'पंडित जवाहरलाल नेहरू पब्लिक फंड से बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने योजना को नाकाम किया', राजनाथ सिंह का दावा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरदार पटेल ने नेहरू के बाबरी मस्जिद निर्माण के प्रस्ताव को रोका और उनकी सच्ची उदारता और धर्मनिरपेक्षता की मिसाल पेश की. उन्होंने पटेल के प्रधानमंत्री न बनने, स्मारक निधि विवाद और कश्मीर तथा हैदराबाद विलय पर दृष्टिकोण की जानकारी दी. 'एकता पदयात्रा' 150वीं जयंती के मौके पर करमसद से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक आयोजित की जा रही है.

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राजनाथ सिंह ने कहा, नेहरूजी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया. (File Photo: ITG) राजनाथ सिंह ने कहा, नेहरूजी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • वडोदरा,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसे सफल नहीं होने दिया. उन्होंने यह भी दावा किया कि नेहरू ने सुझाव दिया था कि पटेल की मौत के बाद उनकी याद में आम लोगों से जमा हुए पैसे का इस्तेमाल कुएं और सड़कें बनाने में किया जाए.

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सरदार पटेल की प्रशंसा
सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाने के लिए 'एकता मार्च' के हिस्से के तौर पर वडोदरा के पास साधली गांव में एक सभा को संबोधित करते हुए, सिंह ने पटेल को एक सच्चा लिबरल और सेक्युलर इंसान बताया, जो कभी तुष्टीकरण में यकीन नहीं करते थे.

सिंह ने कहा, "पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद (अयोध्या में) बनाना चाहते थे. अगर किसी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, तो वह गुजराती मां के बेटे सरदार वल्लभभाई पटेल थे. उन्होंने सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद नहीं बनने दी." उन्होंने आगे कहा कि जब नेहरू ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर को ठीक करने का मुद्दा उठाया, तो पटेल ने साफ किया कि मंदिर एक अलग मामला है क्योंकि इसके सुधार के लिए ज़रूरी 30 लाख रुपये आम लोगों ने दान किए थे.

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'सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे'
सिंह ने कहा कि सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने करियर में कभी किसी पद के लिए लालच नहीं किया. रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि नेहरू के साथ विचारधारा के मतभेदों के बावजूद, उन्होंने उनके साथ काम किया क्योंकि उन्होंने महात्मा गांधी से वादा किया था. उन्होंने दावा किया कि नेहरू 1946 में कांग्रेस के प्रेसिडेंट इसलिए बने क्योंकि पटेल ने गांधी की सलाह पर अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया था.

सिंह ने कहा, "1946 में, कांग्रेस के प्रेसिडेंट का चुनाव होना था. कांग्रेस कमेटी के ज़्यादातर सदस्यों ने वल्लभभाई पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा. जब गांधीजी ने पटेल से कहा कि नेहरू को प्रेसिडेंट बनने दें और अपना नॉमिनेशन वापस ले लें, तो उन्होंने तुरंत अपना नाम वापस ले लिया."

किसी का नाम लिए बिना, सिंह ने कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें पटेल की विरासत को मिटाना चाहती थीं. "यह PM नरेंद्र मोदी थे जिनकी अहम भूमिका ने पटेल को इतिहास के पन्नों में एक चमकते सितारे के तौर पर फिर से स्थापित किया."

सिंह ने दावा किया कि "कुछ लोगों" ने पटेल की विरासत को छिपाने और मिटाने की कोशिश की, लेकिन जब तक BJP सत्ता में है, वे सफल नहीं होंगे.

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'सरदार पटेल किसानों के नेता थे'
राजनाथ सिंह ने कहा, "पटेल की मौत के बाद, आम लोगों ने उनके लिए एक मेमोरियल बनाने के लिए पैसे इकट्ठा किए, लेकिन जब यह जानकारी नेहरूजी तक पहुंची, तो उन्होंने कहा कि सरदार पटेल किसानों के नेता थे, इसलिए यह पैसा गांव में कुएं और सड़कें बनाने पर खर्च किया जाना चाहिए. सिंह ने कहा, "इसके लिए मेमोरियल फंड इस्तेमाल करने का सुझाव बेतुका था." उन्होंने आगे कहा कि इससे पता चलता है कि उस समय की सरकार पटेल की महान विरासत को हर कीमत पर छिपाना और दबाना चाहती थी.

'नेहरूजी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया'
सिंह ने कहा, "नेहरूजी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया, लेकिन उस समय सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत रत्न से सम्मानित क्यों नहीं किया गया? PM नरेंद्र मोदीजी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर सरदार पटेल को सही सम्मान देने का फैसला किया. यह हमारे PM का वाकई तारीफ के काबिल काम है." सिंह ने उन बातों को भी खारिज कर दिया कि पटेल प्रधानमंत्री बनने के लिए बहुत बूढ़े थे.

उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से गलत है. मोरारजी देसाई 80 साल से ज़्यादा के थे. सिंह ने पूछा, "अगर वह भारत के प्रधानमंत्री बन सकते थे, तो 80 साल से कम उम्र के सरदार पटेल क्यों नहीं बन सकते थे?" कश्मीर मुद्दे का ज़िक्र करते हुए सिंह ने कहा कि अगर कश्मीर के विलय के समय पटेल की मांगों पर ध्यान दिया गया होता, तो भारत को इतने लंबे समय तक कश्मीर समस्या से नहीं जूझना पड़ता. उन्होंने कहा कि पटेल हमेशा बातचीत से समस्याओं को सुलझाने में विश्वास रखते थे.

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राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए दुनिया को दिखा दिया कि वह उन लोगों को करारा जवाब देने में सक्षम है जो शांति और सद्भाव की भाषा नहीं समझते. ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा सिर्फ भारत की धरती पर ही नहीं बल्कि दुनिया भर के दूसरे देशों में भी हो रही है.

जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या कहा?
रक्षा मंत्री ने कहा, "हमने साफ़ संदेश दिया है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है. भारत किसी को उकसाता नहीं है. लेकिन अगर कोई हमें उकसाएगा, तो भारत उसे जाने नहीं देगा." उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 हटाना कोई छोटी बात नहीं थी, और यह PM मोदी ही थे जिन्होंने ऐसा करके (जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म करके) कश्मीर को भारत से जोड़ा.

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