IAS ने रिश्वत के पैसों से बनाई 169 करोड़ की संपत्ति! ED का आरोप- हर इंच अवैध निर्माण के लिए तय थी घूस की रकम

ईडी ने वसई विरार सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के पूर्व कमिश्नर अनिल पवार पर 169 करोड़ रुपये की रिश्वत से सोना, हीरे, महंगी साड़ियां और पत्नी के नाम पर संपत्तियां खरीदने का आरोप लगाया है.

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ईडी ने आरोप लगाया है कि IAS अधिकारी अनिल पवार ने 169 करोड़ की रिश्वत से सोना-हीरे, साड़ियां और संपत्तियां खरीदीं. (File Photo: PTI) ईडी ने आरोप लगाया है कि IAS अधिकारी अनिल पवार ने 169 करोड़ की रिश्वत से सोना-हीरे, साड़ियां और संपत्तियां खरीदीं. (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि IAS अधिकारी अनिल पवार ने 169 करोड़ रुपये की 'अपराध की आय' रिश्वत से अर्जित की और इसका उपयोग अपनी पत्नी के लिए सोने, हीरे, महंगी साड़ियां खरीदने और उनके नाम पर हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में इंवेस्टमेंट के लिए किया. वसई विरार सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (VVCMC) के पूर्व कमिश्नर IAS अनिल पवार को ईडी ने इस साल जुलाई में तीन अन्य लोगों के साथ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था. 

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यह मामला 2009 से मुंबई के पास VVCMC क्षेत्र में सरकारी और निजी जमीन पर अवैध रूप से रेजिडेंशियल और कमर्शियल बिल्डिंग्स के निर्माण से जुड़ा है. सभी चार आरोपी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. ईडी ने मुंबई के स्पेशल PMLA कोर्ट में इनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिसका कोर्ट ने अभी संज्ञान नहीं लिया है. केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया कि अनिल पवार 'रिश्वत वसूलने का कार्टेल' चलाते थे, इसलिए अवैध निर्माण गतिविधियों पर अपनी आंखें मूंदे रखीं.

अवैध निर्माण पर ₹150 प्रति वर्ग फुट की रिश्वत

ईडी का कहना है कि अवैध निर्माण परियोजनाओं पर 150 रुपये प्रति वर्ग फुट की निश्चित कमीशन दर तय की गई थी, जिसमें से 50 रुपये प्रति वर्ग फुट सीधे अनिल पवार को मिलता था. उन्होंने VVCMC कमिश्नर बनने के बाद शहरी क्षेत्र में 20-25 रुपये और ग्रीन जोन में 62 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से रिश्वत तय की. एजेंसी ने खुलासा किया कि इस तरह अनिल पवार ने 169 करोड़ रुपये की अपराध की आय अर्जित की. इस राशि को लॉन्डर करने के लिए उन्होंने अपने परिवार, रिश्तेदारों और बेनामीदारों के नाम पर कई संस्थाएं बनाईं.

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ईडी के आरोपों के मुताबिक इस आय से IAS अनिल पवार ने पत्नी के लिए सोना, हीरे, मोती के गहने, महंगी साड़ियां, गोदाम, फार्महाउस खरीदे और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में निवेश किया. अधिकांश अपराध की आय अनिल पवार की पत्नी, बेटियों और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर अचल संपत्तियों में लगाई गई. जुलाई 2024 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने वसई विरार में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित जमीन पर बने 41 अवैध इमारतों को तोड़ने का आदेश दिया था.

ईडी ने जब्त कीं 71 करोड़ रुपये की संपत्तियां

वसई विरार सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (VVCMC) ने 20 फरवरी, 2025 तक सभी अवैध इमारतों को ध्वस्त कर दिया. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वसई-विरार में इमारतों के अवैध निर्माण से जुड़ी 71 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं, जिनमें से 44 करोड़ रुपये की संपत्तियां वसई-विरार नगर निगम के पूर्व कमिश्नर अनिल पवार (आईएएस) की थीं. ईडी ने कई बिल्डरों और आर्किटेक्ट्स के बयान दर्ज किए, जिन्होंने अपनी बिल्डिंग निर्माण फाइलों को मंजूरी देने के बदले में आईएएस अनिल पवार और अन्य VVCMC अधिकारियों को रिश्वत देने की बात स्वीकार की.

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