India Today Conclave Mumbai: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन बिजनेस, कला, लेखक, फिल्म जगत की दिग्गज हस्तियां अपने विचारों के साथ कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. शनिवार को इंडिया टुडे के इस मंच पर हिंदुत्व पर बात की गई.
Hinduism: A civilisational State विषय नाम के सेशन में लेखक-राजनयिक, पूर्व राज्यसभा सांसद पवन के. वर्मा (Pavan K. Varma) ने हिस्सा लिया. इनके साथ ही कार्यक्रम में निवेशक और 'अ न्यू आइडिया ऑफ इंडिया' के सह-लेखक हर्ष मधुसूदन (Harsh Madhusudan) शामिल हुए.
हिंदुत्व पर अपने विचार साझा करते हुए लेखक पवन के. वर्मा ने कहा कि हिंदू सभ्यता सबसे पुरानी सभ्यता है. मैं 'हिंदू राष्ट्र' लेबल से सावधान रहता हूं, क्योंकि यह अलग है. लेखक हर्ष मधुसूदन ने कहा कि उनके लिए हिंदुत्व धर्म का सबसेट है, धर्म सार्वभौमिक है. उन्होंने कहा कि भारत में पारसियों, जैन या यहूदियों के साथ कभी भी अल्पसंख्यक समस्या नहीं होती है. हमारे पास अल्पसंख्यक समस्याएं हैं, जहां धर्मांतरण या राष्ट्रीयता को स्वीकार करने की आक्रामक प्रवृत्ति है.
हर्ष मधुसूदन ने कहा कि हम अलग-अलग लोग हैं जो एक अंब्रेला के नीचे अलग-अलग भगवान की पूजा करते हैं, ऐसे में हिदुत्व को एक राजनीतिक शब्द होना चाहिए, क्योंकि पुराणों में इस शब्द का जिक्र नहीं है. इसपर पवन के वर्मा ने कहा कि तब के लोगों को अपनी सभ्यता के बारे में पता था, उनके पास भले ही इसे समझाने के लिए कोई शब्द नहीं था, लेकिन वो खुद को और अपने धर्म को अच्छी तरह जानते थे. ये भी हो सकता है कि ये शब्द बाहरी लोगों जैसे अरब या चीन ने दिया हो.
सवाल किया गया कि ये सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सभ्यता है, फिर भी लोग इसपर एक पेज तक क्यों नहीं लिख सकते. इस पर पवन के वर्मा ने कहा कि इतिहास में धर्म की बहुत बर्बादी हुई है. विदेशी आक्रमण के दौरान हुए विनाश ने हिंदू साहित्य और कलाकृतियों को प्रभावित किया है. ब्रिटिश आक्रमण की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि इसने हमारे दिमाग का उपनिवेशीकरण किया था. हमने इसपर सवाल नहीं उठाए, ये हमारी सबसे बड़ी कमजोरी थी. और किसी भी सरकार ने इसपर सही से काम नहीं किया.
लेखक हर्ष मधुसूदन ने कहा कि हमारे पास अधिकार है कि हम किसी भी मंदिर या शिवलिंग पर अधिकार जताएं, लेकिन इसपर तनाव क्यों होता है. तनाव इसीलिए होता है क्योंकि ऊपर एक पावर है. अगर आपको पता है कि इसे नष्ट करना गलत था तो और उसपर मेरा धर्म स्थान बनाया गया, तो इसे मानवीयता के आधार पर ऑफर करना चाहिए. इसपर पवन के वर्मा ने कहा कि इतिहास में क्या गलत हुआ अगर आप इसे सुधारने चलेंगे, तो आप उसमें कभी भी पूरी तरह से सफल नहीं होंगे.
अंत में पवन के वर्मा ने कहा कि 'कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, बरसों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा.'
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