अगर भारत ने लिया ये फैसला तो और बढ़ जाएंगी कनाडा की मुश्किलें

भारत सरकार ने हाल ही में कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा सर्विस को सस्‍पेंड कर दिया है. यह कदम कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संसद में दिए गए उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार पर आरोप लगाया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खी आ गई.

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जस्टिन ट्रूडो और पीएम मोदी जस्टिन ट्रूडो और पीएम मोदी

युद्धजीत शंकर दास

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:39 PM IST

भारत और कनाडा के संबंधों में आज जिस तरह की खटास पैदा हो गई है. उससे न सिर्फ राजनियक रिश्ते तल्ख हुए हैं बल्कि लाखों भारतीय छात्रों में एक डर और संशय बना हुआ है. कनाडा में रह रहे भारतीय छात्रों के समुदाय में एक अजीब से बेचैनी है. इसके अलावा उन छात्रों में भी चिंता बढ़ी है, जो कनाडा में पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं. दोनों देशों में टकराव के बीच यह स्पष्ट है कि अब भारत ऐसी स्थिति में है, जहां वह कनाडा की दुखती रग दबा सकता है.

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भारत सरकार ने हाल ही में कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा सर्विस को सस्‍पेंड कर दिया है. यह कदम कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संसद में दिए गए उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार पर आरोप लगाया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खी आ गई. कनाडा ने भारत के राजनयिक को तुरंत निष्कासित कर दिया, जिसका जवाब देते हुए भारत ने भी उसके राजदूत को बाहर का रास्ता दिखा दिया. 

इसके बाद बुधवार को खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्नून ने एक धमकी भरा वीडियो जारी कर भारतीय मूल के कनाडाई हिंदुओं को भारत लौटने की धमकी दे दी, जिससे मामले ने एक अलग मोड़ ले लिया.

भारतीय छात्रों में है अजीब सी बेचैनी

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में गतिरोध से कनाडा में रह रहे भारतीय समुदाय के छात्रों और भारत में उनके परिजनों में अजीब से बेचैनी और चिंता बनी हुई है. कनाडा के इमिग्रेशन एक्सपर्ट ने बताया कि हमें भारत से ऐसे परिजनों के बहुत सारे कॉल आ रहे हैं, जिनके बच्चे कनाडा में पढ़ाई कर रहे हैं. वे अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. हम उन्हें आश्वासन दे रहे हैं कि स्थितियों में सुधार होगा. लेकिन हम यह भी जानते हैं कि इस डर और तनाव को दूर करना दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर करता है. लेकिन फिलहाल कनाडा और भारत के बीच राजनयिक संबंधों में गिरावट से तनाव चरम पर पहुंच गया है.

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इस बीच कनाडा के ब्रैम्पटन में पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने कहा कि आजकल भारतीय समुदाय के छात्रों के बीच खालिस्तानी धमकियां और ट्रूडो का बयान चर्चा का केंद्र है. कनाडा में वर्क परमिट पर काम करने वाले लुधियाना के युवाओं का कहना है कि उन्हें पहली बार यह सोचने को मजबूर होना पड़ा है कि क्या वाकई कोई खतरा है. लेकिन खालिस्तानी तत्वों के डर की वजह से नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद पर भरोसा जताया.

उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ अपने छात्रों को सकुशल बाहर निकाला है बल्कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से भी अपने छात्रों को निकालने में कामयाब रही है. इंडिया बैठी है, उन पर भरोसा है. 

भारत जानता है कि उसका पलड़ा भारी है

ब्रैम्पटन में पढ़ाई कर रहे इस भारतीय छात्र का विश्वास गलत नहीं है. भारत जानता है कि उसका पलड़ा भारी है और अगर वह चाहे तो कनाडा की दुखती रग दबा सकता है. भारतीय मूल के एक स्वतंत्र कनाडाई पत्रकार दक्ष पवार ने कहा कि अगर भारत कनाडा संबंध और खराब होते हैं तो भारत, कनाडा जाने वाले छात्रों पर रोक लगा सकता है. इतना ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से हर साल कनाडा की अर्थव्यवस्था में 30 अरब डॉलर आता है. इससे अन्य सेक्टर्स पर भी असर पड़ सकता है. उदाहरण के लिए हाउसिंग सेक्टर पर इसका असर पड़ सकता है. कनाडा के प्रमुख महानगरों ग्रेटर टोरंटो एरिया (जीटीए), ग्रेटर वैंकूवर एरिया, कल्गरी में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र रहते हैं, जिनसे होने वाली आय का कनाडा की अर्थव्यवस्था में अच्छा खासा हिस्सा है.

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द ग्लोबल और मेल ने हाल ही में अपने एक लेख में यह आशंका जताई थी कि भारत के साथ तनाव बढ़ने से कनाडा में चिंताएं बढ़ रही हैं कि अब कम ही भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ना चाहेंगे. इन चिंताओं को इन तथ्यों और आंकड़ों से समझा जा सकता है.

कनाडा में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र सबसे अधिक

कनाडा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा में पढ़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. मौजूदा समय में कनाडा में पढ़ रहे आठ लाख अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से लगभग 40 फीसदी भारतीय हैं. कनाडा में भारतीय छात्र कनाडा के छात्रों की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक फीस का भुगतान करते हैं. इस तरह से कनाडा का पूरा प्राइवेट कॉलेज ईकोसिस्टम भारतीयों द्वारा ही फंडिंड है. ऐसे में अगर भारत सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए तो यह पूरा सिस्टम ढह जाएगा.

कनाडा की ऑडिटर जनरल बॉनी लिंस्क का कहना है कि कनाडा की अर्थव्यवस्था में देश में पढ़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का बहुत बड़ा हाथ है. अगर कुछ देशों ने अपने छात्रों को कनाडा भेजने से इनकार कर दिया तो इससे कनाडा के राजस्व को झटका लग सकता है. 

आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में कनाडा में 5.5 लाख अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र भारत से थे. कनाडा में 3.2 लाख भारतीय स्टूडेंट वीजा पर कनाडा में रह रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बहुत मदद मिल रही है. ऐसे में यह कहना सही होगा कि संबंधों में यह तल्खी कनाडा को भारी भी पड़ सकती है.

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