Samay Raina Unconditional Apology to Supreme Court: स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना ने दिव्यांगों पर की गई टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनकी सोच किसी को भी ठेस या नुकसान पहुंचाने का नहीं था, ख़ासकर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से प्रभावित लोगों को. सोमवार को हलफनामा दायर कर समय ने माफी मांगी है, जिसकी कॉपी इंडिया टुडे के पास भी उपलब्ध है.
समय रैना ने हलफनामे में कहा कि उनका इरादा किसी को छोटा या आहत करना नहीं था. आगे से वो ध्यान रखेंगे कि वह क्या कंटेंट बना रहे हैं, जिसमें बेहतर आचरण, संवेदनशीलता और कानूनी अनुपालन किया जाएगा. वे मानते हैं कि कंटेंट ऐसे बनाया जाए जिससे कोई बहिष्कृत महसूस न करे, साथ ही संवेदनशील कंटेंट का समर्थन वह करते हैं.
सामाजिक योगदान का जिक्र
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में समय रैना ने अपने द्वारा किए गए सामाजिक योगदान का भी जिक्र किया. समय ने बताया कि उन्होंने सामाजिक काम के लिए 9 लाख रुपये दान और अब तक 23 लाख से ज्यादा रुपये जुटाए हैं. इन रुपयों का इस्तेमाल अलग-अलग सामाजिक कारणों के लिए किया गया.
समय ने माना कि दिव्यांग व्यक्तियों की सार्वजानिक और मीडिया के मंच से संवेदनशील तरीके से पेश किया जाना चाहिए. दिव्यांग व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों का सम्मान जरूरी है.
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इरादा मजाक उड़ाना नहीं था
समय रैना ने कहा कि कॉमेडी करने के समय उनका इरादा किसी का मजाक उड़ाना नहीं था, बल्कि अलग-अलग वर्गों के लोगों को शामिल करना और प्रतिनिधत्व करना था. उन्होंने स्वीकार किया कि उनके काम का असर समाज पर पड़ सकता है इसलिए वह आगे से ज्यादा सावधान और संवेदनशील रहेंगे.
उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल आगे से और समझदारी से करेंगे और समाज के सभी वर्गों (समावेशिता) को साथ लेकर करेंगे.
मिमिक्री पर सफाई
समय रैना ने उस मिमिक्री पर भी सफ़ाई दी जिसे लेकर ये पूरा विवाद खड़ा हुआ. समय ने कहा कि मिमिक्र के दौरान जो भी किया गया परफॉरमेंस का हिस्सा था. लेकिन, आगे से संवेदनशील पहलुओं का विशेष ध्यान रखेंगे.
उन्होंने स्वीकार किया कि इम्प्रोवाइजेशन (एक्ट जो तुरंत तैयार किया गया हो) वाली कॉमिक परफॉरमेंस, कभी-कभी असंवेदनशील लग सकती है, खासकर तब जब वह असली शारीरिक अक्षमताओं से जुड़ी हो.
सृष्टि ओझा