भूख हड़ताल पर राजनीतिक जंग, केजरीवाल पर बरसे जावड़ेकर, उपवास को बताया ‘ढोंग’

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है और आज भूख हड़ताल की जा रही है. किसानों की जंग से इतर एक राजनीतिक लड़ाई भी चल रही है. सोमवार को प्रकाश जावड़ेकर ने अरविंद केजरीवाल को घेरा.

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अरविंद केजरीवाल पर बरसे प्रकाश जावड़ेकर अरविंद केजरीवाल पर बरसे प्रकाश जावड़ेकर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST
  • कृषि कानून पर किसानों का आंदोलन जारी
  • प्रकाश जावड़ेकर ने अरविंद केजरीवाल को घेरा

कृषि कानून के खिलाफ किसान आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं. पहले भारत बंद और अब भूख हड़ताल के जरिए सरकार को कड़ा संदेश दिया जा रहा है. इस सबके बीच राजनीतिक लड़ाई भी जारी है. किसानों के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उपवास रखने की बात कही है, इसको लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आम आदमी पार्टी के नेता पर निशाना साधा है. 

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को ट्वीट किया और दिल्ली सीएम पर गंभीर आरोप लगाया. प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा कि अरविंद केजरीवाल जी, ये आपका पाखण्ड है. आपने पंजाब विधानसभा चुनावों में वादा किया था कि जीतने पर APMC कानून में संशोधन किया जाएगा. नवम्बर 2020 में आपने दिल्ली में कृषि कानूनों को अधिसूचित भी किया और आज आप उपवास का ढोंग कर रहे हो, यह कुछ और नहीं बल्कि पाखण्ड ही है.

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आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल लगातार किसानों के मसले पर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं और केंद्र पर बरस रहे हैं. बीते दिनों केजरीवाल ने सिंघु बॉर्डर पर जाकर किसानों से मुलाकात की थी. साथ ही आम आदमी पार्टी ने भारत बंद का भी समर्थन किया था. 

एक तरफ केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली सीएम को घेरा, तो अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर पर आरोप लगा दिया. 

दिल्ली सीएम ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘कैप्टन जी, मैं शुरू से किसानों के साथ खड़ा हूं. दिल्ली के स्टेडियम जेल नहीं बनने दिए, केंद्र से लड़ा. मैं किसानों का सेवादार बनके उनकी सेवा कर रहा हूं. आपने तो अपने बेटे के ED केस माफ़ करवाने के लिए केंद्र से सेटिंग कर ली, किसानों का आंदोलन बेच दिया? क्यों?

गौरतलब है कि बीजेपी और केंद्र सरकार की ओर से लगातार आरोप लगाया जा रहा है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है और इस आंदोलन को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ा रहा है. दूसरी ओर राजनीतिक दलों ने खुले तौर पर किसानों की मांग का समर्थन कर दिया है. 

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