उत्तराखंड का मशहूर हिल स्टेशन औली अपनी बर्फ से ढकी वादियों और रोमांचक यात्राओं के लिए पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है. अब औली को वर्ल्ड लेवल की स्कीइंग प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया जा रहा है. योजना है कि यहां पर ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएं ताकि रात में भी स्कीइंग प्रतियोगिताएं हो सकें.
क्या बोले बीजेपी सांसद अनिल बलूनी?
बीजेपी सांसद अनिल बलूनी ने X पर एक पोस्ट में लिखा कि, 'हमारी कोशिश है कि स्कीइंग को लेकर औली में विश्व स्तरीय प्रतियोगिताएं हों, स्कीइंग प्रेमी यहां प्रशिक्षण प्राप्त करें. पर्यटक इन मनोहारी खेल और दृश्यों का आनंद लें. हमारी संकल्पना एक कदम और आगे बढ़कर है कि औली में नाइट स्कीइंग का ढांचा भी तैयार किया जाए ताकि औली एक बड़े एडवेंचर टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में तैयार हो सके.
2011 में हुआ था साउथ एशियन अंतरराष्ट्रीय विंटर खेलों का आयोजन
बता दें कि, स्की रिजॉर्ट औली अपनी खूबसूरत स्कीइंग ढलानों के लिए जाना जाता है.देश भर में एकमात्र औली के स्कीइंग स्लोप पर ही अंतरराकष्ट्रीय खेलों का आयोजन हो सकता है क्योंकि देश में एकमात्र अंतराष्ट्रीय स्कीइंग (FIS) (फेडरेशन ऑफ इंटरनेशन स्कीइंग) द्वारा मान्यता प्राप्त स्कीइंग स्लोप औली में मौजूद है अब तक एक बार यहां साउथ एशियन अंतरराष्ट्रीय विंटर खेल का आयोजन 2011 में हो चुका है.
औली में 2007 में बना था स्कीइंग स्लोप
औली की ढलानों में स्कीइंग स्लोप को 2007 में FIS के अनुसार बनवाया गया था और यह स्लोप FIS द्वारा मान्यता प्राप्त है. यहां की ढलानों में FIS रेस सहित राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खेलों का आयोजन भी हो सकता है. हालांकि यहां बार-बार बर्फ की कमी के चलते FIS स्कीइंग रेस के आयोजन रद हुए. वहीं औली की वादियों में जहां पर्यटक घूमने आते हैं वही यहां स्कीइंग का आनंद उठाने भी देश के कोने-कोने से पर्यटक उत्तराखंड के औली पहुंचते हैं. यहां बर्फबारी के बाद सिर्फ स्कीइंग स्लोप ही नहीं बल्कि औली की खूबसूरत वादियां भी पर्यटकों की पहली पसंद होती है.
आजतक ने जब आईटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट नानक चंद ठाकुर (ओलंपियन) जो स्कीइंग के ट्रेनर हैं, उनसे औली के स्कीइंग डेस्टिनेशन के बारे में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि औली एक ऐसी जगह है जहां अगर कोई इंटरनेशनल स्कीइंग होना है तो सिर्फ यहीं पर हो सकता है उन्होंने यह भी कहा कि यह जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग और हिमाचल में संभव नहीं हो सकता है क्योंकि वहां का स्लोप जैसा औली में है वैसा नहीं है.
पुरानी हो गई है आर्टिफिशियल गन
नानक चंद ने यह भी कहा कि यहां पर स्नो बनाने की जो आर्टिफिशियल गन लगी है वह या तो पुरानी हो चुकी है या फिर वह काम नहीं कर रही है उन्होंने यह कहा कि अगर यहां इंटरनेशनल लेवल का स्कीइंग खेल होना है तो आर्टिफिशियल गन (आर्टिफिशियल तरीके से बर्फ बनाने की तकनीक) को आधुनिक बनाना पड़ेगा, जिसके जरिए यहां नवंबर से लेकर के मार्च तक बर्फ की उपलब्धि बनी रहे. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल गन जिसके जरिए बर्फ बनाई जा सकती है वह 2011- 12 से काम नहीं कर रही है इसके साथ ही इन्होंने कहा कि दोनों तरफ फ्लड लाइट लगाई जाए जिससे कि नाइट स्कीइंग की जा सके क्योंकि विदेशों में ज्यादातर नाइट स्कीइंग ही होती है.
जितेंद्र बहादुर सिंह