मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर-पश्चिम भारत में इस साल अगस्त में 265 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद इस महीने में सबसे अधिक है और 1901 के बाद यह 13वीं बार है, जब अगस्त में इतनी वर्षा दर्ज की गई है.
इस मानसून सीजन के तीनों महीनों- जून, जुलाई और अगस्त में उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, जून में 111 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 42 प्रतिशत अधिक है. जुलाई में 237.4 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 13 प्रतिशत ज्यादा है. अगस्त में 265 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 197.1 मिमी से 34.5 प्रतिशत अधिक है.
असामान्य बारिश के साथ प्राकृतिक आपदाएं
कुल मिलाकर, 1 जून से 31 अगस्त तक उत्तर-पश्चिम भारत में 614.2 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 484.9 मिमी से 27 प्रतिशत अधिक है. इस असामान्य बारिश के साथ-साथ कई प्राकृतिक आपदाएं भी देखने को मिलीं. पंजाब में पिछले कई दशकों की सबसे भयंकर बाढ़ आई, जहां उफनती नदियों और टूटी नहरों ने हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को जलमग्न कर दिया और लाखों लोगों को विस्थापित कर दिया.
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हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे हिमालयी राज्यों में बादल फटने और फ्लैश फ्लड ने भूस्खलन को बढ़ावा दिया, जिससे व्यापक नुकसान हुआ. इन राज्यों में पुल और सड़कें बह गईं, साथ ही बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं सामने आईं. आईएमडी ने सामान्य से अधिक बारिश का कारण सक्रिय मानसून और बार-बार आने वाली पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) को बताया.
दक्षिण भारत में सामान्य से 31% अधिक बारिश
दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में भी अगस्त में 250.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 31 प्रतिशत अधिक है. यह 2001 के बाद तीसरी सबसे अधिक और 1901 के बाद 8वीं सबसे ज्यादा बारिश है. इस क्षेत्र में 1 जून से 31 अगस्त तक कुल 607.7 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 556.2 मिमी से 9.3 प्रतिशत अधिक है.
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पूरे देश में अगस्त में 268.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 5 प्रतिशत अधिक है. जून से अगस्त तक कुल 743.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 6 प्रतिशत ज्यादा है. मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चरम मौसमी घटनाओं का सिलसिला जारी रह सकता है. मौसम विभाग की चेतावनी के बाद प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेज किए जा रहे हैं.
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