आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने आजतक से खास बातचीत करते हुए भाषा विवाद पर अपनी स्पष्ट राय दी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए हिंदी एक जरूरत है.
पवन कल्याण ने आजतक से कहा कि किसी पर भी कोई भाषा थोपी नहीं जानी चाहिए. मैं राष्ट्रीय अखंडता के लिए खड़ा हूं. हम हिंदी भाषी राज्यों से घिरे हैं, मेरे लिए हिंदी एक जरूरत है. कभी-कभी पार्टियां या लोग अपने स्वार्थों के लिए नकारात्मकता भड़काते हैं.'
'स्कूल में मेरी दूसरी भाषा थी हिंदी'
उन्होंने कहा कि जब मैं स्कूल में था, तब हिंदी हम सबके लिए दूसरी भाषा थी. मैं आज इसे पढ़ और लिख पाता हूं, क्योंकि मैंने इसे तब सीखा था. मुझे नहीं पता कि अचानक ये इतना बड़ा मुद्दा क्यों बन गया. आंध्र प्रदेश, जिसकी सीमा छत्तीसगढ़, ओडिशा और कर्नाटक से लगती है. तेलंगाना की अपनी एक मिश्रित संस्कृति है, जहां लोग उर्दू और तेलुगु दोनों एक साथ बोली जाती हैं. अस्पताल कहने की बजाय लोग दवाखाना कहते हैं. इसमें क्या गलत है?'
'राजनीतिक लाभ के लिए हो रहा है विरोध'
उन्होंने ये भी कहा कि भाषा के सवाल को अक्सर वास्तविक सांस्कृतिक सरोकारों के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए हथियार बनाया जाता है. खासकर तेलंगाना में कुछ नेताओं द्वारा हिंदी का विरोध करने पर कल्याण ने कहा, 'ये आश्चर्यजनक है. मुझे लगता है कि ये विरोध बीजेपी या पीएम मोदी के प्रति नफरत से पैदा हुआ है, जिसे हिंदी पर ट्रांसफर किया जा रहा है.'
कल्याण ने हिंदी और अंग्रेजी को व्यावहारिक जरूरत बताया. उन्होंने कहा, 'मुझे अंग्रेजी जबरदस्ती नहीं सिखाई गई, ये जरूरत बन गई. आज हम अंग्रेजी इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि ये जरूरी है, न कि इसलिए कि हम इसे प्यार करते हैं. इसी तरह हिंदी भी आज जरूरी है.'
मैं चेन्नई में पला-बढ़ा: पवन कल्याण
कल्याण ने अपनी बहुभाषी पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि मैं चेन्नई में पला-बढ़ा हूं. मुझे तमिल बहुत पसंद है. मैंने इसे रुचि और जरूरत के चलते सीखा. इसलिए नहीं कि किसी ने मुझे सीखने पर मजबूर किया. जब मैं कर्नाटक में कन्नड़ और महाराष्ट्र में मराठी बोलने की कोशिश करता हूं. ये हमारा दृष्टिकोण होना चाहिए. राष्ट्रीय भाषाई एकीकरण के लिए बहुभाषी दृष्टिकोण जरूरी है.
'मैं हिंदी से प्यार करता हूं'
तमिलनाडु में हिंदी थोपने के कथित विरोध पर कल्याण ने कहा कि मैं हिंदी से प्यार करता हूं और उसका सम्मान करता हूं. ये मेरी दूसरी भाषा थी. भाषा संचार और एकीकरण के लिए होनी चाहिए, न कि विभाजन के लिए.
उन्होंने तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती का उदाहरण देते हुए कहा, 'भारती काशी में पले-बढ़े. उनकी पोशाक सिख पगड़ी जैसी थी. उन्होंने विचार, भाषा और पोशाक में एकीकरण को अपनाया. तमिलनाडु में ऐसे कई महान लोग हैं जो हिंदी का स्वागत करते हैं.'
कल्याण ने चेतावनी दी कि जबरदस्ती थोपने से सिर्फ़ विरोध ही भड़केगा. उन्होंने कहा, 'जब मां कुछ ज़बरदस्ती करती है तो बच्चा भी विरोध करता है. आपको हिंदी सीखने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलानी होगी, न कि उसे थोपना होगा. अगर आप लोगों से तार्किक और तार्किक ढंग से बात करेंगे तो आपको नतीजे मिलेंगे.'
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