'रितेश से शादी हुई तो खाने की टेबल पर बस मीट ही मीट था', जेनेलिया ने बताया कैसे शुरू हुई प्लांट बेस्ड डाइट

India Today Conclave 2021: जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख पहले नॉनवेज खाते थे. लेकिन अब सिर्फ प्लांट बेस्ड डाइट लेते हैं. इससे क्या बदलाव आया इसपर दोनों ने बात की.

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India Today Conclave 2021: जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख India Today Conclave 2021: जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST
  • जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में आए
  • जेनेलिया और रितेश देशमुख दोनों ने प्लांट बेस्ड डाइट की बात की

क्या सिर्फ मीट खाने से ही हमारे शरीर में प्रोटीन की पूर्ति हो सकती है? जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख की मानें तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 (India Today Conclave 2021) में दोनों ने बताया कि किस तरह दोनों प्लांट बेस्ड डाइट लेते हैं और लोगों को उसे लेने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं.

Gut Reaction: Why I changed my protein. And got a miracle body टॉपिक पर बात करते हुए जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख के साथ जेम्स विल्किस भी थे. जेम्स मूवी डायरेक्टर हैं और उन्होंने नेटफ्लिक्स पर आई डॉक्यूमेंट्री The Game Changers  में काम भी किया है. यह डॉक्यूमेंट्री इसी पर है कि नॉन वेट की जगह प्लांट बेस्ट डाइट कितनी मददगार साबित हो सकती है. चर्चा में जेम्स ने बताया कि लोगों को लगता है कि बॉडी बनाने के लिए मीट की जरूरत है. लेकिन ऐसा नहीं है.

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एक मन्नत की वजह से रितेश ने छोड़ा था मीट खाना

India Today Conclave 2021 में जेनेलिया देशमुख ने यह भी बताया कि जब रितेश से उनकी शादी हुई तो उन्होंने देखा कि खाने की टेबल पर सिर्फ मीट ही मीट होता था. आगे रितेश ने बताया कि पांच साल पहले उन्होंने किसी मन्नत की वजह से मीट छोड़ दिया था. लेकिन उस दौरान उनका बार-बार मीट खाने का मन करता रहता था.

उस वक्त दोनों अमेरिका में थे. वहां उन्होंने प्लांट बेस्ड मीट फूड खाया. इसके बाद जेनेलिया ने एक प्रोजेक्ट पर काम किया. इसमें उन लोगों के वेंचर (imagine meats) ने ऐसा खाना बनाना शुरू किया जिसमें अलग-अलग तरह के प्रोटीन हैं. जिसमें मीट जैसा स्वाद, गंध आती है लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं है. मतलब वह पूर्णत: प्लांट बेस्ड डाइट है. इंडिया टुडे के कार्यक्रम में भी उन लोगों की कंपनी के चिकन कबाब, मटन कबाब आए थे, जिनका स्वाद ठीक मीट जैसा था लेकिन उनमें मीट थी नहीं.

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कार्यक्रम में रितेश ने बताया कि बचपन से पिछले कुछ सालों तक अंडे और दूध भी मेरी डाइट का हिस्सा रहे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. वहीं जेनेलिया ने कहा, 'हम लोग पहले पूरी तरह से नॉन वेज थे. लेकिन अब बच्चे और हम वेज हैं. मेरे बच्चे 5-7 साल के हैं. लेकिन दोनों 15-15 किलोमीटर बिना थकान के चल सकते हैं.'

वह आगे बोलीं कि कई लोग ऐसे हैं जो कि अपराधबोध करते हैं लेकिन फिर भी मीट खाते हैं. ऐसे कई लोग हैं जिनको कि घर मीट खाना ठीक नहीं लगता, तो वे बाहर जाकर खाते हैं. इससे अच्छा है घर पर प्लांट बेस्ड डाइट की जाए. 

 

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