उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस-सपा गठबंधन पर लगी मुहर, इस सीट को लेकर हुआ समझौता

इससे पहले लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के फॉर्मूले पर सहमति बन गई. यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. दोनों ही पार्टियों के बीच तीन सीटों पर दावेदारी को लेकर पेच फंस गया था.

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अखिलेश यादव और राहुल गांधी अखिलेश यादव और राहुल गांधी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के बाद अब मध्य प्रदेश में भी दोनों पार्टियों के बीच सीटों को लेकर सहमति बनी है. दोनों पार्टियों के बीच हुई डील के तहत मध्य प्रदेश की एक सीट सपा को दी गई है.

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को खजुराहो की सीट देने का फैसला किया है. इस तरह कांग्रेस मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को एक सीट दे सकती है.

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मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं. यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच होता है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहां की 29 में से 28 सीटें जीती थीं. कांग्रेस सिर्फ एक ही सीट जीत पाई थी.

बता दें कि इससे पहले लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के फॉर्मूले पर सहमति बन गई. दोनों दलों की राज्य इकाइयों ने गठबंधन की घोषणा कर दी है. यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. दोनों ही पार्टियों के बीच तीन सीटों पर दावेदारी को लेकर पेच फंस गया था.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जो सीटें दी गई हैं, उनमें अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव, सीतापुर, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, सहारनपुर और मथुरा के नाम शामिल है.

'इन सीटों पर फंसा था पेच'

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इससे एक दिन पहले खबर आई थी कि सपा और कांग्रेस में अलायंस को लेकर पेच फंसा है. स्थानीय स्तर पर सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पा रही है. सूत्रों का कहना था कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस को मुरादाबाद, बलिया और बिजनौर सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं. जबकि कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए बलिया सीट पर दांव लगाना चाहती है. वहीं, बलिया को सपा का गढ़ माना जाता है. 

सपा-कांग्रेस फिर साथ-साथ

2017 में जब चुनाव हुए, तब यूपी की सत्ता में सपा थी और चुनाव के वक्त सपा-कांग्रेस में अलायंस हुआ था. उस समय चुनाव प्रचार में गठबंधन ने नारा दिया था- 'यूपी को ये साथ पसंद है.' तब दोनों ही दलों के नेता 'यूपी के दो लड़के' साथ आने का संदेश देते नजर आए थे. एक बार फिर दोनों ही पार्टियों के बीच अलायंस फाइनल हो गया है.

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