उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक ठग को गिरफ्तार किया गया जो फर्जी दूतावास चलाकर चार माइक्रोनेशंस-वेस्ट आर्कटिका, लैंडोनिया, सेबोर्गा और पौलो वाई का प्रतिनिधि होने का दावा करता था. ये माइक्रोनेशन शब्द सुनने में किसी मौजूदा भू-राजनीतिक इकाई जैसा लगता है लेकिन असल में ये शातिर दिमागों की उपज हैं.
इस तस्वीर में गाजियाबाद के फेक दूतावास की तस्वीर है. ये माइक्रोनेशन दावा करते हैं कि उनके पास वो सब कुछ है, जो एक आधुनिक राष्ट्र में होता है यानी जमीन, संप्रभुता, नागरिक, मुद्रा, झंडा, संविधान और एक कामकाजी सरकार. लेकिन हकीकत में? इंटरनेट पर बस वेबसाइट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स, और जमीन पर महज कुछ साइनबोर्ड!
इनमें से कोई भी देश संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य देश द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है. चार में से तीन माइक्रोनेशन स्वीडन, इटली और कंबोडिया जैसे संप्रभु देशों में बने हैं. लैंडोनिया और वेस्ट आर्कटिका में तो एक भी व्यक्ति नहीं रहता, यहां तक कि उनके शासक भी नहीं!
पढ़िए इन फर्जी देशों के बारे में गढ़ी गई कहानी
वेस्ट आर्कटिका:
एक अमेरिकी नौसेना अधिकारी ने अंटार्कटिक संधि में खामी का फायदा उठाकर 2004 में मैरी बायर्ड लैंड पर वेस्ट आर्कटिका की स्थापना की और खुद को इसका 'ग्रैंड ड्यूक' घोषित किया. उसने दक्षिणी ध्रुव के पास 6,20,000 वर्ग मील पर संप्रभुता का दावा किया क्योंकि वहां कोई और दावा नहीं करता. बाद में उसे नौसेना से निकाल दिया गया. वेस्ट आर्कटिका का प्रमुख, ट्रैविस, इसे एक संप्रभु राष्ट्र और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने वाली चैरिटी के रूप में पेश करता है लेकिन वहां भी कोई नहीं रहता!
इसकी वेबसाइट के मुताबिक इसके कई देशों में मानद काउंसल हैं जिनमें भारत में दो शामिल हैं. वेस्ट आर्कटिका ने बयान दिया कि हर्षवर्धन जैन को 2016 में 'उदार दान' के बाद मानद काउंसल बनाया गया था लेकिन उसे दूतावास चलाने, डिप्लोमैटिक प्लेट्स या पासपोर्ट बनाने की इजाजत नहीं थी. फिर भी, एक हफ्ते पहले वेस्ट आर्कटिका के इंस्टाग्राम अकाउंट ने जैन के फर्जी 'दूतावास' और 'डिप्लोमैटिक' वाहनों की तस्वीरें पोस्ट की थीं.
लैंडोनिया (स्वीडन):
स्वीडन के दक्षिणी तट पर सिर्फ 1 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में लैंडोनिया का दावा किया जाता है. इसे 1996 में एक कलाकार ने कला की स्वतंत्रता के लिए प्रतीकात्मक और सांस्कृतिक शरणस्थल के रूप में बनाया था. लैंडोनिया में दो कलाकृतियां पहली निमिस यानी एक लकड़ी का भूलभुलैया और दूसरी आर्क्स यानी एक पत्थर की मूर्ति है.
लैंडोनिया की कला आधारित माइक्रोनेशन की झलक
इसकी वेबसाइट के मुताबिक लैंडोनिया के 29,000 से ज्यादा पंजीकृत खानाबदोश नागरिक हैं. यह एक गणतांत्रिक राजशाही है, जिसका संविधान हर तीन साल में चुने जाने वाले राष्ट्रपति और आजीवन शासन करने वाली रानी की मांग करता है. वर्तमान में इसका प्रधानमंत्री और रानी दोनों अमेरिका में रहते हैं.
सेबोर्गा (इटली):
इटली के उत्तर-पश्चिम में फ्रांस की सीमा के पास एक छोटा सा पर्यटक गांव सेबोर्गा, जैन के दावों में शामिल माइक्रोनेशनों में सबसे वास्तविक राजनीतिक इकाई के करीब है.
कंटेंट क्रिएटर्स और पर्यटकों द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो और तस्वीरें दिखाते हैं कि सेबोर्गा के झंडे गांव की इमारतों और सड़कों पर लगे हैं. सेबोर्गा के निवासी ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला देकर दावा करते हैं कि इस पहाड़ी गांव की संप्रभुता कभी किसी राजा या देश को नहीं सौंपी गई. वे इटली के शासन को गैरकानूनी बताते हैं और स्वतंत्रता की आकांक्षा रखते हैं. सेबोर्गा की वेबसाइट में भारत में तीन प्रतिनिधियों की सूची है लेकिन जैन का नाम इसमें शामिल नहीं है.
पौलो वाई (कंबोडिया):
यह काल्पनिक माइक्रोनेशन थाईलैंड की खाड़ी में पौलो वाई के दोहरे द्वीपों पर आधारित होने का दावा करता है. इसकी वेबसाइट के मुताबिक इसके मौजूदा शासक वियतनाम की आखिरी राजवंश के प्रिंस गुयेन बाओ नाम ने 1995 में इन द्वीपों को पौलो वाई का साम्राज्य घोषित किया. ये वेबसाइट झूठे दावों से भरी पड़ी है. वेबसाइट का दावा है कि इस साम्राज्य के पास एक विशाल शाही सशस्त्र बल है, जिसमें छह स्क्वाड्रन वाली नौसेना है, जिसमें OPV-80 और CB-90 जहाज शामिल हैं. एक और अविश्वसनीय दावा ये है कि शाही वायुसेना के पास F/A-18, C-130 और SH-60 विमान भी हैं.
बिदिशा साहा / शुभम तिवारी