'चुनाव आयोग इतनी जल्दबाजी में क्यों?', SIR 2.0 के विरोध में कांग्रेस ने दिए ये तर्क, तीन राज्य भी हुए खिलाफ

चुनाव आयोग ने बिहार के बाद देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 28 अक्टूबर से 7 फरवरी तक चलेगी. इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को साफ-सुथरा और त्रुटि-मुक्त बनाना है. इस प्रक्रिया का उन राज्यों में विरोध हो रहा है जहां इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की सरकार है.

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तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में SIR प्रक्रिया का विरोध हो रहा है. (File Photo: PTI) तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में SIR प्रक्रिया का विरोध हो रहा है. (File Photo: PTI)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:50 AM IST

बिहार के बाद देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट अपडेट होगी. चुनाव आयोग ने आज बताया कि इन राज्यों में वोटर लिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR 28 अक्टूबर से शुरू होगा और 7 फरवरी को खत्म होगा. भारतीय लोकतंत्र में आम जनता ही तंत्र की असली ताकत बनी रहे, इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से शुरू की गई वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया को लेकर ऐसा तूफान खड़ा हुआ कि मामला सड़कों तक पहुंच गया और सियासत गरमा गई. 

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संसद में प्रदर्शन हुए और अदालत तक लड़ाई हुई. अदालत में लोक भी जीता और तंत्र भी. SIR रुका नहीं. बिहार से शुरू हुई कवायद अब देश के अन्य 12 राज्यों में भी कराने का ऐलान हो चुका है. देश के ऐसे राज्यों में जहां आने वाले साल में चुनाव है वहां एसआईआर का घोर विरोध हो रहा है. सबसे ज्यादा विरोध पश्चिम बंगाल, तमिनलाडु और केरल में हो रहा है. इन तीनों ही राज्यों में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की सरकार है. 

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तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में SIR का विरोध

तमिलनाडु में सीएम स्टालिन ने तो एसआईआर को साजिशों का जाल बता दिया है. दूसरी तरफ चुनाव आयोग के एसआईआर के साथ ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी बड़े चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रही है. टीएमसी ने ऐलान किया है कि आने वाले 2 नवंबर को कोलकाता में एसआईआर के विरोध में विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा. खुद अभिषेक बनर्जी चुनाव आयोग के इस अभियान के विरोध का झंडा उठाएंगे. 

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ममता सरकार ने किए अधिकारियों के तबादले
 
उधर एसआईआर शुरू होने से पहले ही ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में 10 जिलों के डीएम समेत 64 आईएएस बदल डाले. ममता बनर्जी चुनाव आयोग की ओर से की जा रही एसआईआर प्रक्रिया को एनआरसी का दूसरा रूप बताती हैं. तो बंगाल बीजेपी कहती है कि ठीक से एसआईआर हो गया तो बंगाल में एक करोड़ से अधिक अवैध वोटर्स का नाम कट जाएगा. बंगाल से लेकर तमिलनाडु जैसे राज्यों में एसआईआर का विरोध हो रहा है लेकिन महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां जनवरी में स्थानीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं लेकिन यहां एसआईआर नहीं हो रहा है. 

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कांग्रेस ने विरोध को लेकर दिए ये तर्क

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि पार्टी को इस प्रक्रिया पर तीन प्रमुख आपत्तियां हैं. पहली, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो चुनाव आयोग देशभर में इतनी जल्दबाजी में SIR लागू करने को लेकर उत्साहित क्यों है. दूसरी, आयोग ने बिहार में अवैध प्रवासियों से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की, जबकि भाजपा ने इस मुद्दे का राजनीतिक इस्तेमाल किया. और तीसरी, असम में ऐसी कोई SIR प्रक्रिया क्यों नहीं चलाई जा रही. प्रमोद तिवारी ने इसे केंद्र सरकार की नाकामी बताते हुए कहा कि यह मोदी और शाह की नीतियों पर करारा तमाचा है, क्योंकि अब तक कोई अवैध प्रवासी पकड़ा नहीं गया, जबकि इसी मुद्दे को उन्होंने बार-बार चुनावी मंचों से उठाया था.

