'114 करोड़ नुकसान के आरोप बेबुनियाद', फाइबरनेट केस में चंद्रबाबू नायडू को ACB कोर्ट ने क्लीन चीट दी

आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू को एक भ्रष्टाचार मामले में बड़ी राहत मिली है. फाइबरनेट केस में ACB कोर्ट ने उन्हें क्लीन चीट दे दी. यह मामला तब का है जब वह विपक्ष में थे और YSRCP की सरकार प्रदेश में थी. अन्य सभी आरोपियों को भी क्लीन चीट मिल गई है.

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फाइबरनेट केस में चंद्रबाबू नायडू को बड़ी राहत (File Photo: PTI) फाइबरनेट केस में चंद्रबाबू नायडू को बड़ी राहत (File Photo: PTI)

अपूर्वा जयचंद्रन

  • विजयवाड़ा,
  • 13 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू के लिए राहत भरी ख़बर आई है. विजयवाड़ा की एसीबी कोर्ट ने उन्हें फाइबरनेट केस में बड़ी कानूनी राहत दी. क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को ख़ारिज कर दिया. कोर्ट ने नायडू समेत सभी आरोपियों को मामले में क्लीन चिट दे दी. 

फाइबरनेट केस उस समय का मामला है जब चंद्रबाबू विपक्ष में थे और प्रदेश में YSRCP की सरकार थी. तत्कालीन एमडी माधुसूदन रेड्डी ने शिकायत की थी कि फाइबरनेट कॉरपोरेशन में 2014 से 2019 के बीच टेंडर नियमों का उल्लंघन कर सरकारी खजाने को नुक़सान पहुंचाया गया है. इस को लेकर क् CID ने कथित गड़बड़ियों को लेकर जांच शुरू कर दी थी. 

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आरोप लगाया गया था कि टेंडर नियमों का उल्लंघन करते हुए सॉफ्टवेयर कंपनियों को टेंडर दिया गया, जिससे सरकार को क़रीब 114 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ. 

किन-किन के ख़िलाफ़ दर्ज हुआ था मामला?

चार्जशीट में चंद्रबाबू नायडू को A-25 आरोपी बनाया गया था. इनके अलावा तत्कालीन फाइबरनेट चेयरमैन वेमुरी हरिकृष्ण, एमडी के. संबाशिव राव, टेरासॉफ्ट कंपनी के डायरेक्टर तुम्मला गोपालकृष्ण और मुंबई और दिल्ली की कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल थे.

ACB कोर्ट ने क्या कहा?

ACB कोर्ट ने पाया की CID द्वारा दर्ज किए गए मामले में प्रयाप्त सबूत नहीं है, जिससे ये साबित किया जा सके कि किसी को वित्तीय लाभ पहुंचाने की मंशा से टेंडर दिया गया हो. इसी को आधार बनाते हुए कोर्ट ने कहा कि अब इस केस को आगे नहीं चलाया जा सकता और सभी को क्लीन चिट दे दी गई. 

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चंद्रबाबू नायडू की जीत

कोर्ट की ओर से आए इस फैसले मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के समर्थक बेहद ख़ुश हैं. उनका कहना है कि राजनीतिक बदले की भावना से यह केस दर्ज किया गया था. तेलुगु देशम पार्टी के नेताओं ने कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हुए कहा कि आख़िरकार सत्य की जीत हुई. 

कोर्ट के इस फैसले से फाइबरनेट केस का पूरा विवाद खत्म हो गया. फाइबरनेट केस दरअसल सरकार कि ऐसी योजना थी जिसमें सभी घरों तक इंटरनेट और टेलीफ़ोन सेवा पहुंचाने का मक्सद था.

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