...3 घंटे के अंदर चार देशों में आए भूकंप के झटके, नेपाल-तिब्बत, भारत और पाकिस्तान की धरती डोली

नेपाल और भारत ही नहीं बल्कि तिब्बत औऱ पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. पाकिस्तान में भी सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर  भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता 4.5 रही. इससे पहले 16 फरवरी को भी पाकिस्तान में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

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नेपाल समेत चार देशों में महसूस किए गए भूकंप के झटके नेपाल समेत चार देशों में महसूस किए गए भूकंप के झटके

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST

भारत समेत चार देशों में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. तीन घंटे के अंदर भारत, नेपाल, तिब्बत और पाकिस्तान के कई इलाकों में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. भारत में पटना के लोगों को सुबह 2.35 बजे तेज झटके महसूस किए जिसके बाद लोग घरों से बाहर निकल आए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 दर्ज की गई.

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नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप के झटके नेपाल के बागमती प्रांत में भी तड़के करीब 2.35 बजे महसूस किए गए. नेपाल का बागमती प्रांत बिहार के मुजफ्फरपुर से 189 किलोमीटर उत्तर में पड़ता है. इस भूकंप में अभी तक किसी भी तरह की जानमाल के नुकसान की जानकारी नहीं है. नेपाल ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश तिब्बत में भी यह झटके महसूस किए गए. 

पाकिस्तान में डोली धरती

वहीं, पाकिस्तान में भी सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर  भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल आए. भूकंप की तीव्रता 4.5 रही. इससे पहले 16 फरवरी को भी पाकिस्तान में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. तब भूकंप का केंद्र रावलपिंडी से आठ किलोमीटर दक्षिण पूर्व में था. भूकंप के झटकों की वजह से किसी भी तरह के नुकसान की खबरें सामने नहीं आई है.

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इससे पहले शुक्रवार सुबह 2.48 बजे तिब्बत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 रही थी. यहां भी इस दौरान किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ. इस भूकंप का केंद्र धरती से 70 किलोमीटर की गहराई में था.

भूकंप क्यों और कैसे आता है?

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है. जब इससे डिस्‍टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है.

रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है.

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