IAC Vikrant चौथे परीक्षण में भी सफल, 15 अगस्त को नौसेना में बेड़े में हो सकता है शामिल, सामने आईं तस्वीरें

IAC Vikrant देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है. यह बेहद अत्याधुनिक है. इससे समुद्र में नौसेना की ताकत और बढ़ेगी. इससे पहले इसका 21 अगस्त, 21 अक्टूबर और 22 जनवरी को समुद्री परीक्षण किया जा चुका है. 

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नौसेना ने जारी की आईएसी की तस्वीरें नौसेना ने जारी की आईएसी की तस्वीरें

अभिषेक भल्ला

  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:10 AM IST
  • पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है IAC Vikrant
  • दुनिया के 7 IAC निर्माता देशों में शामिल हो जाएगा भारत

पहले स्वदेशी IAC विक्रांत का रविवार को हुआ चौथे चरण का समुद्री परीक्षण सफल रहा. ट्रायल पूरा करने के बाद Vikrant कोच्चि बंदरगाह पर लौट आया. इसके बाद नौसेना ने कहा, "विमानवाहक पोत की डिलीवरी इस महीने के अंत तक हो जाएगी. इसके बाद अगस्त में आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में इसकी कमीशनिंग की जाएगी."

ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि IAC विक्रांत 15 अगस्त को नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा. नौसेना के बेड़े में IAC विक्रांत के शामिल होने के बाद भारत के पास कुल दो एक्टिव विमान वाहक पोत हो जाएंगे. अभी भारत के पास केवल IAC विक्रमादित्य है.

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आईएसी विक्रांत के नौसेना के बेड़ें में शामिल होते ही भारत दुनिया के उन सात देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जो विमानवाहक पोत का निर्माण करते हैं. अभी तक अमेरिका, लंदन, फ्रांस, रूस, इटली और चीन ही ऐसे विशेष पोतों का निर्माण कर रहे हैं. IAC विक्रांत का पहला समुद्री परीक्षण 21 अगस्त, दूसरा 21 अक्टूबर और तीसरा 22 जनवरी को किया गया था. 

देश के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर पर रखा है नाम

नौसेना की परंपरा के अनुसार, जहाज कभी नहीं मरते हैं. इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस स्वदेशी विमान वाहक पोत का नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के नाम पर ही रखा गया है. इसके नाम का अर्थ विजयी और वीर होता है. इसे 1961 में लंदन ने भारत को दिया था. फिलहाल अब इसे सेवामुक्त कर दिया गया है. देश के पहले विक्रांत का एक गौरवशाली अतीत रहा है, जिसने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

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70% स्वदेशी सामान का इस्तेमाल किया 

नौसेना ने कहा, "भारतीय नौसेना और कोच्ची शिपयार्ड लिमिटेड ने मेक इन इंडिया योजना तहत तैयार किए इस विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण में 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया है.

इस जहाज में हैं 2300 से ज्यादा कमरे

इस स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर से 30 विमान और हेलीकॉप्टर उड़ान भर सकते हैं. इसकी लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और गहराई 30 मीटर है. इसमें कुल 14 डेक हैं. जहाज में 2,300 से अधिक कंपार्टमेंट हैं, जिसमें लगभग 1,700 कर्मी ठहर सकेंगे. महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन बनाए गए हैं. जानकारी के मुताबिक जहाज की टॉप स्पीड 28 समुद्री मील है. वह ईंधन फुल होने पर दो बार भारत के पूरे समुद्र तट का चक्कर लगा सकता है.

तीन एफिल टावर के बराबर स्टील का इस्तेमाल

विक्रांत के नए अवतार का निर्माण 2006 में शुरू हुआ था. यह युद्धपोत 18 मंजिला ऊंची तैरती हुई इमारत की तरह है. इसके निर्माण में करीब 21,000 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है. इतने स्टील से तीन एफिल टावर बनाए जा सकते हैं. फ्लाइट डेक लगभग दो फुटबॉल मैदान के आकार के बराबर है. इसमें दो टेक-ऑफ रनवे बनाए गए हैं. इस विमानवाहक पोत में एक मिनी फ्लोटिंग एयरबेस है, जो इसे दूसरे युद्धपोतों से अलग करता है. 

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चीन के बराबर हो जाएगी भारत की ताकत

हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना के बढ़ते दखल के कारण भारत को अपनी समुद्री परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना समय की जरूरत है. अब भारत के पास दो विमानवाहक पोत हो जाएंगे. अगर एक मेंटेनेंस के लिए जाता है तो दूसरा तैनात रहेगा. अब भारतीय नौसेना के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर को बेड़े में शामिल करने पर ध्यान दे रही है.

वहीं चीनी नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत हैं. तीसरे के जल्द ही समुद्र में उतरने की उम्मीद है लेकिन इसे पूरी तरह से चालू होने में थोड़ा समय लगेगा. वहीं चौथे एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण का काम पाइपलाइन में है.

 

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