Dog Bite Case: अब सिर्फ स्ट्रीट डॉग नहीं होंगे बदनाम, ऐसे रखा जाएगा हर केस का रिकॉर्ड

अगर किसी को स्ट्रीट डॉग ने काटा है तो वह अलग दर्ज होगा और अगर पालतू कुत्ता काटता है तो उसका केस अलग एंट्री में आएगा. इस तरह आगे चलकर स्ट्रीट डॉग, पेट डॉग और बाकी कैटेगिरी के लिए अलग-अलग डेटा तैयार होगा.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST

कुत्तों के काटने के मामले (Dog Bite Case) में अब गली-सड़क के कुत्ते ही बदनाम नहीं होंगे. अब तक यह आम धारणा रही है कि पार्क में खेलते बच्चों, सड़क पर चलते लोगों या किसी बुजुर्ग को काटने के लिए सिर्फ स्ट्रे डॉग्स जिम्मेदार होते हैं. लेकिन असलियत ये है कि पालतू कुत्ते (Pet Dogs) भी कई बार हमला करते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि इन मामलों का डेटा अलग से दर्ज ही नहीं किया जाता, जिसकी वजह से पूरा ठीकरा स्ट्रीट डॉग्स के सिर फूटता है.

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अब तस्वीर बदलने वाली है. एनिमल वैलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) ने साफ कहा है कि आगे से हर डॉग बाइट केस का रिकॉर्ड अलग-अलग रखा जाएगा.

कैसे होगा रिकॉर्ड तैयार?

AWBI के ऑनरेरी कमिश्नर अभिजीत मित्रा ने इस संबंध में डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज को पत्र लिखा है. इसमें मांग की गई है कि देशभर के सभी अस्पताल और मेडिकल इंस्टीट्यूट्स को निर्देश दिए जाएं कि वो डॉग बाइट केस को कैटेगिरी-वाइज दर्ज करें.  मतलब अगर किसी को स्ट्रीट डॉग ने काटा है तो वह अलग दर्ज होगा और अगर पालतू कुत्ता काटता है तो उसका केस अलग एंट्री में आएगा. इस तरह आगे चलकर स्ट्रीट डॉग, पेट डॉग और बाकी कैटेगिरी के लिए अलग-अलग डेटा तैयार होगा.

अभी तक क्यों हो रहे थे स्ट्रीट डॉग्स बदनाम?

अभिजीत मित्रा के मुताबिक, फिलहाल देश में डॉग बाइट केस का कोई अलग रिकॉर्ड नहीं रखा जाता. लिहाजा सारे केस “स्ट्रीट डॉग बाइट” के तौर पर दर्ज कर दिए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर दिल्ली में 2018 से 2023 की शुरुआत तक करीब 1.27 लाख केस दर्ज हुए. वहीं मुंबई में 2018 से 2022 के बीच 3.53 लाख केस सामने आए. इनमें कई मामले पालतू कुत्तों से जुड़े थे, लेकिन कैटेगिरी अलग न होने के कारण सबका ठीकरा स्ट्रे डॉग्स पर ही फोड़ा गया.

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फायदा क्या होगा?

अगर आगे से स्ट्रीट डॉग और पेट डॉग बाइट केस अलग-अलग दर्ज किए जाएंगे तो इसके कई बड़े फायदे होंगे:

यह पता चल सकेगा कि किस शहर और राज्य में सबसे ज्यादा केस सामने आ रहे हैं.
आंकड़ों के आधार पर टीकाकरण और जागरूकता अभियान ज्यादा असरदार तरीके से चल सकेंगे.
पालतू कुत्तों के मामलों में उनके मालिकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होगी.
लोगों की सोच साफ होगी कि सिर्फ स्ट्रे डॉग ही काटते नहीं, पेट डॉग्स भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

बता दें कि AWBI की इस पहल से अब न तो स्ट्रीट डॉग्स पर झूठा इल्जाम लगेगा और न ही पेट डॉग्स के मालिक अपनी जिम्मेदारी से बच पाएंगे. आने वाले वक्त में अलग-अलग कैटेगिरी के आंकड़े सामने आने से देश में डॉग बाइट केस को लेकर एक क्लियर तस्वीर मिलेगी.

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