'मैं फोन का पासवर्ड भूल गया, घबराहट हो रही...' पुलिस से कुछ ऐसी बात कर रहा लड़कियों को छेड़ने वाला चैतन्यानंद

स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की गिरफ्तारी के बाद अब उससे पूछताछ शुरू हो चुकी है. चैतन्यानंद बार-बार पुलिस से कहता रहा कि मैं अपने फोन का पासवर्ड भूल गया, घबराहट हो रही है. फरारी के दौरान वह सस्ते होटलों में छिपता रहा और छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखता रहा था. पुलिस ने उसके पास से तीन फोन, आईपैड और फर्जी दस्तावेज बरामद किए. जांच में उसके सहयोगियों की तलाश भी जारी है.

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पुलिस पूछताछ में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती लगातार सच छुपा रहा है. (Photo:  Arvind Ojha) पुलिस पूछताछ में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती लगातार सच छुपा रहा है. (Photo: Arvind Ojha)

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली ,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:28 AM IST

दिल्ली में श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की 17 छात्राओं से यौन उत्पीड़न के आरोपी बाबा स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की गिरफ्तारी के बाद अब उसके नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं. कभी खुद को आध्यात्मिक गुरु कहने वाला यह बाबा अब पुलिस के सामने घबराया हुआ है. पूछताछ के दौरान वह बार-बार एक ही बात दोहरा रहा है कि मैं अपने फोन का पासवर्ड भूल गया हूं, मुझे घबराहट हो रही है. यह वही फोन हैं जिनसे वह छात्राओं को अश्लील मैसेज भेजता था और उन्हीं पर उसने हॉस्टल व कैंपस की सीसीटीवी फुटेज एक्सेस कर छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखता था.

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पूछताछ में घबराहट, पासवर्ड का खेल

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद से ही चैतन्यानंद बेहद परेशान नजर आ रहा है. कई बार तो उसने पूछताछ के दौरान हाथ जोड़कर कहा कि पासवर्ड याद नहीं आ रहा, मुझे घबराहट हो रही है. दिल्ली पुलिस ने उसके कब्जे से तीन मोबाइल फोन और एक आईपैड बरामद किया है, जिन्हें अब फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) जांच के लिए भेज दिया गया है. पुलिस का मानना है कि इन्हीं डिवाइसों में छात्राओं को भेजे गए मैसेज, कॉल डिटेल और आपत्तिजनक चैट के पूरे सबूत छिपे हैं.

फरारी के दौरान होटल-दर-होटल भटकता रहा

जांच में सामने आया कि चैतन्यानंद ने लगभग 40 दिनों में 13 अलग-अलग होटल बदले. इनमें ज्यादातर होटल वृंदावन, मथुरा और आगरा में थे. खास बात यह रही कि वह हमेशा सस्ते और ऐसे होटल चुनता था जहां सीसीटीवी कैमरे न लगे हों या बहुत ढीले-ढाले तरीके से काम करते हों. होटल की बुकिंग अक्सर उसके चेले ही करवाते थे ताकि पुलिस को सीधे तौर पर उसका नाम न मिले. और जब शक गहराता, तो तुरंत होटल बदल देता. पुलिस का कहना है कि फरारी के दौरान भी वह अपने संस्थान पर नजर रख रहा था. उसके पास से बरामद एक फोन में कैंपस और हॉस्टल की लाइव सीसीटीवी एक्सेस मिली. यानी वह यह देखता था कि छात्राएं कब आती-जाती हैं और कौन उसके खिलाफ सक्रिय हो रहा है.

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दो पासपोर्ट, दो जन्मस्थान और बदले हुए मां-बाप

चौंकाने वाली बात यह है कि बाबा ने अपनी पहचान को इस कदर उलझा दिया कि असली और नकली का फर्क ही खत्म हो जाए. पुलिस को उससे दो पासपोर्ट मिले है. एक में उसका नाम स्वामी पार्थ सारथी दर्ज था. दूसरे पर नाम स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती लिखा था. केवल नाम ही नहीं, बल्कि माता-पिता और जन्मस्थान भी अलग-अलग थे. एक पासपोर्ट में जन्मस्थान दार्जिलिंग दर्ज था. दूसरे में तमिलनाडु. उसका पैन कार्ड भी विरोधाभासी जानकारी से भरा मिला.

आधी रात का ऑपरेशन, ताजगंज के होटल से दबोचा गया

लगातार ठिकाने बदलते चैतन्यानंद तक पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं था. लेकिन आखिरकार खुफिया इनपुट ने काम किया. सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस की टीम को जानकारी मिली कि वह आगरा के ताजगंज इलाके के एक छोटे से होटल में पार्थ सारथी नाम से ठहरा हुआ है. 27 सितंबर की शाम करीब 4 बजे उसने होटल के कमरा नंबर 101 में चेक-इन किया और पूरी रात वहीं रहा. होटल स्टाफ को यह अजीब लगा कि ग्राहक कमरे से बाहर ही नहीं निकल रहा.

रविवार तड़के करीब 3:30 बजे पुलिस ने होटल में दबिश दी और बाबा को धर दबोचा. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस ने उसके पास से तीनों फोन, आईपैड और कई फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद किए. इनमें से एक कार्ड पर वह खुद को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) का स्थायी राजदूत और ब्रिक्स का विशेष दूत बताता था.

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छात्राओं की शिकायत और फरारी की शुरुआत

पूरी कहानी की शुरुआत तब हुई जब 6 अगस्त को दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की 17 छात्राओं ने शिकायत दर्ज कराई. इनमें खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे की छात्राएं थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि चैतन्यानंद उन्हें देर रात अपने कमरे में बुलाता था और आपत्तिजनक मैसेज भेजता था. एफआईआर दर्ज होते ही बाबा समझ गया कि अब गिरफ्तारी तय है. उसी रात उसने दिल्ली छोड़ दी और फरारी का खेल शुरू हुआ. दो महीने तक वह पुलिस को चकमा देता रहा.

फरारी में भी चलती रही चालें

दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया कि फरारी के दौरान बाबा सिर्फ छिप नहीं रहा था, बल्कि रणनीति भी बना रहा था. उसने 50 लाख रुपये से ज्यादा कैश निकाले. अलग-अलग नामों से बैंक खाते संचालित किए. अपने सहयोगियों से छात्राओं पर दबाव बनाने और उनसे आपत्तिजनक मैसेज डिलीट करवाने के लिए कहा. पुलिस को शक है कि बाबा के कई मददगार अब भी फरार हैं. उन्हें खोजने के लिए टीमें लगाई गई हैं.

पीड़िताओं को मिला साहस, उम्मीद भी

चैतन्यानंद की गिरफ्तारी ने उन छात्राओं को राहत दी है जो लंबे समय से खौफ और दबाव में जी रही थीं. एक पीड़िता की करीबी मित्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि गिरफ्तारी सिर्फ आधी जीत है. न्याय तभी होगा जब उसे कड़ी सजा मिले. उसे उम्रकैद मिलनी चाहिए ताकि कोई और लड़कियों को इस तरह शिकार बनाने की हिम्मत न करे.

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पुलिस की अगली रणनीति

फिलहाल चैतन्यानंद को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है. पुलिस चाहती है कि उसे उन तीन महिला सहायिकाओं के आमने-सामने बिठाया जाए, जिन पर आरोप है कि उन्होंने छात्राओं को धमकाकर बाबा की मदद की. इसके अलावा पुलिस उसे जल्द ही संस्थान लेकर जा सकती है ताकि घटनास्थल से और सबूत जुटाए जा सकें.

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