बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे चर्चा तेज हो गई है कि क्या भारतीय जनता पार्टी को पारंपरिक रूप से मीडिल और अपर क्लास वर्ग के बीच काफी लोकप्रियता मिली, लेकिन अब बीजेपी को निचले तबके के बीच भी खूब पसंद किया जा रहा है. हाल के सालों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की रणनीति में बदलाव देखा गया है, जिसके कारण उनकी लोकप्रियता निचले तबके के बीच बढ़ी है. ये बदलाव हाल के कर्नाटक विधानसभा चुनावों और 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में भी साफ दिखाई दिया है.
राजनीतिक विशेषज्ञ संदीप शास्त्री ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि साल 2013 के कर्नाटक चुनावों में बीजेपी और बीएस येदियुरप्पा की अब भंग हो चुकी कर्नाटक जनता पक्ष के बीच बंटवारे के कारण बीजेपी के वोट शेयर में भारी गिरावट आई थी, खासकर उच्च आय वर्ग में. हालांकि, 2018 के चुनावों में बीजेपी ने मीडिल क्लास के बीच अपनी स्थिति मजबूत की. इस दौरान उन्हें निचले तबके और गरीब वोटरों का भी खूब समर्थन मिला.
2024 में 24% मिला गरीबों का वोट
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 37% गरीब वोटरों ने बीजेपी को वोट दिया जो 2014 में 24% था. ये बदलाव बीजेपी की रणनीति में एक बड़े परिवर्तन का संकेत देता है.
'आय के आधार पर वोटरों की प्राथमिकताएं'
बिहार इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 के अनुसार, 2022-23 में प्रति व्यक्ति आय के आधार पर बिहार के शीर्ष पांच जिले पटना, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर और रोहतास थे. वहीं, सबसे कम आय वाले पांच जिले शियोहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और नवादा थे.
ये आंकड़े बताते हैं कि 2020 के चुनावों में शीर्ष पांच जिलों की 38 विधानसभा सीटों में से 15 पर NDA और 23 पर महागठबंधन ने जीत हासिल की थी. यानी NDA को 39% और महागठबंधन को 61% सीटें मिलीं थी. इसके विपरीत सबसे कम आय वाले पांच जिलों की 33 विधानसभा सीटों में NDA ने 70% और महागठबंधन ने 30% सीटें जीतीं थी.
वहीं, मध्यम आय वाले जिलों जैसे रोहतास, बक्सर, भोजपुर और औरंगाबाद में महागठबंधन ने अधिकांश सीटें अपने नाम कर लीं. जबकि कम आय वाले जिलों जैसे पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, सिवान, बांका, अररिया और सुपौल में NDA ने शानदार प्रदर्शन किया था.
2025 में क्या होगा
बता दें कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव नवंबर तक होने की उम्मीद है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या वोटरों का व्यवहार इस बार भी 2020 की तरह ही रहेगा या बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने हाल के वर्षों में निम्न-आय वर्ग को आकर्षित करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जैसे मुफ्त राशन वितरण, एलपीजी कनेक्शन और गरीब परिवारों के लिए शौचालय निर्माण. ये योजनाएं गरीब वोटरों को प्रभावित करने में सफल रही हैं.
सम्राट शर्मा