'इनकी राष्ट्रीयता वेरिफाई करो, हम डिपोर्ट करेंगे...', 2300 अवैध घुसपैठियों की लिस्ट बांग्लादेश को सौंपकर भारत ने कहा

बांग्लादेश के साथ संबंधों में जारी तल्खी के बीच भारत ने बांग्लादेश को 2300 से ज्यादा घुसपैठियों की लिस्ट सौंपकर राष्ट्रीयता का वेरिफिकेशन करने के लिए कहा है. भारत ने पड़ोसी देश से कहा है कि हम इन्हें डिपोर्ट करेंगे.

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Bangladeshi Immigrants in Ahmedabad, Muhammad Yunus Bangladeshi Immigrants in Ahmedabad, Muhammad Yunus

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2025,
  • अपडेटेड 9:21 AM IST

भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा पश्चिम बंगाल से गुजरात तक छाया हुआ है. देशभर में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ एक्शन और गुजरात में इनकी बस्ती पर चल रहे बुल्डोजर के बीच अब भारत सरकार ने पड़ोसी देश की सरकार के सामने भी यह मुद्दा उठा दिया है. भारत ने बांग्लादेश को 2369 अवैध घुसपैठियों की लिस्ट सौंपकर इनकी राष्ट्रीयता वेरिफाई करने की अपील की है. भारत ने पड़ोसी देश से कहा है कि हम इन नागरिकों को राष्ट्रीयता का वेरिफिकेशन हो जाने के बाद डिपोर्ट करेंगे.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में यह जानकारी देते हुए कहा है कि हमारे पास 2369 लोगों की लिस्ट पेंडिंग है, जिन्हें वापस उनके देश भेजे जाने की जरूरत है. उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत में जो विदेशी नागरिक अवैध तरीके से रह रहे हैं, उनके साथ कानून के मुताबिक ही बर्ताव किया जाएगा. चाहे वह बांग्लादेश के नागरिक हों या किसी और देश के. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि हमारे यहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक हैं, जिन्हें वापस भेजने की जरूरत है.

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उन्होंने कहा कि इनमें से बहुत से घुसपैठिए ऐसे भी हैं, जिन्होंने जेल की सजा पूरी कर ली है. बहुत से मामले ऐसे हैं, जिनमें साल 2020 से ही राष्ट्रीयता का वेरिफिकेशन पेंडिंग है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि करीब पांच साल गुजर चुके हैं. हमने बांग्लादेश से वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करने की अपील की है, जिससे उन लोगों को डिपोर्ट किया जा सके, वापस बांग्लादेश भेजा जा सके. भारत के विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय आया है, जब दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हालात से गुजर रहे हैं.

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गौरतलब है कि बांग्लादेश में अगस्त, 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया था. उग्र प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने ढाका छोड़ दिया और भागकर भारत में शरण ले ली. शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद वहां अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के साथ हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं. मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाएं रोकने में विफल रहीं. इसके बाद भारत और बांग्लादेश के संबंध तल्ख होते चले गए.

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