बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आड़े हाथों लिया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि बिलकीस बानो के दोषियों को सजा मौत से कम यानी उम्रकैद मिली थी. फिर वे 14 साल की सजा काटकर कैसे रिहा हो गए?
SC ने लगाई सवालों की झड़ी
-सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी वी नागरत्ना ने पूछा इस मामले में दोषियों के बीच भेदभाव क्यों किया गया? यानी पॉलिसी का लाभ अलग अलग क्यों दिया गया?
-14 साल की सजा के बाद रिहाई की राहत सिर्फ इन्हीं को क्यों? बाकी कैदियों को क्यों नहीं?
-सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जेलें कैदियों से भरी पड़ी हैं, लेकिन सुधार का मौका इन कैदियों को ही क्यों मिला?
-सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा कि बिलकिस के दोषियों के लिए जेल एडवाइजरी कमेटी किस आधार पर बनी?
-कोर्ट ने पूछा कि जब गोधरा की अदालत ने ट्रायल नहीं किया तो उससे राय क्यों मांगी गई?
सवाल देना मुश्किल- ASG
ASG ने इस पर कहा कि आम तौर पर इसका उत्तर देना मुश्किल है. हालांकि उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामला लंबित है, जिसमें सभी राज्यों को इसके बारे में डिटेल जानकारी कोर्ट को देनी है, जिसके लिए कुछ निर्देश तैयार किया जा रहे हैं. इस मामले में अब 24 अगस्त को सुनवाई होगी.
क्या है मामला?
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं.
बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को दिया था अधिकार
इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत रिहा करने की मांग की थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद दोषी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार फैसला करे. कोर्ट के निर्देश पर ही गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला लेने के लिए एक कमेटी बनाई. कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया.
सुप्रीम कोर्ट में दी गई फैसले को चुनौती
बिलकिस बानो केस में आरोपियों को बरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पहले से सुनवाई चल रही है. इससे पहले रिहाई के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. सभी याचिकाओं में दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के आदेश को तत्काल रद्द कर दोषियों को जेल भेजने की मांग की गई है. इनपर सुनवाई जारी है.
कनु सारदा / संजय शर्मा