सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पेश किया गया और पूरे दिन चर्चा के बाद रात में बिल 131 वोटों के साथ पास हो गया. इस बिल के विरोध में विपक्षी गठबंधन INDIA की ओर से सिर्फ 102 पड़े. कुछ विपक्षी सांसद ऐसे भी थे जो INDIA गठबंधन का हिस्सा तो थे लेकिन जिन्होंने वोट नहीं डाला. इनमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश राय, कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल, रालोद सांसद जयंत चौधरी और AAP के निलंबित सांसद संजय सिंह ने वोट नहीं डाला.
ऐसे में सवाल यह है कि जयंत चौधरी का दिल्ली सर्विसेज बिल पर राज्यसभा में वोट नहीं देना क्या महज इत्तेफाक है या फिर सोची समझी रणनीति. सवाल उठ रहे हैं क्योंकि जब पूरी विपक्षी एकता इस बिल के खिलाफ संसद में दिखाई दी थी तो ऐसा क्या था कि इंडिया गठबंधन में रहते हुए जयंत चौधरी ने बिल के खिलाफ वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
'सूट सिलवा लें जयंत'
इस बीच चर्चा यह भी चली कि जयंत चौधरी की बीजेपी से बातचीत हो रही है और यही वो वजह है जिसकी वजह से उन्होंने वोट नहीं दिया. यूपी सरकार के मंत्री जी.पी.एस राठौड़ ने तो यहां तक कह दिया कि अब जयंत चौधरी सूट सिलवा लें. यानी केंद्र में मंत्री बनने के लिए तैयार रहें, तो ओमप्रकाश राजभर ने भी कह डाला कि मैं तो पहले से कह रहा हूं की जयंत आएंगे, राजभर ने यह भी कहा कि जब मैं कह रहा था कि दारा सिंह चौहान आएंगे तो कोई नहीं मान रहा था. लेकिन वह आए अब आगे देखिए!
क्या सच यही है या कहानी कुछ और है?
दिल्ली सर्विसेज बिल पर जयंत चौधरी ने वोट क्यों नहीं डाला. ये सवाल जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से पूछा गया तो वे बोले कि यह तो जयंत ही बताएंगे कि उन्होंने वोट क्यों नहीं डाला. यानी वोट नहीं डालने पर यह चर्चा शुरू हो चुकी है कि जयंत बीजेपी का रुख कर सकते हैं. लेकिन क्या यही सच है या कहानी कुछ और है?
RLD ने जारी की सफाई
दरअसल संसद में विधेयक के खिलाफ वोट नहीं डालने पर आरएलडी की तरफ से सफाई आई है. उसमें कहा गया है कि जयंत चौधरी की पत्नी अस्पताल में थीं और इस वजह से वह संसद में वोटिंग में नहीं शामिल हो सके. उन्हें परिवार के साथ उस वक्त रहना जरूरी था.
दिल्ली में रहते हुए वोट देने नहीं पहुंचे जयंत
विपक्ष को इस दिन संसद में रहने के लिए व्हिप जारी किया गया था. इसी के चलते पूर्व पीएम मनमोहन सिंह व्हील चेयर पर आए तो बेहद बुजुर्ग शिबू सोरेन सहारे के साथ वोट देने संसद आए थे. लेकिन जयंत चौधरी दिल्ली में रहते हुए संसद में नहीं गए. दरअसल जयंत चौधरी के वोट न डालने की कहानी दिलचस्प बताई जा रही है, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं है.
चर्चा में ये वजह
वहीं दूसरी ओर बिल पर वोट नहीं डालने की सबसे बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि आम आदमी पार्टी ने दूसरे दलों की तरह इस बिल पर समर्थन के लिए जयंत चौधरी को कोई भाव नहीं दिया था. यानी अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष के सभी बड़े नेताओं से खुद मुलाकात कर उनसे इस विधेयक पर समर्थन मांगा था. लेकिन जयंत चौधरी को सपा गठबंधन के कोटे में मान लिया गया और अरविंद केजरीवाल तो दूर उनके किसी बड़े नेता ने भी जयंत चौधरी से मिलकर समर्थन नहीं मांगा. माना जा रहा है कि यही बात जयंत चौधरी को खल गई थी. पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि जयंत चौधरी से सीधे समर्थन ना मांगना, आम आदमी पार्टी की बड़ी भूल थी.
अब दिलचस्प बात यह है कि क्या समर्थन नहीं मांगना यह महज आम आदमी पार्टी की तरफ से भूल थी या फिर एक रणनीति का हिस्सा. यानी सोच समझकर उठाया हुआ कदम? इस बीच एक चर्चा यह भी है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी अपने आप को सबसे बड़ा नेता मानते हैं. वे जाट बिरादरी में भी अपनी चौधराहट बनाए रखना चाहते हैं और अगर उनसे समर्थन नहीं मांगा गया तो वह खुद से आगे बढ़कर समर्थन दे देंगे इसकी उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए. हालांकि आम आदमी पार्टी के सूत्रों की माने तो बेंगलुरु की बैठक में जयंत चौधरी से समर्थन लेने की बात हुई थी. लेकिन जैसे अलग-अलग नेताओं से वक्त लेकर मुलाकात करके समर्थन मांगा गया, ऐसे जयंत चौधरी से नहीं मांगा गया.
AAP से गठबंधन RLD के लिए फायदे का सौदा?
वहीं आरएलडी को जानने वाले यह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी और आरएलडी के टकराव की एक वजह भी है कि आम आदमी पार्टी अखिलेश यादव के जरिए गठबंधन में प्रवेश कर गाजियाबाद और मेरठ जैसी सीटें चाहती है. जबकि आरएलडी भी इन सीटों पर दावा कर रही है. ऐसे में जयंत चौधरी को आम आदमी पार्टी से कोई खास फायदा नजर नहीं आता और पश्चिम में उन्होंने अपने समीकरण बुनने शुरू कर दिए.
लेकिन माना जा रहा है सबसे बड़ी वजह यही है कि विपक्ष के गठबंधन में जयंत चौधरी को बड़े नेताओं की तरह आम आदमी पार्टी ने तवज्जो नहीं दी और और यही वोट न डालने की सबसे बड़ी वजह रही. हालांकि आरएलडी की तरफ से आधिकारिक तौर पर ऐसी किसी संभावना को नकारा गया है और कहा गया है कि पत्नी की तबीयत खराब होने और अस्पताल में होने की वजह से जयंत चौधरी वोटिंग करने संसद नहीं आ सके. लेकिन इसमें बीजेपी के साथ होने का कोई एंगल नहीं है और वो इंडिया गठबंधन की मुंबई की बैठक में मौजूद रहेंगे.
कुमार अभिषेक