IAS, IPS और IFS कहां करते हैं इन्वेस्टमेंट? केंद्र ने मांगा हिसाब-किताब

अब IAS, IPS और IFS अधिकारियों को भी अपने इन्वेस्टमेंट का हिसाब-किताब सरकार को देना होगा. क्योंकि केंद्र की ओर से सरकारी अधिकारियों से पूछा गया है कि वह कहां-कहां इन्वेस्ट कर रहे हैं.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

शेयर बाजार से मुनाफा कमाने के लिए आम लोग मार्केट में निवेश करते हैं, लेकिन देश में नीतियों को बनाने वाले और क्रियान्वित करते वाले अधिकारी भी क्या अपना पैसा शेयर बाजार में लगाकर मुनाफा काम रहे हैं? इस लेकर केंद्र सरकार ने IAS, IPS और IFS से हिसाब किताब मांगा है. केंद्र की ओर से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से पूछा गया है कि वह कहां-कहां इन्वेस्टमेंट करते हैं?

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केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से कहा है कि अगर शेयर बाजार या अन्य निवेश में उनका कुल लेनदेन कैलेंडर वर्ष के दौरान उनके 6 महीने के मूल वेतन से अधिक होता है, तो वे इसकी जानकारी मुहैया करवाएं.

नियम में क्या है?

कार्मिक मंत्रालय ने इस बाबत एक आदेश जारी किया है. जो केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के सचिवों को भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली, 1968 के नियम 16(4) के तहत उनके द्वारा दी जाने वाली इसी तरह की जानकारी से अतिरिक्त होगी. ये नियम अखिल भारतीय सेवाओं- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) के सदस्यों पर लागू होंगे.

अफसरों को क्या जानकारी देनी होगी?

सरकार ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से कहा है कि अगर शेयर बाजार या अन्य निवेश में उनका कुल ट्रांजैक्शन कैलेंडर ईयर के दौरान उनके 6 महीने की बेसिक सैलरी से ज्यादा होता है, तो वे इसकी जानकारी मुहैया करवाएं.

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कौन होंते हैं IAS-IPS अधिकारी? 

भारतीय प्रशासनिक सेवा भारत सरकार की अखिल भारतीय सेवाओं की प्रशासनिक शाखा है. आईएएस, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के साथ-साथ अखिल भारतीय सेवाओं की तीन विंग्स में से एक है. इन तीनों सेवाओं के सदस्य भारत सरकार के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों की सेवा करते हैं. IAS अधिकारियों को विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों जैसे संवैधानिक निकायों, कर्मचारियों और लाइन एजेंसियों, सहायक निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, नियामक निकायों, वैधानिक निकायों और स्वायत्त निकायों में भी तैनात किया जाता है. वहीं, भारतीय पुलिस सेवा अखिल भारतीय सेवाओं के तहत एक केंद्रीय सिविल सेवा है. भारत के ब्रिटिश राज से स्वतंत्र होने के एक साल बाद यानी 1948 में इसने भारतीय इंपीरियल पुलिस की जगह ली. इसके अधिकारी केंद्र सरकार और अलग-अलग राज्यों दोनों में कार्यरत हैं.

 

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