'मैं जिंदा हूं, पर हर दिन मरता हूं', एअर इंडिया क्रैश में अकेले बचे विश्वास कुमार की आपबीती

12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया हादसे में 241 लोगों की मौत के बाद जिंदा बचे अकेले यात्री विश्वास कुमार रमेश अब भी शारीरिक और मानसिक दर्द से जूझ रहे हैं. उन्होंने BBC से कहा, मेरा भाई चला गया, ज़िंदगी ठहर गई. अब किसी से बात नहीं करता, बस अकेला रहना चाहता हूं. हादसे के बाद उनका परिवार, कारोबार और जिंदगी सब बिखर चुका है.

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एअर इंडिया हादसे में जान बचाने वाला विश्वास कुमार रमेश. (Photo: ITG) एअर इंडिया हादसे में जान बचाने वाला विश्वास कुमार रमेश. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे में 241 लोगों की मौत के बाद बचे अकेले यात्री विश्वास कुमार रमेश ने खुद को जिंदा बचने वाला सबसे भाग्यशाली इंसान बताया, लेकिन साथ ही कहा कि इस त्रासदी के बाद वे अब भी मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेल रहे हैं.

लंदन जा रही AI-171 फ्लाइट के मलबे से निकलते हुए दिखे विश्वास कुमार ने BBC से बातचीत में बताया कि वे अब अकेले रहते हैं और अपनी पत्नी व बेटे से बात नहीं करते.

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ब्रिटिश नागरिक रमेश ने बताया कि हादसे में उनका छोटा भाई अजय कुछ ही सीट दूर बैठा था, जिसकी मौत हो गई. आंखों में आंसू लिए रमेश बोले, 'मैं अकेला जिंदा बचा हूं, अब भी यकीन नहीं होता. ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. मेरा भाई मेरी रीढ़ था, उसने हमेशा मेरा साथ दिया, और अब मैं बिल्कुल अकेला हूं.'

'मैं खुद किसी से बात नहीं करता'

रमेश ने कहा कि वे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से जूझ रहे हैं, लेकिन भारत से लौटने के बाद अब तक उनका इलाज शुरू नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, 'मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए ये सब बहुत मुश्किल है. मां रोज दरवाजे के बाहर बैठती हैं, किसी से बात नहीं करतीं. मैं खुद भी किसी से बात नहीं करना चाहता. रात भर सोचता रहता हूं, हर दिन दर्द से गुजरता हूं.'

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उन्होंने बताया कि विमान के टूटे हिस्से से सीट 11A से बाहर निकलने के दौरान उन्हें पैर, कंधे, घुटने और पीठ में गंभीर चोटें आईं, जिनकी वजह से अब वे न काम कर पाते हैं न गाड़ी चला पाते हैं. रमेश ने बताया कि वे धीरे-धीरे चलते हैं और उनकी पत्नी उन्हें सहारा देती हैं.

कम्युनिटी लीडर संजीव पटेल और प्रवक्ता रैड सिगर ने रमेश को मिल रहे समर्थन की कमी पर चिंता जताई. पटेल ने कहा, 'वे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट में हैं. ये हादसा उनके पूरे परिवार को तबाह कर गया. जिनके ऊपर जिम्मेदारी है, उन्हें पीड़ितों से मिलकर उनकी बातें सुननी चाहिए.'

हादसे के बाद व्यापार भी हुआ ठप

दमन-दीव में रमेश और उनके भाई द्वारा चलाया जा रहा पारिवारिक मछली व्यवसाय हादसे के बाद ठप पड़ गया है. वहीं सिगर ने एअर इंडिया पर आरोप लगाया कि मुलाकात के सभी अनुरोध नजरअंदाज या ठुकरा दिए गए. उन्होंने कहा, ये बेहद शर्मनाक है कि आज हमें यहां बैठकर रमेश को फिर से उस दर्द से गुजरने देना पड़ रहा है. एअर इंडिया के अधिकारियों को आगे आकर बात करनी चाहिए, ताकि पीड़ा कुछ कम की जा सके.

एअर इंडिया, जो अब टाटा समूह के स्वामित्व में है, ने कहा कि उनके वरिष्ठ अधिकारी लगातार पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर रहे हैं. कंपनी ने बयान में कहा, हमने रमेश के प्रतिनिधियों से बैठक का प्रस्ताव रखा है और सकारात्मक जवाब की उम्मीद कर रहे हैं. यह प्रस्ताव रमेश के मीडिया में बयान देने से पहले ही दिया गया था.

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एअर इंडिया ने दिया 25 लाख का मुआवजा

एअर इंडिया ने रमेश को अस्थायी रूप से £21,500 (करीब ₹25.09 लाख) का मुआवजा दिया है, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है, लेकिन उनके सलाहकारों का कहना है कि यह रकम उनकी मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद कम है.

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