Video: तीन दिन पहले ही CM नीतीश ने किया था 3831 करोड़ वाले पुल का उद्घाटन, कैसे आ गई दरार?

पटना के जेपी गंगा पथ को 3831 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था. तीन दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था. यह दरारें दीदारगंज के पास पुल के पिलर नंबर A-3 के पास नजर आ रही हैं. यह दरारें ब्रिज की दोनों लेन में नजर आ रही है.

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जेपी गंगा सेतु का 9 अप्रैल को उद्घाटन हुआ था जेपी गंगा सेतु का 9 अप्रैल को उद्घाटन हुआ था

शशि भूषण कुमार

  • पटना,
  • 14 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST

बिहार की राजधानी पटना में तीन दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेपी गंगा पथ (जेपी सेतु) का उद्घाटन किया था. लेकिन तीन दिनों के भीतर ही इस पुल में बड़ी-बड़ी दरारें नजर आ रही हैं. इस घटना का वीडियो सामने आया है, जिसमें ब्रिज पर आई दरारों को साफ देखा जा सकता है.

पटना के जेपी गंगा पथ को 3831 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था. तीन दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था. यह दरारें दीदारगंज के पास पुल के पिलर नंबर A-3 के पास नजर आ रही हैं. यह दरारें ब्रिज की दोनों लेन में नजर आ रही है.

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बता दें कि 9 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के कंगन घाट से दीदारगंज तक बने इस गंगा पथ का लोकार्पण किया था. इस मौके पर मंच पर बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और कई वरिष्ठ अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौजूद थे.

लेकिन लोकार्पण के बाद जब ब्रिज पर वाहनों की आवाजाही शुरू हुई तो इस मार्ग पर वाहनों का दबाव पड़ना शुरू हुआ, जिससे सड़क पर दरारें आ गई.

क्या चुनावी जल्दबाजी में हुआ अधूरा काम?

विशेषज्ञों और आम जनता की राय में यह दरारें एक संकेत हैं कि कहीं न कहीं निर्माण की गुणवत्ता में समझौता किया गया है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार ने इस पुल का उद्घाटन जल्दबाजी में कर दिया, जिसके चलते इसमें दरारें आ गईं. तेज आंधी और बारिश के बीच मुख्यमंत्री का उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचना और उसी पुल पर दरारें आना बताता है कि उद्घाटन से पहले तकनीकी परीक्षण और सेफ्टी चेक पूरी तरह नहीं किए गए.

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बिहार में पुलों की गिरती विश्वसनीयता

बता दें कि यह कोई पहली घटना नहीं है जब बिहार में किसी बड़े पुल या सड़क प्रोजेक्ट को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो. इससे पहले भी कई बार निर्माणाधीन पुलों के गिरने, सड़क के धंसने और समय से पहले टूट-फूट की खबरें आती रही हैं. इससे सरकारी तंत्र की जवाबदेही और निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं. 

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