उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर को लेकर एक नया कानूनी विवाद खड़ा हो गया है. मंदिर के सेवाधिकारी अब उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश 2025 की वैधता को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. इस याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्य बागची की बेंच सुनवाई करेगी.
सेवाधिकारियों ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि यह अध्यादेश राज्य सरकार द्वारा मंदिर का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का प्रयास है. उनका कहना है कि यह सिर्फ प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि मंदिर के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है.
सेवाधिकारियों का दावा है कि बांके बिहारी मंदिर न तो सरकार की संपत्ति है और न ही कोई सरकारी ट्रस्ट. इसका प्रबंधन साल 1939 में बनी एक विशेष योजना के तहत होता आया है। उस पर सरकार का अधिकार नहीं है.
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उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि अध्यादेश लाने के लिए कोई स्पष्ट आपात स्थिति या कानूनी आवश्यकता नहीं बताई गई है, जिससे यह कदम संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.
इस अध्यादेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की गई है, जो अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है.
सेवाधिकारियों का कहना है कि यह कदम मंदिर की पारंपरिक व्यवस्था और श्रद्धा के खिलाफ है, और इसे न्यायालय में चुनौती देना जरूरी हो गया है.
संजय शर्मा