Weather Update: हो जाइए तैयार! जुलाई में जमकर बरसेंगे बादल, सामान्य से अधिक बारिश के लिए IMD ने किया अलर्ट

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मध्य भारत और उससे सटे दक्षिणी प्रायद्वीप में भारी बारिश की संभावना है. इसमें पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, विदर्भ और तेलंगाना के आसपास के इलाके और गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

पूरे देश में छाया मॉनसून अब देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश कर रहा है. कहीं मौसम सुहावना हो गया है तो कहीं बाढ़ जैसे हालात हैं. अब मौसम विभाग ने कहा है कि जुलाई में भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. साथ ही मध्य भारत, उत्तराखंड और हरियाणा को बाढ़ के खतरे के कारण सतर्क रहने को कहा है.

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कहीं कम बारिश की संभावना

इसके अलावा आईएमडी ने पूर्वोत्तर के बड़े हिस्सों, पूर्वी भारत के कई इलाकों और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से कम  बारिश रहने की संभावना जताई है. कई क्षेत्रों में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की उम्मीद है. हालांकि, पूर्वोत्तर, उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है. बता दें कि देश में जुलाई के महीने में औसतन 28 सेमी बारिश होती है.

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मध्य भारत और उससे सटे दक्षिणी प्रायद्वीप में भारी बारिश की संभावना है. इसमें पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, विदर्भ और तेलंगाना के आसपास के इलाके और गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं. उन्होंने कहा, "हमें गोदावरी, महानदी और कृष्णा जैसी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों पर नज़र रखनी चाहिए.

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इन राज्यों में ज्यादा बारिश का अलर्ट

हमारे मॉडल ऊपरी महानदी जलग्रहण क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना दर्शाते हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश शामिल हैं. इस क्षेत्र में कई अन्य नदियाँ हैं. हमें बारिश की गतिविधि और जलाशयों में जलस्तर पर बारीकी से नज़र रखनी चाहिए." उत्तराखंड और हरियाणा में भी अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. महापात्रा ने कहा, "इस क्षेत्र में दिल्ली सहित कई शहर और कस्बे शामिल हैं. दक्षिण की ओर बहने वाली कई नदियां उत्तराखंड से निकलती हैं. हमें इन सभी नदी जलग्रहण क्षेत्रों, शहरों और कस्बों के लिए सावधानी बरतनी चाहिए."

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बारिश आमतौर पर तब होती है जब मॉनसून की रेखा अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर चली जाती है और जब कई निम्न दबाव प्रणालियां बनती हैं. आमतौर पर जुलाई में पांच निम्न दबाव प्रणालियां बनती हैं और पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में चलती हैं.

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