नेपाल में आर्मी चीफ के पीछे दिखा हिंदू राजा का पोर्ट्रेट, लोग बोले- क्या इसमें कोई खास मैसेज है?

नेपाल आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल ने जब मंगलवार को उथल-पुथल झेल रहे देश को संबोधित किया, तो उनके शांति और संयम की अपील से ज्यादा चर्चा एक तस्वीर की हुई. ये तस्वीर थी उनके पीछे दीवार पर नेपाल के संस्थापक राजा पृथ्वीनारायण शाह का पोर्ट्रेट. सोशल मीडिया पर इसे लेकर सवाल उठने लगे.

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कौन थे तस्वीर में द‍िख रहे पृथ्वी नारायण शाह (Image: Nepal Army) कौन थे तस्वीर में द‍िख रहे पृथ्वी नारायण शाह (Image: Nepal Army)

सुशीम मुकुल

  • नई दिल्ली ,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:24 PM IST

नेपाल ज्यादातर वक्त शाह वंश की राजशाही के अधीन रहा. ये दुनिया का आखि‍री हिंदू साम्राज्य था, जिसे 2008 में माओवादी आंदोलन के बाद खत्म कर दिया गया. लेकिन पिछले कुछ समय से नेपाल में भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता से नाराज लोग फिर से राजशाही की वापसी की मांग उठा रहे हैं.

जनरल सिग्देल का संबोधन तब हुआ जब पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और सरकार विरोधी प्रदर्शनों में 20 लोगों की मौत हो गई. ऐसे वक्त में आर्मी चीफ का राष्ट्र को संबोधित करना और पीछे राजा पृथ्वीनारायण शाह की तस्वीर का दिखना कई मायनों में बड़ा संकेत माना गया. सोशल मीडिया पर किसी ने इसे 'बड़ा विज़ुअल मैसेज' कहा तो किसी ने 'राजशाही और हिंदू राष्ट्र की वापसी का संकेत' बताया.

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नेपाल आर्मी और पृथ्वीनारायण शाह का र‍िश्ता 

दरअसल नेपाल आर्मी की पहचान ही पृथ्वीनारायण शाह से जुड़ी हुई है. वे आधुनिक नेपाल के संस्थापक माने जाते हैं और आर्मी का ढांचा भी उन्होंने ही तैयार किया था. आज भी नेपाल की कई सैन्य संस्थाएं, अस्पताल और बैरक उनके नाम से चलते हैं. जब सितंबर 2024 में सिग्देल ने आर्मी चीफ का पद संभाला था, तब भी उनके पीछे यही तस्वीर लगी थी.

कौन थे पृथ्वीनारायण शाह?

पृथ्वीनारायण शाह का जन्म 1723 में गोरखा राज्य में हुआ था. 20 साल की उम्र में वो राजा बने और उन्होंने बिखरे हुए 50 से ज्यादा छोटे-छोटे राज्यों को एकजुट करके आधुनिक नेपाल का निर्माण किया. साल 1744 में उन्होंने नुवाकोट पर कब्जा किया जो तिब्बत जाने वाला अहम व्यापार मार्ग था और 1769 में काठमांडू घाटी के तीन मल्ला राज्यों काठमांडू, पाटन और भक्तपुर को भी जीत लिया. उन्होंने काठमांडू को राजधानी बनाया और नेपाल की सीमाओं को अंग्रेज भारत से बचाने के लिए बंद कर दिया.

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उन्होंने नेपाल को बहु-जातीय राष्ट्र के रूप में पेश किया और इसे चार जाति और 36 वर्णों का फूलों का बगीचा कहा. इसके साथ ही उन्होंने गोरखा सेना को आधुनिक हथियारों और प्रशिक्षण से लैस किया और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई. कुछ इतिहासकार उनकी तुलना अमेरिका के संस्थापक जॉर्ज वॉशिंगटन से भी करते हैं.

नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग

2000 के दशक में माओवादी विद्रोह ने नेपाल में 17,000 लोगों की जान ली और 2008 में राजशाही खत्म कर दी गई. लेकिन इसके बाद बने गणराज्य में 17 साल में 13 सरकारें बदल चुकी हैं. इससे आम जनता निराश है और राजशाही वापसी की आवाज फिर से उठ रही है. मार्च 2024 में काठमांडू में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. इसमें माओवादी से व्यापारी बने दुरगा प्रसाई भी शामिल हुए, जिन्होंने हिंदू राष्ट्र और संवैधानिक राजशाही की मांग की. आंदोलन हिंसक हो गया, दो लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए.

अब जब जेन-ज़ी की अगुवाई में नए प्रदर्शन हो रहे हैं, और दुरगा प्रसाई भी सक्रिय हैं, ऐसे में आर्मी चीफ़ के पीछे पृथ्वीनारायण शाह की तस्वीर को महज संयोग नहीं माना जा रहा.

क्या नेपाल में फुल सर्कल?

2008 में कम्युनिस्टों और माओवादियों ने हिंदू राजशाही को गिराया था. आज वही देश एक बार फिर कम्युनिज्म के खिलाफ आंदोलन देख रहा है. कई लोग मान रहे हैं कि नेपाल फुल सर्कल में आ चुका है. फिलहाल, जनरल सिग्देल और नेपाल आर्मी हालात संभाले हुए हैं – वही आर्मी जिसे ढाई सौ साल पहले पृथ्वीनारायण शाह ने खड़ा किया था.

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