ED के नोटिस पर पेश नहीं होंगे CM केजरीवाल, AAP बोली- जब कोर्ट से जमानत तो बार-बार क्यों भेज रहे समन

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड घोटाले के मामले में आज प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं होंगे. उन्होंने कहा है कि जब कोर्ट से जमानत मिल चुकी है तो बार-बार उन्हें समन क्यों भेजा जा रहा है.

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Arvind Kejriwal (File Photo) Arvind Kejriwal (File Photo)

पंकज जैन / अमित भारद्वाज / अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST

दिल्ली जलबोर्ड घोटाले में सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश नहीं होंगे. आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि जब कोर्ट से जमानत मिल चुकी है तो ईडी बार-बार समन क्यों भेज रही है. AAP ने कहा है कि ED का समन गैरकानूनी है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बीजेपी ED के पीछे छुपकर चुनाव क्यों लड़ना चाहती है.

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बता दें कि दिल्ली पुलिस ने इसे लेकर तैयारी कर ली थी कि अगर सीएम केजरीवाल ED के सामने पेश होते तो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में BJP दफ्तर के सामने प्रदर्शन कर सकते थे. इसे देखते हुए दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड पर थी.

DCP सेंट्रल ने सर्कुलर जारी कर पुलिस फोर्स को तैयार रहने के लिए कहा था. दिल्ली पुलिस की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक जानकारी मिली थी कि अगर केजरीवाल ED के सामने पेश होते हैं तो मुमकिन है कि 9.30 बजे वे राजघाट चले जाएं. ऐसे में AAP समर्थक भी बड़ी संख्या में राजघाट पर जमा हो सकते थे.

CM केजरीवाल को कब-कब जारी हुए समन

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से संबंधित केस में भी ईडी का सामना कर रहे हैं. एजेंसी इस केस में उन्हें 9वीं बार समन भेज चुकी है और 21 मार्च को पेश होने के लिए कहा है. केंद्रीय एजेंसी ने इस केस में सीएम को 21 नवंबर, 3 जनवरी, 18 जनवरी, 2 फरवरी, 19 फरवरी, 26 फरवरी और 4 मार्च को समन जारी किया था.

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ED समन के उल्लंघन मामले में मिली जमानत

इससे पहले सीएम अरविंद केजरीवाल शनिवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट ने उन्हें केंद्रीय एजेंसी की शिकायत पर नोटिस जारी किया था. शिकायत पर एक सुनवाई के लिए केजरीवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बेंच के सामने पेश हुए थे, लेकिन दूसरी सुनवाई के लिए कोर्ट ने उन्हें अदालत में मौजूद रहने को कहा था. मसलन, अदालत ने यह मानते हुए कि सीएम के खिलाफ लगाए गए आरोप जमानती हैं, उन्हें कुल 50 हजार रुपये के दो अलग-अलग बॉन्ड पर जमानत दे दी थी.

क्या है जल बोर्ड घोटाला?

दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच को मिली शिकायत के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank) को अपने उपभोक्ताओं के बिल कलेक्शन का जिम्मा दिया था. इसके लिए बैंक से साल 2012 में 3 साल के लिए अनुबंध किया गया. बाद में इसे साल 2016, फिर 2017 और 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया. उपभोक्ताओं के कैश और चेक के लिए जल बोर्ड के ही स्थानीय दफ्तरों में ई-क्योस्क मशीनें लगाई गईं ताकि उपभोक्ता अपने-अपने पानी के बिलों का भुगतान जमा करा सकें.

एसीबी सूत्रों के मुताबिक, कॉरपोरेशन बैंक ने कैश और चेक कलेक्शन की जिम्मेदारी M/s Freshpay IT Solution Pvt Ltd को सौंप दी. उसे इस पैसे को सीधा दिल्ली जल बोर्ड के एकाउंट में जमा कराना था लेकिन इस कंपनी ने ई-क्योस्क मशीन से चेक और कैश कलेक्ट कर फेडरल बैंक के खाते में जमा कराए. फेडरल बैंक के जिस खाते में M/s Freshpay IT Solution Pvt Ltd ने पैसा जमा कराया वह बैंक खाता M/s Aurrum E-Payment Pvt Ltd के नाम था.

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इसके बाद फेडरल बैंक के जिस खाते में पैसा जमा कराया गया था, उस खाते से RTGS के जरिए अलग-अलग तारीखों में पैसा ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन पैसा जल बोर्ड के अकाउंट में ट्रांसफर न करके कहीं और किया गया. साल 2019 में इस फर्जीवाड़े की जानकारी दिल्ली जल बोर्ड को हुई थी. लेकिन जल बोर्ड ने अपना पैसा रिकवर करने के बजाए कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू किया. चेक और कैश कलेक्शन के लिए दी जाने वाली फीस 5 रुपये प्रति बिल की जगह बढ़ाकर 6 रुपये कर दी.

(इनपुट: श्रेया चटर्जी)

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