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राहुल गांधी ने लगाया मिलीभगत का आरोप
 
चुनाव आयोग के खिलाफ सत्ता पक्ष से मिलीभगत का आरोप लगाकर राहुल गांधी ने तरह-तरह के बम फोड़ने की कोशिश की. वोटर लिस्ट में तमाम गड़बड़ियों की ओर देश का ध्यान दिलाया और इसी हवाले से चुनाव नतीजों में गड़बड़ी के आरोप भी लगा दिए. अब बाकी विपक्षी दल एसआईआर की प्रक्रिया को भी मिलीभगत में अपनाई गई प्रक्रिया बताने लगे हैं. 

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दरअसल चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया के पीछे बीजेपी ने घुसपैठिये वोटर्स को हटाने की दलील दी थी जबकि बिहार में इतने सघन वोटर रिवीजन के बावजूद घुसपैठिये वोटर्स की निश्चित तादाद का कुछ पता नहीं चल सका. चुनाव आयोग ने बिहार के जिन 65 लाख वोटर्स का नाम काटा है उनमें मृत, पलायन, दोहरे वोटर वाले मामले ही सामने आए हैं.

चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को बताया कि चुनाव आयोग 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का दूसरा चरण शुरू करने जा रहा है. यह अभियान अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलाया जाएगा. इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. उन्होंने बताया कि असम में वोटर लिस्ट का रिवीजन अलग से घोषित किया जाएगा, क्योंकि वहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नागरिकता सत्यापन का एक अलग कार्यक्रम पहले से चल रहा है.

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दूसरे चरण में कवर होंगे 51 करोड़ वोटर्स

दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, 'आज हम स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के दूसरे चरण की घोषणा कर रहे हैं. मैं बिहार के 7.5 करोड़ मतदाताओं को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने पहले चरण को सफल बनाया. आयोग ने देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के चुनाव अधिकारियों से बैठक कर पूरी प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की.' उन्होंने बताया कि मतदाता गणना की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होगी, जो करीब 51 करोड़ वोटर्स को कवर करेगी. ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 9 दिसंबर को जारी की जाएगी और अंतिम वोटर लिस्ट 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी.

उन्होंने कहा कि SIR का पहला चरण बिहार में हुआ था, जिसमें 90,000 से ज्यादा मतदान केंद्र शामिल थे और यह बिना किसी अपील के सफलतापूर्वक पूरा हुआ. बिहार के मतदाताओं की भागीदारी शानदार रही और उसने बाकी राज्यों के लिए एक मिसाल पेश की. उन्होंने यह भी बताया कि जिन राज्यों में SIR किया जाएगा, वहां की वोटर लिस्ट आज आधी रात (12 बजे) से फ्रीज कर दी जाएगी. इसके बाद मतदाताओं को यूनिक एन्यूमरेशन फॉर्म दिए जाएंगे, जिनमें उनकी सभी डिटेल्स होंगी.

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हर BLO को दी जाएगी 1000 वोटर्स की जिम्मेदारी

उन्होंने कहा कि SIR का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में न रहे. आयोग के मुताबिक, SIR प्रक्रिया में हर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को करीब 1000 मतदाताओं की जिम्मेदारी दी जाएगी. हर विधानसभा क्षेत्र की देखरेख एक इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) करेगा, जो आमतौर पर एसडीएम स्तर का अधिकारी होता है और उसे कई असिस्टेंट ERO (AERO) की मदद मिलेगी. चुनाव आयोग ने कहा कि SIR का दूसरा चरण बिहार मॉडल की सफलता को आगे बढ़ाने का प्रयास है, ताकि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में साफ-सुथरी, समावेशी और त्रुटि-मुक्त वोटर लिस्ट तैयार की जा सके.

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