असम सरकार ने निजी अस्पतालों द्वारा शवों को रोके जाने को लेकर बड़ा फैसला लिया है. असम की हिमंता बिस्वा सरकार ने ऐलान किया है कि इलाज का बिल बकाया होने पर भी निजी अस्पताल मृतक के शव को दो घंटे से अधिक समय तक नहीं रोक सकते. मौत की पुष्टि के दो घंटे के भीतर शव को परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा.
ऐसे में हम आपको यहां देश के उन पांच मामलों के बारे में बता रहे हैं, जहां निजी अस्पतालों का अमानवीय चेहरा सामने आया. इन अस्पतालों ने बकाया बिल का भुगतान नहीं होने पर डेडबॉडी परिजनों को नहीं सौंपी.
पहला मामला उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में फरवरी 2024 का है. यहां के एक निजी अस्पताल ने बकाया बिल नहीं चुकाने की वजह से मृतक के शव को उसके परिजनों को नहीं सौंपा. परिजनों ने डॉक्टरों से शव सौंपे जाने की कई मिन्नतें की लेकिन अस्पताल ने शव नहीं सौंपा. इसके बाद मृतक के बेटे को चंदा इकट्ठा करना पड़ा. अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद पीड़ित परिवार से पैसे वसूलने की कोशिश की. यह मामला संज्ञान में आने पर सीएमओ की ओर से जांच के लिए एक टीम का गठन किया.
दूसरा मामला दिल्ली के द्वारका का है. इस साल द्वारका के एक अस्पताल ने एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद उसके शव को कई दिनों तक रोके रखा. मृतक महिला के परिवार ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और बकाया बिल नहीं चुकाए जाने पर शव को रोके जाने का विरोध किया.
ऐसा ही एक मामला 2021 में गुजरात के एक निजी अस्पताल का है. कोरोना के दौरान एक अस्पताल ने बिल नहीं चुकाने पर मृतक मरीज का शव परिवार को सौंपने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, अस्पताल ने परिवार की कार तक जब्त कर ली. इस घटना ने देशभर में निजी अस्पतालों की संवेदनहीनता को उजागर किया.
2019 में हैदराबाद में एक निजी अस्पताल ने बकाया बिल का भुगतान नहीं होने पर एक नवजात शिशु के शव को उसके परिजनों को सौंपने से मना कर दिया. परिवार को स्थानीय पुलिस और मीडिया के हस्तक्षेप के बाद शव मिल सका. इस घटना ने तेलंगाना में स्वास्थ्य सेवाओं के नियमन पर बहस छेड़ दी थी.
कर्नाटक के बेंगलुरु में भी 2020 में कोरोना के दौरान एक निजी अस्पताल ने बकाये बिल के लिए एक मरीज के शव को रोक लिया था. परिजनों ने बताया कि अस्पताल ने उन्हें रातोरात पैसे जुटाने के लिए मजबूर किया. इस मामले ने कर्नाटक में निजी अस्पतालों के लिए सख्त नियमों की मांग को तेज कर दिया.
बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में इस नियम को लागू करने का ऐलान करते हुए कहा कि अब कोई भी निजी अस्पताल किसी मरीज का शव रोक नहीं सकेगा. मौत की पुष्टि होने के दो घंटे के भीतर शव परिजनों को सौंपना अनिवार्य होगा, चाहे इलाज का भुगतान बाकी क्यों न हो. अगर अस्पताल तय सीमा से अधिक समय तक शव को रोकता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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