्थक कथित पावर शेयरिंग फॉर्मूले के तहत सिद्धारैमाया की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है. डीके शिवकुमार कांग्रेस हाईकमान के ऊपर छोड़ रखा है. डीके शिवकुमार धैर्य के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. वह पार्टी और गांधी परिवार के खिलाफ कोई स्टैंड नहीं लेना चाहते हैं, जिसके लिए बहुत ही सावधानी के साथ हाईकमान की बात बनने की बात कह रहे हैं.

सिद्धारमैया मौके का उठा रहे फायदा?

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार नवंबर में ढाई साल पूरे कर लेगी. इस तरह पॉवर शेयरिंग के फॉर्मूले के तहत सिद्धारमैया को सीएम पद छोड़ना होगा, लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर वो जनवरी 2026 तक कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड देवराज उर्स का तोड़ चाहते हैं. इसीलिए पांच साल सीएम रहने का बात वह कर रहे हैं.

सिद्धारमैया कांग्रेस की बदली सियासत और ओबीसी की पॉलिटिक्स पर फोकस देखते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पांच साल तक बने रहने का दावा कर रहे हैं. सीएम सिद्धारमैया इस बात को जानते हैं कि बिहार चुनाव है, ओबीसी वोटों के चलते कांगेस का उन्हें हटाना आसान नहीं है. सिद्धारमैया को कांग्रेस ने पिछले दिनों ओबीसी सलाहकार परिषद का सदस्य बनाया गया है, जिसकी पहली बैठक उनकी अध्यक्षता में हुई.

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वहीं, शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के बड़े नेता हैं और पुराने मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस की जीत में उनकी भूमिका अहम रही. 2024 के लोकसभा चुनाव में वोक्कालिगा समुदाय का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है. माना जाता है कि यही वजह है कि सिद्धारमैया को अपनी कुर्सी सुरक्षित नजर आ रही है और डीके शिवकुमार को कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी बेचैन कर रही है. ऐसे में देखना है कि तीसरी बार दिल्ली आए कांग्रेस के दोनों नेताओं का हाईकमान किस तरह से सियासी संतुलन बनाने की कवायद करता है.

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