भारत सरकार ने डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की IMF में सेवाएं की समाप्त, पाकिस्‍तान फंडिंग समीक्षा से पहले बड़ा फैसला

डॉ. सुब्रमण्‍यन को अगस्त 2022 में इस पद के लिए नामित किया गया था और उन्होंने 1 नवंबर 2022 को कार्यभार संभाला था. उनका तीन साल का कार्यकाल नवंबर 2025 तक तय था, लेकिन उन्होंने अब 6 महीने पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया है.

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कृष्‍णमूर्ति सुब्रमण्‍यन कृष्‍णमूर्ति सुब्रमण्‍यन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:56 AM IST

भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक डॉ. कृष्‍णमूर्ति सुब्रमण्‍यन की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं. ये निर्णय कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने 30 अप्रैल को जारी आदेश में लिया.

आदेश में कहा गया है कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने को मंजूरी दे दी है.

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डॉ. सुब्रमण्‍यन को अगस्त 2022 में इस पद के लिए नामित किया गया था और उन्होंने 1 नवंबर 2022 को कार्यभार संभाला था. उनका तीन साल का कार्यकाल नवंबर 2025 तक तय था, लेकिन उन्होंने अब 6 महीने पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया है.

IMF की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन को 2 मई तक कार्यकारी निदेशक के पद पर थे. जबकि 3 मई से भारत, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका का प्रतिनिधित्व करनी वाली इस सीट को खाली बताया गया है. 

9 मई को होनी है IMF बोर्ड की अहम बैठक

डॉ. सुब्रमण्‍यन की यह विदाई 9 मई को होने वाली IMF बोर्ड की अहम बैठक से कुछ दिन पहले हुई है, जिसमें पाकिस्तान को अतिरिक्त वित्तीय सहायता दिए जाने की समीक्षा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक भारत द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण पर चिंताओं का हवाला देते हुए बैठक में पाकिस्तान को अतिरिक्त वित्तीय सहायता का विरोध करने की संभावना है. दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी.

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मुख्य आर्थिक सलाहकार का जिम्मा निभा चुके हैं सुब्रमण्‍यन

बता दें कि डॉ. सुब्रमण्‍यन 2018 से 2021 तक भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे हैं. उनसे पहले अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने नवंबर 2019 से IMF में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और उन्हें 2020 में दोबारा नियुक्त किया गया था. इस अचानक लिए गए निर्णय के पीछे की रणनीतिक और राजनीतिक वजहों को लेकर अटकलें तेज हैं, विशेषकर भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच चर्चाओं का बाजार गरम है.

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