चक्रवात दित्वाह की भारी तबाही के बीच भारत ने एक बार फिर अपने पड़ोसी श्रीलंका के प्रति मानवीय कर्तव्य निभाते हुए सबसे आगे बढ़कर मदद का हाथ बढ़ाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके से फोन पर बात कर जानमाल के भारी नुकसान पर गहरा शोक व्यक्त किया और भरोसा दिलाया कि मुश्किल की इस घड़ी में भारत पूरी मजबूती के साथ श्रीलंका के साथ खड़ा है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ऑपरेशन 'सागर बंधु' के तहत श्रीलंका को निरंतर सहायता प्रदान करता रहेगा, ताकि राहत, बचाव और पुनर्वास के कार्य तेजी से आगे बढ़ सकें. चक्रवात के लैंडफॉल के तुरंत बाद भारत की ओर से त्वरित कार्रवाई शुरू हो गई थी.
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दो भारतीय नौसेना जहाजों से 9.5 टन जरूरी राशन कोलंबो पहुंचाया गया. इसके बाद भारतीय वायुसेना के तीन विशेष विमानों से 31.5 टन अतिरिक्त सामग्री - टेंट, तिरपाल, कंबल, हाइजीन किट, तैयार भोजन, दवाइयाँ और सर्जिकल उपकरण श्रीलंका भेजे गए.
NDRF की 80-सदस्यीय विशेष टीम की तैनाती
भारत ने पांच सदस्यीय मेडिकल टीम और NDRF की 80-सदस्यीय विशेष USAR टीम भी तैनात की, जिसने स्थानीय एजेंसियों के साथ मिलकर फंसे लोगों को निकालने और मेडिकल सहायता पहुंचाने का कार्य संभाला. इंडियन नेवी शिप 'सुकन्या' से 12 टन और राहत सामग्री भेजी गई. कुल मिलाकर अब तक 53 टन से अधिक सहायता श्रीलंका को उपलब्ध कराई जा चुकी है.
भारतीय सुरक्षाबलों की टीम रेस्क्यू में जुटी
राहत कार्यों में वायुसेना और नौसेना के हेलिकॉप्टरों ने अहम भूमिका निभाई. INS विक्रांत के चेतक और IAF के MI-17 हेलिकॉप्टरों ने कई घंटों तक रेस्क्यू उड़ानें भरीं. रविवार को ही 45 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जिनमें 6 गंभीर घायल, 4 शिशु और कई विदेशी नागरिक शामिल थे. अब तक 150 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा चुका है. इनमें 12 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं.
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वहीं, भारतीय वायुसेना ने 400 से अधिक भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए विशेष उड़ानें चलाईं. C-130 ने 150 यात्रियों को दिल्ली और IL-76 ने 250 लोगों को तिरुवनंतपुरम पहुंचाया.
राष्ट्रपति दिसानायके ने भारत की तत्पर कार्रवाई और संवेदनशीलता की सराहना करते हुए कहा कि यह सहयोग श्रीलंका के लिए अमूल्य है. चक्रवात दित्वाह ने श्रीलंका में 200 से अधिक लोगों की जान ले ली है और देश में राष्ट्रीय आपातकाल लागू है.
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