जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पहलगाम में हुए हमले में आतंकवादियों ने AK 47 और M4 असॉल्ट राइफल का इस्तेमाल किया था. मौके से बरामद किए गए कारतूस इस बात के सुबूत हैं कि इन दोनों हथियारों का इस्तेमाल आतंकवादियों ने हमला करते वक्त किया था. पहलगाम में हमले के दौरान आतंकियों ने एक स्थानीय नागरिक और एक पर्यटक के मोबाइल फोन छीने.
हमले वाली जगह पर आतंकी कोकरनाग के जंगलों से बैसरन घाटी तक पैदल चलकर पहुंचे थे. वे 20 से 22 घंटे की पैदल यात्रा करके मौके पर पहुंचे थे.
फर्जी खबरों के खिलाफ फैसला लेगी J-K सरकार
पहलगाम हमले से जुड़े कई वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इसके साथ ही बहुत सारी गलत सूचनाएं भी फैलाई जा रही हैं. जम्मू-कश्मीर सरकार जल्द ही वीडियो सत्यापित करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करेगी. यह भी जानकारी सामने आई है कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी अकाउंट भी शरारत कर रहे हैं.
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अनंतनाग दक्षिण कश्मीर में आता है और ये घटना अनंतनाग जिले के पहलगाम से 6 किमी दूर स्थित पर्यटन स्थल बैसरन घाटी में हुई है. मंगलवार दोपहर में पर्यटक यहां घूम रहे थे. इसी बीच, दोपहर 2.45 बजे करीब छह आतंकी पहुंचे और अलग-अलग जगहों पर अटैक कर दिया. आतंकियों ने वहां मौजूद 45 पर्यटकों के समूह पर गोलियां बरसाईं. इनमें 28 टूरिस्ट की मौत हो गई, जबकि 17 से ज्यादा लोग घायल हैं. मरने वालों में दो स्थानीय नागरिक शामिल हैं. आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर से दिल्ली तक हाईअलर्ट है.
हमले के बाद कैसा था मंजर?
बैसरन में हमले की खबर मिलते ही पहलगाम की सड़कों पर सन्नाटा पसर गया. घास के मैदान में लोगों ने किसी तरह छिपकर जान बचाई. कुछ पर्यटकों के वीडियो सामने आए हैं, जो हमले के बारे में जानकारी दे रहे हैं और बचकर भागते देखे जा रहे हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक होटल छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए. मारे गए और घायल लोगों के परिवारों को कड़ी सुरक्षा के बीच पहलगाम क्लब ले जाया गया.
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बैसरन को क्यों बनाया टारगेट?
दरअसल, पहलगाम से बेसरन की दूरी 6 किमी है. पूरा इलाका पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा है और काफी ऊंचाई पर स्थिति है. यहां तक वाहन भी नहीं पहुंच पाते हैं. यह पर्यटकों और ट्रैकर्स की पसंदीदा जगह है. इलाके में सुरक्षाबलों की तैनाती भी नहीं रहती है. पर्यटकों ने भी यही बताया कि जब आतंकियों ने हमला किया, तब वहां कोई फोर्स नहीं थी. चूंकि, घने जंगल के कारण भागना और छिपना आसान था, इसलिए नरसंहार के बाद आतंकी गायब हो गए. सूत्रों के मुताबिक इस एरिया में मोबाइल नेटवर्क और सुरक्षा बलों का बैकअप पहुंचने के समय को भी आतंकियों ने नोटिस किया था, उसके बाद हमले की प्लानिंग की गई होगी.
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