प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक मनोज गौर को 14,599 करोड़ रुपये के कथित होम बायर्स फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने मनोज को पांच दिनों की ईडी की हिरासत में भेज दिया. आधिकारिक सूत्रों ने ये जानकारी दी है.
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि घर खरीदारों से एकत्रित धनराशि को विभिन्न ट्रस्टों में स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे परियोजनाएं अधूरी रह गईं और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी हुई.
ईडी ने पाया कि गौर जेपी सेवा संस्थान (जेएसएस) के प्रबंध ट्रस्टी हैं, जिसे डायवर्टेड फंड का कुछ हिस्सा प्राप्त हुआ था. अधिकारियों ने बताया कि उनके खिलाफ जांच घर खरीदारों के साथ कथित धोखाधड़ी के मामले से संबंधित है.
होम बायर्स से जमा पैसे को किया डायवर्ट
ED ने अपने बयान में कहा, 'उसने दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज कई FIR के आधार पर जेपी समूह के खिलाफ जांच शुरू की. इन शिकायतों में जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स परियोजनाओं के होमबायर्स ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया था.'
एजेंसी का आरोप है कि आवासीय परियोजनाओं के निर्माण और पूरा करने के लिए हजारों होमबायर्स से जुटाए गए फंड को निर्माण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट कर दिया गया, जिससे घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी हुई और उनकी परियोजनाएं अधूरी रह गईं.
JP सेवा संस्थान में पहुंचा फंड
ED की जांच में खुलासा हुआ कि JAL और JIL द्वारा होमबायर्स से जुटाए गए लगभग 14,599 करोड़ रुपये में से एक बड़ी राशि गैर-निर्माण उद्देश्यों के लिए डायवर्ट कर दिया. ये फंड जेपी समूह की संबंधित यूनिटों और ट्रस्टों, जैसे जेपी सेवा संस्थान (JSS), M/s जेपी हेल्थकेयर लिमिटेड (JHL), और M/s जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड (JSIL) को भेज दिया गया. ED ने पाया कि मनोज गौड़ जेपी सेवा संस्थान (JSS) के प्रबंध ट्रस्टी हैं, जिसे डायवर्ट किए गए फंड का एक हिस्सा मिला था.
ED की छापेमारी
ED ने 23 मई को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के कार्यालयों समेत 15 ठिकानों पर तलाशी ली थी. इस दौरान बड़ी मात्रा में वित्तीय और डिजिटल रिकॉर्ड, साथ ही धनशोधन और फंड मोड़ने के अपराध को साबित करने वाले दस्तावेज जब्त किए गए थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि ED की जांच ने जेपी समूह और उसकी संबद्ध संस्थानों के अंदर जटिल लेनदेन के एक जाल के माध्यम से फंड डायवर्ट करने की योजना और कार्यान्वयन में गौड़ की केंद्रीय भूमिका सामने आई है.
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