'कोर्ट में तारीख पर तारीख कल्चर को बदलना पड़ेगा' जानें क्यों बोले SC के जज चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा है कि तारीख पर तारीफ वाले कल्चर को बदलना पड़ेगा. उनके मुताबिक सभी जज फाइलें पढ़ने में काफी समय लगाते हैं. लेकिन फिर भी बाद में वकील तारीख बढ़ाने की मांग कर देते हैं. ये सही नहीं है.

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST

देश की अदालतों में मामले तो आते रहते हैं लेकिन सुनवाई का समय नहीं मिलता. इस वजह से सालों तक कई मामलों में कोई फैसला नहीं आता और न्याय मिलने में देरी होती रहती है. अब इसी परंपरा से जस्टिस चंद्रचूड़ खफा हो गए हैं. एक मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दो टूक कह गए हैं कि तारीख पर तारीख वाले कल्चर को बदलना पड़ेगा.

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असल में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ एक मामले में सुनवाई कर रहे थे. तब वकील ने आगे की डेट पर सुनवाई की मांग कर दी. कहा गया कि उन्हें और ज्यादा समय चाहिए. बस इसी बात से जस्टिस चंद्रचूड़ खफा हो गए और उन्होंने तारीख पर तारीख वाले बयान का जिक्र कर दिया. उन्होंने कहा कि हम मामले को स्थगित नहीं करने वाले हैं. आपको आज ही बहस करनी होगी. हम सुप्रीम कोर्ट की तारीख पर तारीख वाली इमेज बदलनी पड़ेगी. ये सर्वोच्च अदालत है, इसका सम्मान किया जाना चाहिए. हम लोग सिर्फ फाइलें पढ़ने में कितना टाइम निकाल देते हैं. इसके बाद वकील आकर कहते हैं कि उन्हें सुनवाई आगे बढ़वानी है. ये ठीक नहीं है.

वैसे कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मानते हैं कि किसी भी मामले में सिर्फ तीन बार ही सुनवाई को आगे बढ़ाना चाहिए. ऐसा होने से फैसलों में आ रही देरी पर विराम लगेगा. अब ये मुद्दा कितना जरूरी है, इसे ऐसा समझा जा सकता है कि अगर वर्तमन रफ्तार से मामलों की सुनवाई होती रही, तो सभी केसों को पूरा होने में 324 सालों का वक्त चला जाएगा. इस समय भी अकेले सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार के करीब मामले पेंडिंग चल रहे हैं.

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अब ये कोई पहली बार नहीं है जब ये मुद्दा उठाया गया है. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग मामलों का मुद्दा उठ चुका है. सरकारें भी समय-समय पर चिंता व्यक्त कर चुकी हैं. लेकिन जमीन पर इसके निस्तारण के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जाता है.


 

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