बांके बिहारी मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट गठित करेगा अंतरिम समिति, मैनेजमेंट और विकास पर रखी जाएगी नजर

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर की आय सिर्फ आपने लिए नहीं बल्कि मंदिर विकास योजनाओं के लिए भी है. श्याम दीवान ने कहा कि हम सरकार की योजना पर एकतरफा आदेश को चुनौती दे रहे हैं.

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मंगलवार को होगी बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी अगली सुनवाई (Photo: ITG) मंगलवार को होगी बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी अगली सुनवाई (Photo: ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर के आस-पास सुविधा परियोजनाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट अंतरिम समिति का गठन करेगा. मंगलवार को इस सिलसिले में होने वाली सुनवाई में सभी पक्षकार अपने सुझाव और मुद्दों की विंदुवार जानकारी लिखित रूप में कोर्ट को देंगे. उम्मीद है कि मौजूदा अध्यादेश पर कोर्ट के अगले आदेश तक रोक लग जाएगी.

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी करते हुए इसके निजी मंदिर होने की दलील दी.

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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर की आय सिर्फ आपने लिए नहीं बल्कि मंदिर विकास योजनाओं के लिए भी है. श्याम दीवान ने कहा कि हम सरकार की योजना पर एकतरफा आदेश को चुनौती दे रहे हैं.

'मंदिर एक निजी संस्था...'

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची के समक्ष पेश इन याचिकाओं में यूपी सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी गई है, जिसके मुताबिक मंदिर से जुड़ी व्यवस्था राज्य सरकार एक ट्रस्ट को सौंप रही है.

याचिकाओं में कहा गया है कि श्री बांके बिहारी मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है. इस अध्यादेश के ज़रिए मंदिर पर सरकार अपरोक्ष रूप से अपना नियंत्रण करना चाह रही है. श्याम दीवान ने हाई कोर्ट की पिछली खंडपीठ के आदेश के कुछ हिस्से पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दो लोगों के निजी विवाद में दाखिल सिविल अपील कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के लिए आदेश पारित कर दिया. जबकि सरकार की जिम्मेदारी है कि वो सुरक्षा, चेक पोस्ट, सार्वजनिक सुविधाओं की व्यवस्था करे.

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कोर्ट ने कहा कि अदालत ने मुद्दे तय कर दिए हैं, जिनमें सरकार द्वारा ट्रस्ट के जरिए अधिग्रहण भी शामिल है. याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम दीवान ने कहा कि राज्य सरकार ज़मीन खरीदने के लिए मंदिर के पैसे का इस्तेमाल करना चाहती हैं.

यह भी पढ़ें: 'देवता निजी कैसे हो सकते हैं?', कोर्ट ने पूछा सवाल, SC में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर केस पर हुई सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि राज्य का इरादा मंदिर के धन को हड़पने का नहीं लगता, वे इसे मंदिर के विकास पर खर्च कर रहे हैं. श्याम दीवान ने कहा कि सरकार हमारे धन पर कब्जा कर रही है मेरा मंदिर एक निजी मंदिर है. दीवान ने कहा कि समिति मंदिर का इंतजाम संभालती है. मंदिर प्रबंधन समिति में चुनाव के हटिए चार सेवाधिकारी गोस्वामी चुने जाते हैं. इनके अलावा गोस्वामियों के अलावा वृन्दावन या ब्रज में से समाज के तीन प्रतिष्ठित लोग होते हैं. समिति तीन साल के लिए चुनी जाती है. 2016 में समिति का आखिरी चुनाव हुआ था.

'धार्मिक स्थल को निजी कैसे कह सकते हैं?'

कोर्ट ने कहा कि ये नो मेंस लैंड नहीं है. कोर्ट ने रिसीवर भी नियुक्त किया था. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक और याचिका हमारे सामने आई है. श्याम दीवान ने कहा कि ढाई सौ से अधिक गोस्वामी एकजुट हैं, वो मंदिर का प्रबंधन संभाल रहे हैं.
हालांकि, कई कोर्ट में कुछ याचिकाएं हैं लेकिन वो अलग हैं.

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान से पूछा कि आप किसी धार्मिक स्थल को निजी कैसे कह सकते हैं, जहां बहुत से श्रद्धालु आते हैं, वह निजी नहीं हो सकता. प्रबंधन निजी हो सकता है लेकिन कोई देवता निजी कैसे हो सकता है?

श्याम दीवान ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है. किसी दीवानी मुकदमे में, जिसमें मैं पक्षकार नहीं हूं, राज्य मेरी पीठ पीछे आकर आदेश ले लेता है. उनके पास कोई योजना हो सकती है लेकिन क्या सरकार ये कर सकती हैं, जो उन्होंने इस योजना के लिए किया है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर का पैसा आपकी जेब में क्यों जाए? वे इसका इस्तेमाल विकास के लिए क्यों नहीं कर सकते? श्याम दीवान ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है लेकिन यह इस अदालत की उचित प्रक्रिया का मामला है. मेरी बिना जानकारी के अदालत से आदेश हासिल किए गए हैं.

यह भी पढ़ें: बांके बिहारी मंदिर केस में याचिकाकर्ताओं को झटका, SC ने वकील के खिलाफ जारी किया अवमानना का नोटिस

कोर्ट ने कहा कि हम हाई कोर्ट के किसी रिटायर जज या किसी सीनियर जिला जज को समिति का प्रमुख नियुक्त कर सकते हैं. वो मंदिर कोष और खर्च पर निगरानी करेंगे. कोर्ट ने याचिकाकर्ता गोस्वामियों से पूछा कि क्या आप मंदिर को मिली दान या चढ़ावे की राशि का कुछ हिस्सा श्रद्धालुओं की सुविधा और विकास के लिए खर्च कर सकते हैं. श्याम दीवान ने कहा कि उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है.

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कोर्ट ने कहा कि हम कोई न्यूट्रल अंपायर रखेंगे, जो कोष प्रबंधन पर निगरानी रखेंगे.
सरकार की ओर से सीनियर वकील नवीन पाहवा ने कहा कि यमुना तट से मंदिर के इर्दगिर्द तक कॉरिडोर बनाया जाएगा. मंदिर परियोजना प्रशासन समिति में हाई कोर्ट के रिटायर जज और जिलाधिकारी भी शामिल होंगे. गोस्वामी समाज के नुमाइंदे भी होंगे.

ऑर्डिनेंस की संवैधानिकता पर बाद में विचार करेंगे. पहले हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई हो जाए. कल साढ़े दस बजे सुनवाई होगी.

कोर्ट ने कहा कि धार्मिक टूरिज्म आज का सबसे लोकप्रिय उद्योग है. इंफ्रा और रोजगार दोनों का जन्मदाता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि शिरडी, पुत्तपार्थी, तिरुपति, अमृतसर को देखें, कैसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश हैं.

कोर्ट ने कहा कि आप निश्चिंत रहिए, जगह की पौराणिकता और धरोहरों को सुरक्षित रखा जाएगा. मंगलवार को सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई तय हुई है. यूपी सरकार के वकील ASG के एम नटराज ने कहा कि हमें अंतरिम व्यवस्था पर राज्य से निर्देश की जरूरत होगी.

कोर्ट ने नटराजन की सलाह से सहमति जताया. कोर्ट ने कहा कि ये स्पष्ट हैं. रीति-रिवाज परिवार द्वारा ही होंगे. मंदिर प्रबंधन औपचारिक तौर पर हाई कोर्ट जज द्वारा किया जाएगा. हम कल सुबह मामले पर दोबारा सुनवाई करेंगे.
 

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