पाकिस्तान सीमा पर निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना हर्मीस-900 ड्रोन का इस्तेमाल करने जा रही है. इसे दृष्टि-10 ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है. आगामी 18 मई को वरिष्ठ सेना अधिकारियों की उपस्थिति में हैदराबाद में इसे भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा. वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के मुताबिक इसे अडानी डिफेंस द्वारा भारतीय सेना को सौंपा जाएगा. इसका इस्तेमाल अब आतंकियों को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा.
दरअसल, भारतीय सेना ने आपातकालीन प्रावधानों के तहत फर्म से दो ड्रोन के लिए ऑर्डर दिया है. इसके मुताबिक विक्रेताओं द्वारा सप्लाई की जाने वाली प्रणालियां 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी होनी चाहिए और यह रक्षा में 'मेक इन इंडिया' के तहत होनी चाहिए. सैन्य अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना इन ड्रोनों को पंजाब के बठिंडा बेस पर तैनात करेगी. यहां से रेगिस्तानी क्षेत्र के साथ-साथ पंजाब के उत्तर के इलाकों सहित एक बड़े क्षेत्र पर नजर रखी जा सकेगी.
बता दें कि भारतीय सेना पहले से ही हेरॉन मार्क 1 और मार्क 2 ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है. इस बीच सेना के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित आपातकालीन खरीद की अंतिम किश्त के तहत दृष्टि-10 यानी हर्मीस-900 ड्रोन के लिए ऑर्डर दिया गया है. इसे अडानी डिफेंस ने मेक इन इंडिया के तहत बनाया है. ड्रोन की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए अडानी डिफेंस इजरायली फर्म एल्बिट के साथ समझौता किया था. इसके तहत अडानी डिफेंस ने इन ड्रोन को 70 प्रतिशत स्वदेशी बनाया है.
जनवरी में नौसेना को सौंपा गया था हर्मीस-900
पहला हर्मीस-900 इसी साल जनवरी में भारतीय नौसेना को सौंपा गया था. वहीं अब दूसरा ड्रोन भारतीय सेना को मिलेगा. इसके अलावा, तीसरा ड्रोन नौसेना को सौपा जाएगा और चौथा सेना को दिया जाएगा.
भारतीय सेना ने इजरायल से अधिक उपग्रह संचार-सक्षम ड्रोन को भी लेने का फैसला किया है. इसमें इजरायली विमान उद्योगों के साथ सीधे सौदे में कुछ हेरॉन मार्क 2 ड्रोन भी हैं. इनका इस्तेमाल पाकिस्तान से लगी समुद्री सीमा के साथ-साथ ऊंचे समुद्रों क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए पोरबंदर में किया जाएगा. इनमें 30 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने और एक बार में लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी तय करने की क्षमता है.
इसलिए खास है ये ड्रोन
यह ड्रोन लगातार 30 से 36 घंटे तक उड़ान भर सकता है. यह मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस अनमैन्ड एरियल व्हीकल (MALE UAV) है. यह अधिकतम 30 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसका विंगस्पैन 49 फीट है. वजन करीब 970 किलोग्राम है. यह 450 किलोग्राम वजन के पेलोड लेकर उड़ान भर सकता है. इसे चलाने के लिए सिर्फ दो लोगों की जरुरत पड़ती है. जो कंप्यूटर के जरिए इस पर नियंत्रण रखते हैं. इसकी लंबाई करीब 27.3 फीट है. यह अधिकतम 220 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है. हालांकि आमतौर पर 112 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ान भरता रहता है. यानी ज्यादा तेज गति से उड़ान समय कम होता है.
हर मौसम में दुश्मन पर नजर रखने में सक्षम
इजरायल ने इस ड्रोन का इस्तेमाल सबसे पहले जुलाई 2014 में ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज में किया था. जबकि इसे अपनी सेना में 2015 के अंत में तैनात किया. इस ड्रोन का मुख्य काम निगरानी, जासूसी, भागते टारगेट को खोजना, कम्यूनिकेशन एंड इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और किसी भी तरह के मौसम में दुश्मन पर नजर रखना है.
यह ड्रोन सिग्नल इंटरसेप्ट करके भी जासूसी करने में सक्षम है. यह कम्यूनिकेशन इंटेलिजेंस में भी काम आएगा. यानी विदेशी संदेशों के सिग्नल को ट्रैस करके उसे डिकोड करने में मदद करेगा. ऐसा कहा जा रहा है कि भविष्य में अडानी डिफेंस हर्मेस 900 के साथ-साथ 450 भी बना सकता है. इससे भारत में बने ड्रोन्स दुनिया को मिलने लगेंगे.
मंजीत नेगी