द्वारका एक्सप्रेसवे पर बने देश के पहले मानवरहित टोल प्लाजा के सिस्टम में शुरुआती खामियां, जानें कैसे करता है काम

टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतारें, समय की बचत और विवादों को खत्म करने के मकसद से मानवरहित टोल सिस्टम की शुरुआत की गई है. लेकिन चालू होने के साथ ही बक्करवाला टोल पर शिकायतों का अंबार लग गया है और यहां से गुजरने वालों यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

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बक्करवाला टोल पर फास्टैग को रीड नहीं कर पा रहे सेंसर (Photo: ITG) बक्करवाला टोल पर फास्टैग को रीड नहीं कर पा रहे सेंसर (Photo: ITG)

श्रेया चटर्जी

  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

द्वारका एक्सप्रेसवे पर बक्करवाला टोल प्लाजा पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने अपनी तरह का पहला टोल सिस्टम, एक मानवरहित टोल प्लाजा (Unmanned Toll Plaza) शुरू किया है. इस मॉडल का मकसद कैश बूथ और ह्यूमन ऑपरेटेड बैरियर को खत्म करना है और इसकी जगह एक पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिस्टम लागू करना है, जहां वाहन FASTag सेंसर और हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों द्वारा पहचाने गए बैरियर से आसानी से गुजर सकें.

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कैसे काम करता है सिस्टम?

इसका मकसद साफ है, भीड़भाड़ कम करना, यात्रा का समय कम करना और टोल वसूली में पारदर्शिता सुनिश्चित करना. मानवीय दखल को हटाकर, यह सिस्टम जल्द निकासी, कम मैन पॉवर कोस्ट और टोल गेट पर विवादों को कम करने के लिए लाया गया है.

मानवरहित टोल प्लाजा को टेक्नोलॉजी की तीन लेयर्स पर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

फ़ास्टैग स्कैनर: हर लेन में रीडर लगे होते हैं जो किसी वाहन के पास आते ही FASTag को ऑटोमेटिक मोड में स्कैन कर लेते हैं. अकाउंट से रकम डेबिट होते ही, बैरियर तुरंत हट जाते हैं.

ऑटोमेटिक नंबर प्लेट पहचान (ANPR) कैमरे: हाई स्पीड वाले कैमरे उल्लंघन या FASTag में अपर्याप्त बैलेंस के मामले में क्रॉस-वैरिफिकेशन और प्रवर्तन के लिए लाइसेंस प्लेट डिटेल रिकॉर्ड करते हैं.

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सेंसर-बेस्ड बूम बैरियर: FASTag सिस्टम से सीधे जुड़े हुए, ये बैरियर सिर्फ तभी खुलेंगे जब पेमेंट कंफर्म हो जाएगा, जिससे यह प्रक्रिया कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस हो जाएगी.

थ्योरी के लिहाज से देखें तो इस सिस्टम के लिए किसी कर्मचारी की जरूरत नहीं होगी. कारें कुछ ही सेकंड में टोल से गुज़र जाएंगी, जिससे एक्सप्रेसवे पर कोई रुकावट या जाम की स्थिति नहीं बनेगी.

द्वारका एक्सप्रेस पर बना है मानवरहित बक्करवाला टोल प्लाजा

आखिर जमीनी हकीकत क्या है?

हालांकि, जब आजतक ने बक्करवाला टोल का दौरा किया, तो ज़मीनी हकीकत कुछ ज़्यादा ही चिंताजनक तस्वीर पेश कर रही थी. तकनीक तो मौजूद थी, लेकिन ठीक ढंग से काम नहीं कर रही थी.

सेंसर अक्सर फास्टैग का पता लगाने में नाकाम रहे, जिससे बैरियर पर देरी हुई. कई बार, बूम गेट बंद रहे और सेंसर डेबिट के लिए फ़ास्टैग को रीड करने में देरी कर रहे थे. यह सुनिश्चित करने के लिए कि ट्रैफ़िक जमा न हो, हर बैरियर पर कम से कम तीन कर्मचारी तैनात किए गए थे, जो मैन्युअल रूप से सिस्टम को ओवरराइड कर रहे थे और यात्रियों की मदद कर रहे थे.

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वाहन चालकों ने नए सिस्टम को लेकर अपनी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं. कुछ लोगों ने आधुनिकीकरण की ओर इस बदलाव का स्वागत किया, तो कुछ ने बताया कि यह प्रक्रिया उम्मीद के हिसाब से धीमी है. एक यात्री ने आजतक को बताया, 'यह सिस्टम भ्रामक है, सेंसर FASTag को तुरंत पहचान नहीं पाते और अक्सर ज़मीन पर मौजूद कर्मचारी हमें अपनी गाड़ियां पीछे करने के लिए कहते हैं. इससे मानव-रहित टोल प्लाज़ा का पूरा मकसद ही ख़त्म हो जाता है.'

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प्रोजेक्ट क्यों है खास

एनएचएआई के लिए बक्करवाला एक पायलट प्रोजेक्ट है, जो हाईवे को स्मार्ट बनाने के लिए अन्य एक्सप्रेसवे पर लागू करने से पहले एक अवधारणा का प्रमाण है. टोल प्लाजा पर तैनात एनएचएआई के एक अधिकारी ने, नाम न बताने की शर्त पर, स्वीकार किया कि इस सिस्टम में कुछ खामियां हैं, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये अभी शुरुआती दिक्कतें हैं और समय के साथ दूर हो जाएंगी.

अगर संपूर्णता में देखा जाए तो मानवरहित मॉडल काफ़ी बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है. टोल रेवेन्यू में लीकेज को कम करके, मानवीय भूलों को सुधार कर और भीड़भाड़ को कम करके, यह सिस्टम भारत के राजमार्गों के अनुभव को नया रूप दे सकता है.

सिस्टम को दुरुस्त बनाने की जरूरत

फिलहाल, बक्करवाला स्थित मानवरहित टोल प्लाजा अनमैन्ड से ज़्यादा सेमी-ऑटोमेटिक है. ट्रैफिक को सुचारू बनाए रखने में कर्मचारी अब भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन यह प्लाजा इस बात का भी संकेत देता है कि भारत का हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर ज़्यादा स्मार्ट, तेज़ और तकनीक-संचालित दिशा में बढ़ रहा है.

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समस्याएं जैसे-जैसे दूर होती जाएंगी और यात्री समायोजित होते जाएंगे, द्वारका एक्सप्रेसवे पर बक्करवाला टोल प्लाजा की सफलता यह निर्धारित कर सकेगी कि मानवरहित टोल सिस्टम कितनी जल्दी पूरे देश में एक मिसाल बन पाएगा.

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